
Today’s healthtip: बरसात में सेहत का रखें खास ख्याल, दही से हो सकता है नुकसान, जानिए क्यों बारिश के मौसम में दही खाने से करना चाहिए परहेज।
दही को आमतौर पर सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। यह प्रोबायोटिक गुणों से भरपूर होता है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। गर्मियों में इसका सेवन शरीर को ठंडक देता है, और पेट को दुरुस्त रखता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही दही बरसात के मौसम में आपकी सेहत पर उल्टा असर डाल सकता है?
आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही इस बात को मानते हैं कि मॉनसून के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित या टालना बेहतर होता है, और दही उनमें से एक है। आइए विस्तार से जानते हैं कि बरसात के मौसम में दही क्यों नहीं खाना चाहिए, और इसके क्या संभावित नुकसान हो सकते हैं।
बरसात में दही खाने से होने वाले नुकसान
1. कफ बढ़ाने वाला तत्व
बरसात के मौसम में वातावरण में पहले से ही नमी और ठंडक होती है। ऐसे में दही का सेवन शरीर में कफ (बलगम) बढ़ा सकता है, जिससे जुकाम, खांसी, गला बैठना या बलगमी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
2. पाचन तंत्र पर असर
मानसून में हमारा पाचन तंत्र सामान्य की तुलना में कमजोर हो जाता है। दही ठंडी तासीर का होता है और इसमें नैचुरल अम्लता होती है, जिससे इसे पचाना मुश्किल हो जाता है। इससे गैस, एसिडिटी और अपच की समस्या हो सकती है।
3. संक्रमण का खतरा
मॉनसून में बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं और दही एक फर्मेंटेड फूड होने के कारण जल्दी संक्रमित हो सकता है। इस मौसम में ठीक से जमा न हो पाने या दूषित दही खाने से फूड पॉयजनिंग और पेट के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
4. जोड़ों के दर्द और सूजन की समस्या
जो लोग पहले से ही गठिया या जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं, उनके लिए दही और ज्यादा परेशानी का कारण बन सकता है। इसकी ठंडी प्रकृति शरीर में सूजन और जकड़न बढ़ा सकती है।
अगर दही खाना हो तो बरतें ये सावधानियां
दही को कम मात्रा में खाएं, और कोशिश करें कि दोपहर में ही सेवन करें, रात में नहीं।
दही में काला नमक, काली मिर्च या सोंठ पाउडर मिलाकर खाएं ताकि उसका वात-कफ संतुलन बना रहे।
ठंडा या फ्रिज में रखा दही न खाएं।
खट्टा या बहुत पुराना दही बिल्कुल न खाएं।
यदि आप नियमित रूप से दही खाते हैं, तो इस मौसम में इसकी जगह पर छाछ (buttermilk) या गुनगुना दूध एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण क्या कहता है?
आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त और कफ तीनों ही शरीर के त्रिदोष होते हैं। दही कफवर्धक होता है, और वर्षा ऋतु में जब वातावरण स्वाभाविक रूप से कफ को प्रबल करता है, उस समय दही जैसी ठंडी व भारी चीज़ों से दूरी बनाना ही बेहतर होता है।
दही एक बेहतरीन और स्वास्थ्यवर्धक आहार है, लेकिन हर मौसम में हर चीज़ लाभदायक नहीं होती। मानसून में दही का सीमित या नियंत्रित सेवन ही फायदेमंद होता है। खासकर जिन लोगों को पहले से सांस, पाचन या गठिया से जुड़ी समस्याएं हैं, उन्हें इस दौरान दही से परहेज करना चाहिए।
डिस्क्लेमर (Disclaimer):
यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। इसमें बताए गए सुझाव किसी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं हैं। दही के सेवन या किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या को लेकर विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होगा।Newsbag किसी उपचार या आहार के प्रभाव की व्यक्तिगत गारंटी नहीं देता।