
8 दिन, 5 देश, एक मिशन: ‘ग्लोबल साउथ’ की बुलंद आवाज बनकर उभरे पीएम मोदी, भारत की विदेश नीति को मिली नई ऊंचाई।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका को मजबूत करते हुए 8 दिन के भीतर 5 देशों के महत्वपूर्ण दौरे पर निकल पड़े हैं। यह यात्रा न केवल भारत की सशक्त विदेश नीति का प्रतीक है, बल्कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों की आवाज बनने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम भी मानी जा रही है।
पीएम मोदी की यह बहुचर्चित यात्रा न सिर्फ कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और नेतृत्व क्षमता को भी दर्शाती है। इस दौरे के दौरान पीएम मोदी ने आर्थिक सहयोग, रणनीतिक भागीदारी, जलवायु परिवर्तन, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और वैश्विक न्याय जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा की।
‘ग्लोबल साउथ’ की भूमिका में भारत
‘ग्लोबल साउथ’ शब्द उन विकासशील देशों के समूह को दर्शाता है जो ऐतिहासिक रूप से पश्चिमी शक्तियों की तुलना में कमजोर माने जाते रहे हैं। लेकिन बीते कुछ वर्षों में भारत ने इन देशों की सामूहिक आवाज बनकर वैश्विक मंच पर उनकी समस्याओं और आकांक्षाओं को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पीएम मोदी की यह यात्रा भी उसी दृष्टिकोण से देखी जा रही है — जहां भारत “विकास का साझीदार” बनकर उभरा है, न कि केवल एक दाता या रिसीवर के रूप में।
पीएम मोदी किन-किन देशों के दौरे पर गए?
प्रधानमंत्री मोदी ने जिन 5 देशों का दौरा किया, उनमें से प्रत्येक के साथ भारत के सामरिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत करने का उद्देश्य रहा।
यात्रा के मुख्य उद्देश्य थे:
1. द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना
2. ग्लोबल साउथ के लिए साझा मंच तैयार करना
3. नवीन तकनीक और ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में साझेदारी
4. डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना
विदेशों में भारत की छवि को मिला नया आयाम
पीएम मोदी की इन बैठकों और समझौतों के दौरान भारत ने यह स्पष्ट किया कि वह अब सिर्फ एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका में भी है। कई देशों ने भारत को साझा विकास, जलवायु न्याय और डिजिटल ट्रांजिशन का मजबूत सहयोगी बताया।
वैश्विक मंच पर भारत की बात, अब सबकी बात
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी दोहराया कि भारत केवल अपने लिए नहीं, बल्कि विकासशील और उपेक्षित देशों की भी आवाज है। उन्होंने यह संदेश दिया कि विकास का रास्ता सभी के लिए खुला होना चाहिए, न कि केवल अमीर देशों के लिए।
8 दिन, 5 देशों का दौरा और हर कदम पर एक ही मकसद – भारत को ‘ग्लोबल साउथ’ का आधिकारिक चेहरा और आवाज बनाना। यह यात्रा ना सिर्फ कूटनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि एक वैश्विक भारत की तस्वीर को भी पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत करती है।
भारत अब वैश्विक मुद्दों पर सिर्फ श्रोता नहीं, निर्णायक भूमिका निभा रहा है — और इस बदले हुए भारत का चेहरा हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।