
Ganga Dusherra: राजमहल में गंगा दशहरा पर श्रद्धा का महासंगम,उत्तर वाहिनी गंगा में हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई पुण्य की डुबकी।
राजमहल। गंगा दशहरा के पावन अवसर पर झारखंड के साहिबगंज जिले के ऐतिहासिक नगर राजमहल में एक बार फिर आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। सोमवार की सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु उत्तर वाहिनी गंगा तट पर एकत्र हुए और गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जन किया। चारों ओर सिर्फ “गंगा मैया की जय” और “हर हर गंगे” के जयघोष गूंज रहे थे।
उत्तर वाहिनी गंगा का विशेष महत्व
गौरतलब है कि सामान्यतः गंगा नदी दक्षिण दिशा की ओर बहती है, लेकिन राजमहल में वह उत्तर की ओर बहती है, जिसे ‘उत्तर वाहिनी गंगा’ कहा जाता है। हिन्दू धर्मग्रंथों में उत्तर वाहिनी गंगा को अत्यंत शुभ और मोक्षदायिनी माना गया है। यही कारण है कि गंगा दशहरा जैसे पर्व पर यहां देशभर से श्रद्धालु आकर डुबकी लगाते हैं। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से दस प्रकार के पापों का नाश होता है और व्यक्ति को जीवन में शांति व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़, भक्तिमय माहौल
सुबह की पहली किरण के साथ ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगनी शुरू हो गई। महिलाएं, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग – सभी ने आस्था के साथ गंगा में स्नान किया। स्नान के बाद लोगों ने गंगा माता की विधिवत पूजा-अर्चना की, दीप प्रज्वलित किए और पुष्प अर्पित किए। कई श्रद्धालु अपने साथ गंगाजल भरकर भी ले गए, जिसे वे घर में पूजा या शुभ कार्यों में उपयोग करते हैं।
घाटों पर भजन-कीर्तन, मंत्रोच्चारण और गंगा आरती ने वातावरण को पूरी तरह आध्यात्मिक बना दिया। कुछ सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं द्वारा श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क जलपान और प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की गई थी।
प्रशासन ने किए कड़े इंतजाम
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के लिए पुख्ता इंतजाम किए थे। घाटों पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी, साथ ही स्वयंसेवक भीड़ को नियंत्रित करने में सहयोग कर रहे थे। मेडिकल टीम और एंबुलेंस की भी तैनाती की गई थी ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। नगर परिषद द्वारा घाटों की साफ-सफाई और रोशनी की व्यवस्था भी की गई थी।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रियाएं
घाट पर आए एक श्रद्धालु, रमेश प्रसाद ने कहा, “हर साल हम राजमहल गंगा दशहरा पर जरूर आते हैं। यहाँ की गंगा उत्तरवाहिनी है और यहां स्नान करने से मन को असीम शांति मिलती है।” वहीं एक महिला श्रद्धालु, सरिता देवी ने कहा, “गंगा दशहरा पर डुबकी लगाने से जीवन के पाप कट जाते हैं। हम पूरे परिवार के साथ यहाँ आए हैं।”
सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक
राजमहल का यह धार्मिक आयोजन केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। यह आयोजन लोगों को न केवल धर्म के प्रति जागरूक करता है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव की भावना को भी मजबूती देता है।