Deoghar: देवघर में झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक की सभी शाखाएं रही बंद, करोड़ों का कारोबार प्रभावित

Deoghar: देवघर में झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक की सभी शाखाएं रही बंद, करोड़ों का कारोबार प्रभावित

9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी औद्योगिक हड़ताल में बैंक कर्मियों की अभूतपूर्व भागीदारी

देवघर। केंद्रीय श्रमिक संगठनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आयोजित औद्योगिक हड़ताल का व्यापक असर बुधवार को झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक (JRGB) की शाखाओं पर दिखा। बैंक के 450 से अधिक शाखाएं एवं 8 क्षेत्रीय कार्यालय पूर्णतः बंद रहे, जिससे 200 से 250 करोड़ रुपये के दैनिक बैंकिंग कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ा।

जनहित और श्रमहित की 17 सूत्री मांगों के समर्थन में बंद रही बैंकिंग सेवाएं
हड़ताल का आयोजन केंद्र सरकार की श्रमविरोधी, जनविरोधी एवं सार्वजनिक क्षेत्र विरोधी नीतियों के विरोध में किया गया था। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में चार श्रम संहिताओं की वापसी, ग्रामीण बैंकों के निजीकरण का विरोध, और दैनिक वेतनभोगियों का नियमितीकरण प्रमुख हैं।

“हम वेतन नहीं, देश के भविष्य के लिए लड़ रहे” — नितेश कुमार मिश्रा
झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव श्री नितेश कुमार मिश्रा ने कहा,

> “यह आंदोलन केवल वेतन या सुविधाओं की बात नहीं है। यह देश की आर्थिक संप्रभुता, ग्रामीण संरचना और सार्वजनिक संस्थानों की रक्षा का संघर्ष है। सरकार द्वारा ग्रामीण बैंकों में IPO लाकर निजी पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की साजिश की जा रही है, जिसे हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

शांतिपूर्ण धरना और व्यापक भागीदारी
राज्यभर में बैंक शाखाओं और कार्यालयों के बाहर धरना, सभा और नारेबाजी का आयोजन किया गया। सक्रिय भागीदारी निभाने वाले प्रमुख कर्मियों में शामिल रहे —
संतोष कुमार, कुमार गौरव, सीनू कुमारी, सर्वोत्तम ठाकुर, धर्मेंद्र मुर्मू, आयुष कुमार, रूपेश कुमार, सोनम कुमारी, तबीशी प्रिया, अभिषेक कुमार, अशोक पांडे, सुभाष किसकू, आनंद भारती, लक्ष्मी महतो, प्रदीप मंडल, सुनील कुमार झा, प्रमोद कुमार पाठक, प्रफुल्ल कुमार ठाकुर, चंदन भारती, प्रिंस पाराशर, संजीव झा, दयानंद, राजेश, सुभाष प्रसाद मंडल, पंकज कुमार झा, उषा चंद मंडल, अशोक रक्षित, सुभाष चंद्र दुबे, रतन कुमार झा, सुनील ठाकुर, रवि शंकर झा, सुजीत कुमार, रामप्रसाद सहित अनेक साथी।

जनता से भावुक अपील
महासचिव मिश्रा ने कहा,

> “यह हड़ताल बैंक कर्मचारियों की नहीं, जनता के हक और अधिकारों की है। आप सबका समर्थन इस लड़ाई को और मजबूत करेगा। यह आपकी बचत, आपके भविष्य और आपके गांवों की आवाज़ है।”

संघर्ष और तेज़ करने की चेतावनी
हड़ताल का नेतृत्व कर रहे संगठनों — AIRRBEA, BEFI, और अन्य कर्मचारी संगठनों ने स्पष्ट संकेत दिया कि यदि सरकार श्रमविरोधी नीतियों से पीछे नहीं हटती, तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।

यह राष्ट्रव्यापी हड़ताल सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि एक संकल्प है — जनता, सार्वजनिक क्षेत्र और ग्रामीण भारत की आर्थिक रीढ़ को बचाने का। कर्मचारी, अधिकारी और सेवानिवृत्त साथी सब एक स्वर में कह रहे हैं:
“हम लड़ेंगे, हम जीतेंगे।”

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