
*जामताड़ा के 6 बच्चे तमिलनाडु में हुए अगवा, मंत्री इरफान अंसारी ने DGP और मुख्य सचिव को दी जानकारी*
जामताड़ा/रांची। झारखंड के जामताड़ा जिले से संबंध रखने वाले छह बच्चों के तमिलनाडु में लापता होने की खबर ने प्रशासन और राज्य सरकार को चिंता में डाल दिया है। इन बच्चों के कथित अपहरण या जबरन श्रम में लगाए जाने की आशंका के बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने इसे गंभीरता से लेते हुए झारखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) और मुख्य सचिव को पूरे मामले की जानकारी दी है और आवश्यक कदम उठाने की अपील की है। घटना की गंभीरता को देखते हुए मामला अब अंतरराज्यीय जांच का विषय बनता जा रहा है ।
बच्चों के परिजनों ने जताई चिंता, तमिलनाडु से आया संदेश
जानकारी के अनुसार, जामताड़ा जिले के विभिन्न गांवों से छह किशोर रोजगार की तलाश में तमिलनाडु के किसी औद्योगिक क्षेत्र में गए थे। वहां पहुंचने के कुछ दिन बाद से उनका कोई संपर्क नहीं हो पाया है। बच्चों के परिजनों को एक अनजान नंबर से संदेश मिला, जिसमें यह जानकारी दी गई कि उनके बच्चे “फंसे हुए हैं” और उन्हें “बाहर निकलने में मदद चाहिए।” इसके बाद से परिजनों की चिंता और बेचैनी बढ़ गई।
परिजन स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर लगातार मदद की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चों को किसी बहाने से ले जाकर उन्हें जबरन मजदूरी के लिए रोका गया है या किसी गिरोह द्वारा अगवा किया गया है।
मंत्री इरफान अंसारी ने दी त्वरित प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलते ही राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने तेजी से कार्रवाई करते हुए ट्विटर और मीडिया के माध्यम से एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा
उन्होंने आगे कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो केंद्र सरकार और तमिलनाडु प्रशासन से भी मदद मांगी जाएगी।
मानव तस्करी की आशंका से इनकार नहीं
झारखंड में अक्सर बच्चों और किशोरों को रोजगार का लालच देकर राज्य के बाहर भेजा जाता है, जहां उन्हें बंधुआ मजदूरी या घरेलू नौकर के तौर पर रखा जाता है। ऐसे मामलों में कई बार संगठित मानव तस्करी गिरोहों की भूमिका सामने आ चुकी है। जामताड़ा के बच्चों के लापता होने के पीछे भी ऐसी किसी गतिविधि की आशंका जताई जा रही है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड मानव तस्करी के मामले में देश के शीर्ष पांच राज्यों में शामिल है। गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी जैसे कारणों से यहां के बच्चे व किशोर अपराधियों के जाल में फंस जाते है ।
जिला प्रशासन ने की पुष्टि, जांच जारी
जामताड़ा जिला प्रशासन ने भी मामले की पुष्टि की है। उपायुक्त कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, संबंधित परिवारों की शिकायत प्राप्त होने के बाद तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क साधा गया है और पूरे मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए गए हैं। पुलिस अधिकारियों की एक टीम को बच्चों की स्थिति जानने के लिए लगाया गया है।
एक अधिकारी ने बताया—
राज्य सरकार पर उठे सवाल, विपक्ष का निशाना
घटना सामने आने के बाद विपक्ष ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए सवाल उठाए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि राज्य से बाहर श्रमिकों या बच्चों के पलायन पर सरकार की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। न ही राज्य के पास ऐसा कोई सिस्टम है जिससे यह ट्रैक किया जा सके कि कौन-कौन व्यक्ति या बच्चा किस राज्य में काम के लिए गया है।
भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा—
सूत्रों के अनुसार, झारखंड सरकार जल्द ही एक टीम का गठन कर सकती है जो तमिलनाडु जाकर मामले की जांच करेगी। इसमें सामाजिक कल्याण विभाग, पुलिस विभाग और बाल संरक्षण अधिकारियों को शामिल किया जा सकता है। इसके साथ ही राज्य में एक रजिस्ट्रेशन व्यवस्था शुरू करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे बाहर जाने वाले बच्चों और युवाओं का डेटा उपलब्ध हो सके।
प्रसारित की है और प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द बच्चों की सुरक्षित वापसी सुनिश
यह मामला सिर्फ एक जिले के छह बच्चों का नहीं है, बल्कि झारखंड की उस बड़ी समस्या का संकेत है, जहां बेहतर भविष्य की तलाश में लोग असुरक्षित हालात में पलायन करते हैं। अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन किस तेजी और गंभीरता से कार्रवाई करता है और क्या ये बच्चे सुरक्षित घर लौट पाते है ।