
आपातकाल की निंदा में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पारित किया प्रस्ताव
लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन और नागरिक अधिकारों के दमन को बताया गया “काला अध्याय”
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 1975 में लगाए गए आपातकाल की कड़ी निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि आपातकाल के दौरान देशभर में लोकतांत्रिक मूल्यों का घोर उल्लंघन हुआ और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया।
सरकार ने इसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का “काला अध्याय” बताया। प्रस्ताव में उस दौर की राजनीतिक ज्यादतियों, मीडिया सेंसरशिप, असहमति की आवाज़ों को दबाने और संविधान के दुरुपयोग जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में कहा कि, “आपातकाल केवल एक राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक आत्मा पर हमला था। इसे भूलना नहीं चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।”
सरकार का यह कदम विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस को निशाने पर लेने के रूप में भी देखा जा रहा है, जिसने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में आपातकाल लागू किया था।
मंत्रिमंडल के इस फैसले को राजनीतिक और ऐतिहासिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब देश में लोकतंत्र और संविधान की मूल भावना पर विमर्श जारी है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 1975 में लगाए गए आपातकाल की कड़ी निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि आपातकाल के दौरान देशभर में लोकतांत्रिक मूल्यों का घोर उल्लंघन हुआ और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया।
सरकार ने इसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का “काला अध्याय” बताया। प्रस्ताव में उस दौर की राजनीतिक ज्यादतियों, मीडिया सेंसरशिप, असहमति की आवाज़ों को दबाने और संविधान के दुरुपयोग जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में कहा कि, “आपातकाल केवल एक राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक आत्मा पर हमला था। इसे भूलना नहीं चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।”
सरकार का यह कदम विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस को निशाने पर लेने के रूप में भी देखा जा रहा है, जिसने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में आपातकाल लागू किया था।
मंत्रिमंडल के इस फैसले को राजनीतिक और ऐतिहासिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब देश में लोकतंत्र और संविधान की मूल भावना पर विमर्श जारी है।