
पलामू में करैत सांप का कहर: चैनपुर में सर्पदंश से दो मासूम और महिला की दर्दनाक मौत, पिता की हालत गंभीर; गांव में पसरा मातम।
चैनपुर (पलामू): झारखंड के पलामू जिले के चैनपुर प्रखंड में सर्पदंश की दो अलग-अलग दर्दनाक घटनाओं ने पूरे इलाके को दहला दिया है। इन घटनाओं में दो मासूम बच्चों और एक महिला की मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति गंभीर हालत में अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है। बताया जा रहा है कि सभी को जहरीले करैत सांप ने काटा, जिससे उनकी हालत तेजी से बिगड़ गई।
पहली घटना: बिछावन में घुसा मौत का सांप, दो मासूमों की गई जान
पहली घटना चैनपुर के नरसिंहपुर पथरा गांव की है, जहां गुरुवार की रात पूर्व मुखिया भीष्म चौरसिया के दामाद प्रेम चौरसिया और उनके दो मासूम बेटों – देवा (10) और अर्जुन (7) को करैत सांप ने सोते समय बिछावन में घुसकर डस लिया। घटना के बाद घर में अफरा-तफरी मच गई।
परिजन तीनों को तुंरत इलाज के लिए रांची ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही दोनों बच्चों ने दम तोड़ दिया। इस हृदयविदारक हादसे से पूरे गांव में मातम पसर गया। बच्चों के पिता प्रेम चौरसिया की हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है और उनका इलाज सतबरवा के तुमबगड़ा हॉस्पिटल में चल रहा है। बताया जा रहा है कि मृतक परिवार, डाल्टनगंज विधायक आलोक चौरसिया के करीबी रिश्तेदार हैं।
दूसरी घटना: ज़मीन पर सो रहे दंपत्ति को सांप ने काटा, पत्नी की मौत
चैनपुर के ही बासडीह गांव में एक और सर्पदंश की घटना सामने आई है, जिसमें भिखारी भुईयां और उनकी पत्नी शकुंतला देवी (उम्र 50 वर्ष) को भी करैत सांप ने डस लिया। दंपत्ति रात में ज़मीन पर सो रहे थे, तभी सांप ने अचानक हमला कर दिया। परिजनों ने तुंरत दोनों को मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया।
इलाज के दौरान शकुंतला देवी की मौत हो गई, जबकि भिखारी भुइयां की हालत अब स्थिर बताई जा रही है। घटना की जानकारी मिलते ही विधायक के करीबी और स्थानीय जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को सांत्वना दी।
गांवों में शोक और दहशत का माहौल
इन दोहरी घटनाओं के बाद नरसिंहपुर पथरा और बासडीह गांव में मातम और भय का माहौल है। लोग सहमे हुए हैं और कई परिवार अब जमीन पर सोने से डरने लगे हैं। करैत सांप का जहर इतना तेज होता है कि अगर समय पर इलाज न मिले, तो जान बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से सांप रोधी अभियान, स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था और एंटी-वेनम दवाओं की उपलब्धता बढ़ाने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की तैयारी पर उठे सवाल
इस दर्दनाक हादसे ने स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्षेत्रीय अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता कम है, और अस्पतालों तक समय पर पहुंचना ग्रामीण इलाकों में आज भी एक चुनौती बना हुआ है। अगर समय रहते प्राथमिक उपचार मिल जाता, तो शायद मासूम बच्चों और महिला की जान बचाई जा सकती थी।
चैनपुर की ये घटनाएं न सिर्फ जहरीले सांपों के खतरों को उजागर करती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं कितनी लचर हैं। अब समय है कि प्रशासन सर्पदंश जैसी आपात स्थितियों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर, जागरूकता अभियान और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करे, ताकि किसी परिवार को फिर ऐसे भयानक मंजर से न गुजरना पड़े।