
Deoghar: वरिष्ठ शिक्षाविद् और विद्वान डॉ. मनोज कुमार सिन्हा का निधन
देवघर। झारखंड देवघर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य और राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ मनोज कुमार सिन्हा का निधन बीती रात 10 जून 2025 को हो गया। पिछले कुछ समय से वो बीमार थे, और मई महीने में तकलीफ बढ़ने पर उन्हें देवघर से कोलकाता ले जाया गया था जहां उनका इलाज चल रहा था। । लगभग पांच दशकों तक शिक्षा, प्रशासन और सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे डॉ. सिन्हा की विरासत प्रेरणादायक है।
अपने 40 साल के लंबे करियर में डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने देवघर कॉलेज में कई पीढ़ियां के बच्चों को पढ़ाने के साथ अनेक अन्य जिम्मेदारियों को निभाया। विभागाध्यक्ष रहते हुए उन्होंने आदिवासी कल्याण छात्रावास के वार्डन की जिम्मेदारी भी निभाई। देवघर टाउन हॉल, देवघर क्लब और अन्य जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों को सूचीबद्ध तरीके से आयोजित करने से लेकर, देवघर स्टेडियम में क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित करने में वो आगे रहते। अपने युवावस्था से ही खुद खेल कूद में माहिर रहते हुए उन्होंने देवघर के सभी ऐसे सामूहिक आयोजनों में अपनी शोखी, अनुभव, अंदाज और आवाज से लोगों का दिल जीतते रहे।
एक उत्कृष्ट शिक्षक होने के साथ-साथ वे एक कुशल प्रशासक भी थे। वे एस.के.एम विश्वविद्यालय में डीन, स्टूडेंट्स वेलफेयर और डीन, ट्रेनिंग, डेवलपमेंट एवं प्लेसमेंट रहे। साथ ही, उन्होंने कार्यकारी कुलपति, प्रोकुलपति और कुलसचिव के रूप में भी सेवाएँ दीं। कॉलेज स्तर पर वे परीक्षा नियंत्रक, प्रवेश प्रभारी और 1992 से राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
सत्तर के दशक में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से अपने स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की, और वहां गोल्ड मेडलिस्ट रहे। देश में लगी इमरजेंसी के दौरान भी उन्होंने राजनैतिक दमन के खिलाफ आवाज उठाई और समाज में विचार और विमर्श की संस्कृति को मजबूत करने का बीड़ा उठाया। काम की शुरुआत उन्होंने भागलपुर विश्वविद्यालय के टी. एन. बी कॉलेज से की।। अपने पिता डॉ एस नाथ के कहने पर देवघर वापस आकर उन्होंने कॉलेज में प्रोफेसर के नौकरी कर ली। सेवा निवृति से पूर्व उन्होंने सिदो कान्हु मुर्मू वो विश्वविद्यालय, दुमका में छात्र अधिष्ठाता (डीन) का प्रभार सँभाला, और फिर देवघर कॉलेज में प्रधानाध्यापक हो के रिटायर हुए। शहर के कई पुराने और गणमान्य लोगों ने उनके बहु-आयामीय व्यक्तित्व, क्रमबद्ध तरीके से प्रशासन व्यवस्था में निपुणता और मानवीय मूल्यों से जुड़ाव को याद करते हुए परिवार को शोक संदेश भेजे है।
डॉ. सिन्हा खेल और संस्कृति के क्षेत्र में भी अग्रणी रहे। उन्होंने विश्वविद्यालय और राज्य स्तर की टीमों का प्रबंधन किया तथा रंगमंच, मंच संचालन और सांस्कृतिक आयोजनों में सक्रिय भूमिका निभाई। वे बिहार राज्य खो-खो महिला टीम के प्रबंधक, ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट्स में कई खेल टीमों के प्रतिनिधि तथा जिला खेल संघ, देवघर के सचिव भी रहे। उन्होंने देवघर महोत्सव, पुस्तक मेले तथा स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोहों में समन्वयक, उद्घोषक और आयोजक के रूप में उल्लेखनीय कार्य किया।
उन्हें देवघर जिला प्रशासन और चंद्रकांत संगीत विद्यापीठ द्वारा विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया था। वे एक समर्पित शिक्षक, मार्गदर्शक, प्रशासक और सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।
डॉ. सिन्हा को 2016 में सेवा निवृति मिली थी, जिसके बाद वो देवघर में रहते हुए अपने घर में परिवार, बच्चों, और अपने बगीचे की देखभाल में लगे हुए थे। वो अपने पीछे एक भरा पूरा परिवार छोड़कर जा रहे जिसमें उनकी पत्नी दीप्ति सिन्हा, छोटे भाई नीरज कुमार सिन्हा, पुत्र सुष्मित नाथ, बहनें, बेटियां, बहु, भतीजे भतीजी, भांजे भांजी और छोटे नाती पोते है।
उनके निधन से शिक्षण समुदाय, सहकर्मी, विद्यार्थी और प्रशंसक गहरे शोक में हैं