
13 साल का मासूम हुआ ‘सन्यास’ के मोह में लापता, परिवार बेहाल, पुलिस की तलाश जारी
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले से एक चौंकाने वाली और भावनात्मक रूप से झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। यहां ब्यावरा क्षेत्र में रहने वाला एक 13 साल का छात्र अचानक घर से लापता हो गया। हैरान करने वाली बात यह है कि वह प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों से इतना अधिक प्रभावित हो गया कि घर-परिवार छोड़कर सन्यास लेने निकल पड़ा। परिजन सदमे में हैं और पुलिस उसकी तलाश में हरसंभव प्रयास कर रही है।
घटना का पूरा विवरण
यह मामला ब्यावरा शहर के आदर्श कॉलोनी का है, जहां एक आठवीं कक्षा में पढ़ने वाला छात्र बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों को देखकर काफी भावुक और प्रभावित हो गया था। वह अक्सर भगवान भक्ति, वैराग्य और संसार त्याग की बातें किया करता था, जिसे परिवार सामान्य उम्र का उत्साह मान रहा था। लेकिन 1 अगस्त की सुबह जब घरवालों ने देखा कि वह अपने कमरे में नहीं है, तो उनकी चिंता बढ़ गई।
घर से मिली चिट्ठी ने सबको चौंका दिया
खोजबीन के दौरान उसके कमरे में एक चिट्ठी मिली, जिसमें उसने लिखा था—
“अब मैं संसारिक मोह छोड़कर सन्यास लेने जा रहा हूं। मैंने प्रेमानंद जी महाराज के उपदेशों को सुना और अब मुझे ईश्वर की भक्ति में ही जीवन व्यतीत करना है। मुझे मत ढूंढना।”
इस पत्र ने परिवार के होश उड़ा दिए। माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। उनकी आंखों में एक ही सवाल है — उनका बेटा आखिर कहां चला गया?
परिवार की दहलीज पर चिंता और दुख
लापता छात्र के पिता ने बताया, “वह पढ़ाई में औसत था लेकिन पिछले कुछ महीनों से वह यूट्यूब और सोशल मीडिया पर धार्मिक वीडियो बहुत ज्यादा देखने लगा था। हमने कई बार मोबाइल से दूर रहने के लिए कहा, लेकिन उसने यह कहते हुए टाल दिया कि वह ज्ञान ले रहा है।”
मां ने कहा, “उसे नहीं पता कि जीवन क्या होता है। कौन सी उम्र होती है त्याग की। वह बच्चा है, उसे घर की जिम्मेदारियों और प्यार की अभी जरूरत है।”
पुलिस का एक्शन मोड
ब्यावरा थाने में परिजनों की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने बच्चे की तलाश शुरू कर दी है। मोबाइल लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश की जा रही है लेकिन फोन स्विच ऑफ है।
ब्यावरा टीआई रवींद्र यादव ने बताया,
> “हमने स्टेशन, बस स्टैंड, धार्मिक स्थल और CCTV फुटेज की जांच शुरू कर दी है। सोशल मीडिया के माध्यम से प्रेमानंद महाराज के आश्रमों से भी संपर्क किया जा रहा है। जल्द ही कोई सुराग मिलने की उम्मीद है।”
प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों का प्रभाव
प्रेमानंद महाराज देशभर में लोकप्रिय आध्यात्मिक वक्ता माने जाते हैं। सोशल मीडिया और यूट्यूब पर उनके करोड़ों फॉलोअर्स हैं। वह जीवन की नश्वरता, भक्ति, वैराग्य और संयम पर प्रवचन देते हैं, जो युवाओं और बच्चों को भी भावुक कर देते हैं।
हालांकि, उनके प्रवचनों में सीधा सन्यास लेने की अपील नहीं की जाती, लेकिन कम उम्र के श्रोता कई बार भावनाओं में बहकर निर्णय ले लेते हैं।
क्या सोशल मीडिया बन रहा है बच्चों के लिए खतरा?
विशेषज्ञों के अनुसार, यह उम्र बेहद संवेदनशील होती है। 10 से 15 साल के बच्चों में सोचने-समझने और भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं होती। ऐसे में अगर वे इंटरनेट पर बिना निगरानी के गंभीर, भावनात्मक या धार्मिक कंटेंट देखते हैं, तो उनके निर्णय भटक सकते हैं।
भोपाल की बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. रश्मि सक्सेना बताती हैं—
> “सोशल मीडिया पर आध्यात्मिक या प्रेरक कंटेंट बच्चों को गलत दिशा में भी ले जा सकता है अगर उसे सही संदर्भ में न समझाया जाए। अभिभावकों को बच्चों के डिजिटल व्यवहार पर ध्यान देना जरूरी है।”
समाज में उभरे सवाल
घटना के बाद शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है कि एक बच्चा महज 13 साल की उम्र में कैसे इतना भावुक और आत्म-निर्णय में सक्षम हो गया? क्या हमारी शिक्षा और पारिवारिक व्यवस्था बच्चों को मानसिक तौर पर तैयार नहीं कर पा रही है?
स्थानीय शिक्षक अजय शर्मा का कहना है,
> “बच्चों को वैचारिक रूप से जागरूक बनाना जरूरी है, लेकिन उन्हें भावनाओं के झूले में लटका छोड़ देना खतरनाक हो सकता है। स्कूलों में काउंसलिंग और डिजिटल साक्षरता अब समय की मांग बन गई है।”
परिवार की बस एक ही अपील – “वापस लौट आ बेटा”
बच्चे की मां बार-बार बस एक ही बात कह रही हैं,
> “बेटा, जहां भी है, लौट आ। हमने तुझसे कभी कोई बुरा नहीं किया। हमें तेरी जरूरत है। दुनिया की भक्ति बाद में भी की जा सकती है, पहले अपने मां-बाप की चिंता कर।
एक सीख, एक चेतावनी
यह घटना केवल एक बच्चे के गुम होने की कहानी नहीं है, यह एक चेतावनी है — उन सभी माता-पिता, शिक्षकों, नीति-निर्माताओं और समाज के लिए। जब तक बच्चों के मन और मोबाइल दोनों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक ऐसे मामले सामने आते रहेंगे।