
Deoghar: श्रावणी मेले की तैयारियों के बीच बड़ा सवाल—सावन में मांस और शराब बिक्री पर प्रशासन क्यों खामोश?
देवघर। विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला 11 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। पवित्र श्रावण मास के आगमन के साथ ही पूरे राज्य में धार्मिक उत्साह चरम पर है। सुल्तानगंज से बाबा बैद्यनाथधाम तक लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा पर निकल चुके हैं। हर साल की तरह इस बार भी झारखंड सरकार और जिला प्रशासन मेले को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहा है।
सड़क मरम्मत, स्वास्थ्य शिविर, ट्रैफिक व्यवस्था, ड्रोन से निगरानी, जगह-जगह शिविरों की व्यवस्था जैसे प्रबंधों के ज़रिये श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित की जा रही है।
लेकिन इसी बीच एक गंभीर सवाल खड़ा हो गया है—क्या प्रशासन केवल दिखावटी तैयारियों में ही जुटा है?
श्रावण माह की पवित्रता के बीच देवघर शहर के प्रमुख इलाकों—रांगा मोड़, बरमसिया चौक, VIP चौक, टावर चौक आदि—में खुलेआम मांस और शराब की दुकानें चल रही हैं। कई होटलों और ढाबों में मांसाहारी भोजन परोसा जा रहा है।
हैरानी की बात यह है कि अब तक जिला प्रशासन या झारखंड सरकार की ओर से मांस और शराब की बिक्री पर कोई प्रतिबंधात्मक आदेश या दिशानिर्देश जारी नहीं किया गया है।
सवाल उठता है—
जब कांवरिया भक्त कड़ी तपस्या, नियम-संयम और धार्मिक मर्यादा के साथ बाबा धाम पहुंचते हैं, तो क्या प्रशासन का यह दायित्व नहीं बनता कि वह श्रावण माह की पवित्रता को बनाए रखने हेतु ठोस पहल करे?
स्थानीय संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए मांग की है कि श्रावण मास के दौरान बाबा मंदिर क्षेत्र को पूरी तरह से शाकाहारी और शराब-मुक्त क्षेत्र घोषित किया जाए।
श्रद्धालुओं की अपील—
श्रद्धा और भावना का सम्मान करना हर नागरिक और प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी है। प्रशासन को इस दिशा में तत्काल सख्त कदम उठाने चाहिए, जिससे श्रावण माह की पवित्रता अक्षुण्ण बनी रहे और श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस न पहुंचे।
क्या सावन की पवित्रता बनाए रखने की जिम्मेदारी सिर्फ कांवरियों की है? क्या प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है? इस सवाल का जवाब जनता चाहती है… और वो भी अब।