
झारखंड सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन अंसारी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला उनकी डॉक्टरेट (PhD) की डिग्री से जुड़ा है, जिसे लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। दावा किया जा रहा है कि जिस विश्वविद्यालय से मंत्री हफीजुल हसन को डॉक्टर की उपाधि मिली है, उसका अस्तित्व ही संदिग्ध है। हैरानी की बात यह है कि अब वह यूनिवर्सिटी पूरी तरह “गायब” हो चुकी है, यानी उसका कोई ठोस रिकॉर्ड या वैधानिक प्रमाण नहीं मिल रहा है।
यह मामला सामने आने के बाद अब CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) इस पूरे प्रकरण की जांच करने जा रही है। झारखंड की राजनीति में इस खबर ने हलचल मचा दी है और मंत्री की शैक्षणिक योग्यता को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
क्या है पूरा मामला?
मंत्री हफीजुल हसन ने कुछ समय पहले सार्वजनिक रूप से खुद को “Dr. Hafizul Hasan” कहना शुरू किया था। उन्होंने एक कार्यक्रम में बताया कि उन्हें एक प्रतिष्ठित विदेशी यूनिवर्सिटी से मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई है। लेकिन जब इस यूनिवर्सिटी के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की गई, तो हैरान करने वाली बात सामने आई — ऐसी कोई यूनिवर्सिटी अस्तित्व में ही नहीं है।
शुरुआती जांच में पाया गया कि यूनिवर्सिटी का वेबसाइट भी निष्क्रिय है और संबंधित एजुकेशनल अथॉरिटी में उसका कोई रजिस्ट्रेशन मौजूद नहीं है। इतना ही नहीं, यूजीसी (UGC) और एआईयू (Association of Indian Universities) की सूची में भी इस यूनिवर्सिटी का नाम नहीं है।
फर्जी डिग्री का शक, अब CBI की एंट्री
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार और केंद्र ने संयुक्त रूप से यह केस CBI को सौंपने का फैसला किया है। CBI अब यह जांच करेगी कि:
क्या मंत्री को जानबूझकर फर्जी डिग्री दी गई?
क्या यह किसी बड़े फर्जीवाड़े का हिस्सा है?
इस डिग्री को उन्होंने किन-किन दस्तावेजों में उपयोग किया?
क्या इस डिग्री के आधार पर उन्होंने कोई लाभ उठाया?
विपक्ष का हमला तेज
जैसे ही यह मामला सार्वजनिक हुआ, विपक्षी दलों ने सरकार और मंत्री पर तीखा हमला बोलना शुरू कर दिया है। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि यदि मंत्री ने फर्जी डिग्री ली है, तो यह जनता के साथ धोखा है और उन्हें तत्काल पद से इस्तीफा देना चाहिए।
भाजपा प्रवक्ताओं ने यहां तक कहा कि यदि यह डिग्री फर्जी साबित होती है, तो हफीजुल हसन को केवल पद ही नहीं, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में दिए गए दस्तावेजों के आधार पर कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ेगा।
मंत्री का जवाब
फिलहाल मंत्री हफीजुल हसन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन उनके करीबियों का कहना है कि यह राजनीतिक षड्यंत्र है और मंत्री को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। वे सभी जांचों का सामना करने को तैयार हैं।