
Gumla: “गुमला में 14 साल की बच्ची ने रोका बाल विवाह, पढ़ाई के लिए दिखाई हिम्मत।”
गुमला। झारखंड के गुमला जिले से एक सकारात्मक और प्रेरणादायक खबर सामने आई है, जहां एक 14 वर्षीय बच्ची ने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाकर समाज के सामने एक मिसाल पेश की है। आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली इस किशोरी के माता-पिता उसकी कम उम्र में शादी कराने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन बच्ची ने दृढ़ संकल्प दिखाते हुए शादी की जगह शिक्षा को प्राथमिकता दी। उसकी हिम्मत और सजगता के कारण यह बाल विवाह रुक सका।
मामला तब सामने आया जब किसी जागरूक नागरिक ने इस बात की जानकारी चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) को दी। सूचना मिलते ही चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम तुरंत हरकत में आई और पूरे मामले की जानकारी बाल कल्याण समिति (CWC) को दी। इसके बाद बाल कल्याण समिति की ओर से एक टीम गठित कर बच्ची के घर पहुंचा गया और स्थिति का जायजा लिया गया।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बच्ची के माता-पिता उसकी शादी करने पर अड़े थे, जबकि बच्ची खुद आगे पढ़ना चाहती थी और बाल विवाह के खिलाफ थी। बच्ची की भावनाओं और उसके भविष्य को ध्यान में रखते हुए बाल कल्याण समिति ने समझाइश के साथ माता-पिता को समझाया और उन्हें बाल विवाह की कानूनी सजा और सामाजिक दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी।
समिति की समझाइश और कानूनी चेतावनी के बाद बच्ची के माता-पिता ने अपनी गलती स्वीकार की और शादी की योजना को तत्काल रद्द कर दिया। उन्होंने वादा किया कि अब वे अपनी बेटी को आगे पढ़ने देंगे और उसकी इच्छा के अनुसार उसे शिक्षा का पूरा अवसर देंगे।
बाल विवाह के विरुद्ध एक सशक्त उदाहरण
यह घटना बाल विवाह के खिलाफ एक मजबूत उदाहरण बनकर सामने आई है। जहां एक ओर बच्ची ने साहस दिखाया, वहीं दूसरी ओर चाइल्ड हेल्पलाइन और बाल कल्याण समिति ने त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई करते हुए उसका साथ दिया। यह दर्शाता है कि जब बच्चे और समाज मिलकर गलत पर आवाज उठाते हैं, तो बदलाव संभव होता है।
समाज में जागरूकता फैलाना जरूरी
बाल विवाह जैसी कुप्रथाएं अब भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में गहराई से जमी हुई हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाएं समाज को एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकती हैं। प्रशासन और सामाजिक संगठनों का यह दायित्व बनता है कि वे गांव-गांव जाकर लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों और शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करें।