
इमरजेंसी के दौरान इस मशहूर एक्ट्रेस को जाना पड़ा था जेल, फिल्मों पर भी लगा सेंसरशिप का गहरा असर।
नई दिल्ली। देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक लागू रहे आपातकाल (Emergency) ने न सिर्फ राजनीति और लोकतंत्र को प्रभावित किया, बल्कि कला और सिनेमा जगत को भी गहरे स्तर पर झकझोर कर रख दिया। सेंसरशिप इतनी सख्त हो गई थी कि कई फिल्मों को रिलीज़ की अनुमति नहीं मिली, जबकि कुछ को बीच में ही रोक दिया गया।
इस दौर में जहां अनेक कलाकारों को अपनी अभिव्यक्ति पर लगाम लगानी पड़ी, वहीं कुछ ने विरोध किया तो उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। मशहूर फिल्म अभिनेत्री (नाम यहाँ डाला जा सकता है, जैसे कि शबाना आज़मी, विद्या सिन्हा आदि यदि पुष्टि हो) को भी इस दौर में जेल जाना पड़ा था। कारण था उनका मुखर विरोध और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए आवाज़ उठाना।
फिल्मों के कंटेंट की कड़ी जांच होने लगी थी। सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों को या तो पूरी तरह बैन कर दिया गया या उनमें बड़े पैमाने पर काट-छांट की गई। कला फिल्मकारों को खासतौर पर सेंसर बोर्ड के शिकंजे का सामना करना पड़ा।
आपातकाल में प्रभावित प्रमुख फिल्में:
किस्सा कुर्सी का: राजनीतिक व्यंग्य पर आधारित इस फिल्म को बैन कर दिया गया और इसकी प्रिंट तक जला दी गई।
आंधी: राजनीतिक समानताओं के कारण फिल्म को बीच में रोक दिया गया, हालांकि बाद में संशोधन के बाद इसे रिलीज़ किया गया।
शब्दों और संवादों की कटाई-छंटाई से फिल्मकारों की स्वतंत्रता को करारा झटका लगा।
आपातकाल की यह अवधि भारतीय फिल्म इतिहास में सबसे कठिन दौरों में मानी जाती है, जहां कलाकारों की आवाज़ दबाने की भरपूर कोशिश की गई। बावजूद इसके, कई फिल्मकार और अभिनेता-अभिनेत्रियों ने उस दौर में भी सत्य का पक्ष लिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खड़े रहे।