
आज से शुरू होगी पुरी की भव्य रथ यात्रा: जानिए जगन्नाथ रथ यात्रा की आध्यात्मिक शक्ति, परंपरा और विशेष महत्व।
आज से उड़ीसा के पुरी नगर में विश्वविख्यात जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ हो रहा है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव है जिसमें करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। पुरी की रथ यात्रा को भारत के चार सबसे बड़े तीर्थों में से एक माना जाता है और इसे “धरती पर देवताओं की सवारी” के रूप में देखा जाता है।
हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकलने वाली यह रथ यात्रा भगवान श्रीजगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को नगर भ्रमण पर ले जाती है। भक्तगण इसे अद्भुत, अलौकिक और आत्मिक अनुभव मानते हैं।
रथ यात्रा का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व
पुरी की रथ यात्रा हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा है जो न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी है बल्कि आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति से भी।
आध्यात्मिक मान्यता:
जगन्नाथ यानी “संपूर्ण सृष्टि के स्वामी”। माना जाता है कि रथ यात्रा में शामिल होने या रथ को खींचने मात्र से व्यक्ति को जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। यह यात्रा आत्म-विकास, भक्ति और विनम्रता का प्रतीक मानी जाती है।
शास्त्रों के अनुसार:
गरुड़ पुराण और स्कंद पुराण में उल्लेख है कि जो व्यक्ति रथ यात्रा में भाग लेता है या रथ को खींचता है, उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। यह पर्व व्यक्ति को सांसारिक मोह और अहंकार से मुक्त करता है।
तीन रथ, तीन देवता – विशेष महत्व
1. भगवान जगन्नाथ का रथ: नन्दिघोष, 16 पहियों वाला, लाल और पीले रंग का।
2. बलभद्र जी का रथ: तालध्वज, 14 पहियों वाला, लाल और नीले रंग का।
3. सुभद्रा जी का रथ: दर्पदलन, 12 पहियों वाला, काले और लाल रंग का।
हर रथ को हजारों भक्त रस्सियों से खींचते हैं और “जय जगन्नाथ” के जयघोष से सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
यात्रा का प्रमुख पड़ाव – गुंडिचा मंदिर
तीनों रथ पुरी के मुख्य मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं, जहाँ भगवान एक सप्ताह तक निवास करते हैं। इसे माता यशोदा का घर भी कहा जाता है। फिर “बहुदा यात्रा” के दौरान वे वापसी करते हैं।
रथ यात्रा की सांस्कृतिक छटा
यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं, सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर पारंपरिक ओडिया संगीत, लोकनृत्य, चित्रकला, हस्तशिल्प और स्थानीय खानपान की विविधता देखने को मिलती है। दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक इसे उत्सव की तरह मनाते हैं।
अद्भुत दृश्य – करोड़ों की आस्था
रथ यात्रा के दौरान लाखों-करोड़ों श्रद्धालु पुरी में एकत्र होते हैं। सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ता है। प्रशासन द्वारा सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए जाते हैं। टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इसका सीधा प्रसारण होता है, ताकि जो लोग वहाँ उपस्थित नहीं हो सकते, वे भी इससे जुड़ सकें।
रथ यात्रा से जुड़ा एक प्रेरणादायक संदेश
यह यात्रा हमें यह भी सिखाती है कि ईश्वर केवल मंदिर में नहीं, बल्कि हर भक्त के हृदय में निवास करते हैं। जब भगवान स्वयं नगर भ्रमण पर निकलते हैं, तो वह समभाव, सेवा और समर्पण का संदेश देते हैं। यह उत्सव सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोगों को एक सूत्र में बाँधता है।
पुरी की रथ यात्रा केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, भक्ति और परंपरा की जीती-जागती मिसाल है। इसमें भाग लेना जीवन को नई दिशा देने जैसा अनुभव है। यदि संभव हो, तो एक बार जीवन में यह यात्रा अवश्य देखनी चाहिए।