
International News: अमेरिका के टैरिफ हमले से डगमगाया भारतीय रुपया: डॉलर के मुकाबले गिरावट की आशंका।
नई दिल्ली। भारतीय मुद्रा रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर खुल सकता है। इसकी प्रमुख वजह है पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूरोपीय संघ और मेक्सिको से आने वाले उत्पादों पर 30% टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की घोषणा। इस फैसले ने वैश्विक व्यापारिक माहौल में अनिश्चितता को बढ़ा दिया है, जिससे उभरते बाजारों की मुद्राओं पर नकारात्मक असर पड़ा है।
डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर क्यों?
अमेरिका के इस कड़े फैसले से वैश्विक निवेशकों में डर का माहौल है। डॉलर की मांग बढ़ने के कारण उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी जैसे कि भारतीय रुपया पर दबाव देखा जा रहा है। कारोबारी विशेषज्ञों के अनुसार रुपया आज 83.40 से 83.50 प्रति डॉलर के बीच खुलने की संभावना है, जो कि पिछले हफ्ते के मुकाबले गिरावट को दर्शाता है।
वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता
अमेरिका और यूरोप के बीच व्यापार युद्ध जैसी स्थिति बन रही है।
भारत जैसी अर्थव्यवस्थाएं, जो निर्यात और आयात दोनों में अमेरिका व यूरोप पर निर्भर हैं, उन पर प्रतिकूल असर हो सकता है।
ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि रूस–यूक्रेन युद्ध नहीं रुका, तो और भी सख्त आर्थिक कदम उठाए जाएंगे।
भारत के लिए चिंता की वजह
भारत का विदेशी व्यापार (import-export) काफी हद तक डॉलर में होता है। यदि रुपया कमजोर होता है, तो देश को तेल, गैस, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे आयातित उत्पादों के लिए ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ेंगे। इसका असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ेगा क्योंकि महंगाई बढ़ सकती है।
आरबीआई की निगाहें बाजार पर
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) मुद्रा बाज़ार में स्थिरता बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर रुपये में ज्यादा गिरावट आती है, तो RBI डॉलर बेचकर सप्लाई बढ़ा सकता है जिससे रुपया संभल सके।
निवेशकों के लिए सलाह
विदेशी निवेशक सतर्क हैं और जोखिम से बचाव की रणनीति अपना रहे हैं।
शेयर बाज़ार भी इस घटनाक्रम से प्रभावित हो सकता है, खासकर निर्यात आधारित कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा।
अमेरिका द्वारा घोषित टैरिफ ने न केवल यूरोप और मेक्सिको को झटका दिया है, बल्कि भारत जैसे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी असर दिखना शुरू हो गया है। रुपया कमजोर होना इस बात का संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीतियों का प्रभाव अब हर आम नागरिक की जेब तक पहुंचता है।