
Municipal elections in jharkhand: झारखंड में अब तक नहीं हुए नगर निकाय चुनाव, जानिए देरी की असली वजह और मौजूदा हालात।
रांची। झारखंड में नगर निकाय चुनाव को लेकर लंबे समय से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जहाँ अन्य राज्यों में समय-समय पर नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत के चुनाव हो रहे हैं, वहीं झारखंड में पिछले कई महीनों से निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हो सका है। इससे न सिर्फ आम जनता में भ्रम की स्थिति है, बल्कि प्रशासनिक कामकाज भी प्रभावित हो रहा है।
क्या है चुनाव में देरी की मुख्य वजह?
नगर निकाय चुनाव की देरी के पीछे सबसे बड़ी वजह है ओबीसी आरक्षण से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया। झारखंड सरकार चाहती है कि स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग (OBC) को भी आरक्षण का लाभ मिले। लेकिन सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि OBC आरक्षण देने से पहले तीन स्तरीय परीक्षण (Triple Test) को पूरा करना अनिवार्य है।
इस प्रक्रिया में:
1. राज्य स्तर पर पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या का वैज्ञानिक आधार पर सर्वेक्षण
2. राजनीतिक प्रतिनिधित्व के संदर्भ में OBC की स्थिति का आकलन
3. आरक्षण की सीमा 50% से अधिक न हो
इन तीनों शर्तों को पूरा किए बिना OBC को आरक्षण नहीं दिया जा सकता। झारखंड सरकार फिलहाल इन बिंदुओं पर काम कर रही है, लेकिन प्रक्रिया में समय लग रहा है।
कोर्ट में भी चल रही है सुनवाई
ओबीसी आरक्षण से जुड़े मसले पर अदालत में कई याचिकाएं लंबित हैं। झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से कई बार पूछा है कि चुनावों में हो रही देरी का औचित्य क्या है। कोर्ट की नजरें भी सरकार की तैयारियों पर टिकी हैं।
जनता और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
नगर निकाय चुनाव टलने से जनता में नाराजगी है। कई शहरों और कस्बों में स्थानीय प्रतिनिधि न होने से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। वहीं, विपक्षी दल सरकार पर जानबूझकर चुनाव टालने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार जनाक्रोश से बचना चाहती है, इसलिए तकनीकी कारणों का सहारा ले रही है।
प्रशासनिक प्रभाव
स्थानीय निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधि न होने से कई योजनाएं सिर्फ कागजों पर चल रही हैं। नगर निगमों और नगर परिषदों में प्रशासकों को नियुक्त किया गया है, लेकिन उनकी सीमित शक्तियों के कारण निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो गई है।
आगे क्या?
झारखंड सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह जल्द ही तीन स्तरीय परीक्षण की प्रक्रिया को पूरा कर अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करेगी। इसके बाद ही चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकेगी। यदि सब कुछ तय समय पर हुआ, तो 2025 के अंत तक नगर निकाय चुनाव कराए जाने की संभावना है।