Ahmedabad Plane Crash: मौत के मंजर में ज़िंदगी की उम्मीद बनी सीट 11A, कैसे बची विश्वास की जान?

Ahmedabad Plane Crash: मौत के मंजर में ज़िंदगी की उम्मीद बनी सीट 11A, कैसे बची विश्वास की जान?

अहमदाबाद। अहमदाबाद विमान हादसा, जिसने देशभर को हिला कर रख दिया, उसमें 265 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। इस भयावह मंजर में हर तरफ चीख-पुकार, आग की लपटें और मौत का साया मंडरा रहा था। लेकिन इन सबके बीच एक चमत्कारिक कहानी सामने आई—सीट नंबर 11A पर बैठे विश्वास कुमार रमेश की, जिन्होंने इस भीषण हादसे से जिंदा बाहर आने में सफलता पाई।

जब एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर VT-ANB विमान ने उड़ान भरी थी, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि कुछ ही देर में ये विमान हादसे का शिकार हो जाएगा। टेकऑफ के कुछ ही समय बाद विमान में तकनीकी खराबी आई और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे की भयावहता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि 265 यात्री अपनी जान गंवा बैठे। लेकिन इसी विमान में बैठे थे विश्वास कुमार रमेश, जो सीट 11A पर बैठे थे—और यहीं से शुरू होती है एक अविश्वसनीय बचाव की कहानी।

सीट 11A: मौत के बीच बनी जीवन की ढाल

ड्रीमलाइनर जैसे विमानों में सीटों की संरचना कुछ इस प्रकार होती है कि सीट 11A इकॉनॉमी क्लास की शुरुआत में आती है और अक्सर यह बाईं ओर की खिड़की वाली सीट होती है। इस सीट की खास बात ये है कि यह आमतौर पर फ्रेम स्ट्रक्चर के पास और कभी-कभी इमरजेंसी एग्जिट के निकट स्थित होती है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि:

सीट की स्थिति: विंडो साइड सीटों पर रेस्क्यू टीम जल्दी पहुंच सकती है।

सुरक्षा ढांचा: विमान के बीच या किनारे की ओर की सीटों के आसपास का स्ट्रक्चर अधिक मजबूत होता है।

एग्जिट के निकटता: यदि यह सीट इमरजेंसी गेट के पास हो, तो बाहर निकलने का रास्ता जल्दी मिल सकता है।

विश्वास के साथ भी ऐसा ही हुआ। हादसे के तुरंत बाद, उन्हें मामूली चोटें आईं, लेकिन उनकी जान बच गई। रेस्क्यू टीम ने पहले उन्हीं हिस्सों को टारगेट किया जो कम क्षतिग्रस्त थे और जिनसे धुआं और आग कम निकल रही थी।

क्या कहती हैं एविएशन रिपोर्ट्स?

वैज्ञानिक और एविएशन विशेषज्ञों के मुताबिक, विमान के पिछले हिस्से या खिड़की के पास बैठने वाले यात्रियों के बचने की संभावना लगभग 69% तक होती है। यदि यात्री इमरजेंसी एग्जिट के पास बैठा हो और घटना के समय सतर्क हो, तो उसकी जान बचने की संभावना और बढ़ जाती है।

हालांकि, यह भी माना जाता है कि कई बार किस्मत और सूझबूझ ही सबसे बड़ा हथियार बन जाती है, जैसा कि विश्वास कुमार रमेश के मामले में देखने को मिला।

विश्वास की कहानी: एक उम्मीद, एक सबक

जहां पूरा विमान हादसे की आग में जल गया, वहां विश्वास कुमार की कहानी उन लाखों लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण बन गई है। यह हादसा न सिर्फ एविएशन इंडस्ट्री के लिए चेतावनी है, बल्कि आम यात्रियों के लिए भी यह संदेश देता है कि सुरक्षा निर्देशों का पालन और सतर्कता कभी-कभी जीवन रक्षक बन सकती है।

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