
Deoghar: विधिवत पूजा अर्चना के बाद बाबा मंदिर के शीर्ष पर लगाया गया पंचशूल।
देवघर में शिव पार्वती विवाह उत्सव की दूसरी प्रक्रिया संपन्न करा ली गई है पौराणिक परंपराओं के मुताबिक आज देवघर के बाबा मंदिर में सभी 22 मंदिर के पंचशूल की वैदिक रीति-रिवाज के साथ पूजा अर्चना की गई अधिकारी और सरदार पंडा की मौजूदगी में तकरीबन 2 से 3 घंटे पूजा होने के बाद बारी बारी से सभी मंदिरों पर पंचशूल को पुनः स्थापित किया गया सबसे पहले बाबा मंदिर और पार्वती मंदिर के गुम्बज पर पंचशूल स्थापित हुए विश्व के एकलौता मंदिर बाबा मंदिर है जहां पर त्रिशूल की जगह पंचशूल है शिवरात्रि के 2 दिन पहले इसे विधि विधान के साथ उतारा जाता है और शिवरात्रि के 1 दिन पहले इसे पुनः गुंबज पर स्थापित कर दिया जाता है ,देवघर बाबा मंदिर के सरदार पंडा गुलाब आनंद झा ने बताया कि पंचशूल उतारने से लेकर पंचशूल चढ़ाने तक पार्वती और शिव मंदिर के बीच गठबंधन बंद कर दिया जाता है आज विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने के बाद मंदिरों पर पंचशूल स्थापित किया गया और इनके द्वारा पहला गठबंधन माता पार्वती और शिव मंदिर के बीच किया गया इसके बाद आम श्रद्धालु इसमें गठबंधन कर सकते हैं पंचशूल स्थापित करने वाले तीर्थ पुरोहित बताते हैं कि यह काफी पुरानी परंपरा रही है क्योंकि यहां शक्तिपीठ है ऐसे में शिव और पार्वती का मिलन कराने के उपरांत शिवरात्रि के एक दिन पहले मंदिर के शीर्ष पर स्थापित किया जाता है इस बीच गठबंधन बंद रहता है और आज से गठबंधन शुरू कर दिया गया है कल चार प्रहर में बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना होगी गौरतलब है कि देवघर बाबा मंदिर विश्व का इकलौता मंदिर है जहां त्रिशूल की जगह पंचशूल होता है जो पांच तत्वों का परिचायक है बताया जाता है कि रावण के लंका में भी इसी पंचशूल का इस्तेमाल किया जाता था जो शहर की सुरक्षा के लिए होता था देवघर में शिवरात्रि के मौके पर पंचशूल उतारने और फिर इसे स्थापित करने की परंपरा रही है