*देवघर के बाबा मंदिर सहित शहर के विभिन्न स्थलों पर धूम धाम से मनाया जा रहा है मां शारदे का पूजा*

सरस्वती महा भागे विद्ये कमल लोचने। विश्वरूपे विशालाक्षी विद्यान् देहि नमोस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमोनमः।।

 

।।जय मां शारदे।।

*देवघर के बाबा मंदिर सहित शहर के विभिन्न स्थलों पर धूम धाम से मनाया जा रहा है मां शारदे का पूजा*

देवघर। बसंत पंचमी के दिन पूरे संसार में मां की पूजा अर्चना हर्ष उल्लास और धूमधाम से की जाती है, बाबा नगरी में भी शहर के विभिन्न शिक्षण संस्थान एवं बाबा मंदिर प्रांगण स्थित मां सरस्वती के मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

बाबा धाम में तंत्र युक्त पूजा का महत्व है, जिसको लेकर माता की पूजा तंत्र विधि से की जाती है, यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसका निर्वाह आज भी मंदिर स्टेट की ओर से की जाती है।

वही माता की पूजा को लेकर सुबह से ही लोगों की भीड़ लगी रहती है, जिसको व्यवस्थित करने के लिए पुलिस बलों की भी तैनाती करनी पड़ती है, ताकि श्रद्धालुओं को सुलभतापूर्वक पूजा अर्चना कराया जा सके, साथ ही नौनिहालों को खड़ी पढ़ाया जाता है, बच्चों के भविष्य पठन-पाठन का नीव रखा जाता है।

इसलिए बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चे को लेकर विधिवत खड़ी की परंपरा निभाई जाती है, वहीं पांडा धर्मरक्षणी सभा के द्वारा आज के दिन पठन-पाठन की सामग्री निशुल्क प्रदान की जाती है।

ऋतुराज बसंत के आगमन के साथ ही पूरे धरा पर नवजीवन का संचार होता है, धरा पर हर तरफ नव चेतना प्रफुल्लित होती है, और मां सरस्वती की आगमन होती है, शुक्ल पक्ष बसंत पंचमी के दिन माता का आगमन “दिवस मनाया जाता है, यह परंपरा स्वयं भगवान विष्णु के द्वारा शुरू किया गया था, ब्रह्मा जी के तेज से मां सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी, इसके बाद सर्वप्रथम भगवान विष्णु ने मां सरस्वती की पूजा की थी, जिसके बाद देव दानव एवं मानव धरती लोक पर मां की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं, वाणी और संगीत की देवी मां सरस्वती के आगमन को लेकर पुराण एवं ग्रन्थों में वर्णित है कि जब संसार में सृष्टि का निर्माण हुआ था तब आचार विचार एवं वाणी की घोर कमी थी, जिसे ब्रह्मा विष्णु महेश चिंतित थे और सृष्टि निर्माण में इस कमी को पूरा करने के लिए मां की उत्पत्ति हुई थी।

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