
Dumaka: फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ जी की 103वीं जयंती
सिविल सोसायटी के बैनर तले दुमका के इंडोर स्टेडियम के प्रांगम में फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ जी की 103वी जयंती बड़ी धूम-धाम से मनाई गयी।
उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उपस्तिथ साहित्यप्रेमियों ने बताया कि फणीश्वर नाथ ‘ रेणु ‘ का जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के अररिया जिले में फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना गाँव में हुआ था।
वह धानुक विरादरी से तालुक रखते थे उस समय यह पूर्णिया जिले में था।
रेणु की कहानियों और उपन्यासों में उन्होंने आंचलिक जीवन के हर धुन, हर गंध, हर लय, हर ताल, हर सुर, हर सुंदरता और हर कुरूपता को शब्दों में बांधने की सफल कोशिश की है।
उनकी भाषा-शैली में एक जादुई सा असर था जो पाठकों को अपने साथ बांध कर रखता है।
उनके कई उपन्यासों में मैला आंचल 1954,
परती परिकथा 1957, जूलूस, दीर्घतपा 1964, कितने चौराहे 1966, कलंक आदि थे। इसके अलावा इन्होंने कहानियाँ, रिपोर्ताज आदि में भी अपनी कलम का लोहा मनवाया था।
अपने प्रथम उपन्यास ‘मैला आंचल’ के लिये उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया।
इस अवसर पर राधेश्याम वर्मा, शिशिर घोष, संदीप कुमार जय बमबम, खेलकुद संघ के सचीव उमाशंकर चौबे, अरुण सिन्हा, केशव सिन्हा, अंजनी शरण, आशिष, दीपक कुमार और रोहित अम्बष्ट उपस्थित थे।