
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में दर्दनाक हादसा: 300 मीटर गहरी खाई में गिरी टैक्सी, आठ लोगों की मौत, चार घायल।
पिथौरागढ़। उत्तराखंड।
उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में मंगलवार की सुबह एक दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। यहां एक टैक्सी वाहन अनियंत्रित होकर लगभग 300 मीटर गहरी खाई में गिर गई, जिससे घटनास्थल पर ही आठ लोगों की मौत हो गई, जबकि चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। यह दुर्घटना इतनी भयावह थी कि वाहन के परखच्चे उड़ गए और शवों की पहचान तक मुश्किल हो गई।
यह हादसा पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील अंतर्गत एक पुल के समीप हुआ, जहां संकरे और घुमावदार रास्तों के कारण अक्सर वाहन चालकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। प्रत्यक्षदर्शियों और प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, यह वाहन एक मैक्स टैक्सी थी जो स्थानीय लोगों को लेकर एक गांव से जिला मुख्यालय की ओर जा रही थी।
हादसे का मंजर: चीख-पुकार और खौफनाक दृश्य
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टैक्सी पुल के पास एक तीव्र मोड़ पर अनियंत्रित होकर सड़क से फिसल गई और लगभग 300 मीटर नीचे खाई में जा गिरी। वाहन के गिरते ही इलाके में जोरदार आवाज सुनाई दी, जिससे आसपास के ग्रामीण वहां दौड़ पड़े। घटनास्थल पर पहुंचने पर लोगों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया और पुलिस को सूचना दी।
जानकारी मिलते ही पुलिस, एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल), स्थानीय प्रशासन और एंबुलेंस की टीम मौके पर पहुंची। खाई से शवों और घायलों को निकालने के लिए रस्सियों और स्ट्रेचरों का सहारा लिया गया। खाई की गहराई और रास्ते की कठिनाई के कारण राहत एवं बचाव कार्य में काफी दिक्कतें आईं।
मृतकों की पहचान और प्रशासनिक कार्रवाई
घटनास्थल से प्राप्त सूचना के अनुसार, मृतकों में अधिकांश ग्रामीण हैं जो रोज़मर्रा के काम से पिथौरागढ़ शहर जा रहे थे। मृतकों की पहचान की प्रक्रिया जारी है और जिला प्रशासन द्वारा उनके परिजनों को सूचित किया जा रहा है।
पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक स्वयं घटनास्थल पर पहुंचे और राहत कार्यों की निगरानी की। मृतकों के परिजनों को प्रशासन की ओर से तात्कालिक सहायता राशि देने की घोषणा की गई है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि घायलों के इलाज में कोई कोताही न बरती जाए और उन्हें हरसंभव बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
चार घायल गंभीर, हेलिकॉप्टर से शिफ्टिंग पर विचार
हादसे में घायल हुए चार लोगों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी निगरानी कर रही है। आवश्यकता पड़ने पर घायलों को हायर सेंटर यानी हल्द्वानी या देहरादून हवाई मार्ग से स्थानांतरित करने की योजना है।
एसडीआरएफ के एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह के इलाकों में हादसों के बाद राहत कार्यों में अत्यधिक सावधानी की जरूरत होती है। यहां तक पहुंचने के लिए कोई सीधा रास्ता नहीं था, इसलिए स्थानीय ग्रामीणों की मदद से स्ट्रेचर और रस्सियों के सहारे शवों को निकाला गया।
स्थानीय लोगों में आक्रोश और दुख का माहौल
घटना के बाद पूरे इलाके में मातम का माहौल है। ग्रामीणों में प्रशासन की लापरवाही को लेकर आक्रोश भी है। उनका कहना है कि इस मार्ग पर सुरक्षा रेलिंग नहीं होने और सड़क की हालत खराब होने की वजह से यहां अक्सर हादसे होते हैं। कई बार शिकायत के बाद भी स्थायी समाधान नहीं किया गया।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस हादसे को प्रशासन की चूक बताया है। क्षेत्रीय विधायक ने इस दुर्घटना पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि वह जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर इस सड़क की हालत सुधारने और सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देने की मांग करेंगे।
पिछले हादसे और सवालिया सुरक्षा इंतजाम
यह पहली बार नहीं है कि पिथौरागढ़ जैसे सीमांत जिलों में इस तरह की दुर्घटनाएं हुई हैं। पिछले दो वर्षों में पिथौरागढ़, चंपावत और बागेश्वर जिलों में कई बार सड़कें हादसों की वजह बन चुकी हैं। दुर्गम भौगोलिक स्थिति, तीखे मोड़ और खराब सड़कें मिलकर इन इलाकों को अत्यंत संवेदनशील बनाती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे वाहनों की गति पर नियंत्रण, सुरक्षा रेलिंग, नियमित सड़क निरीक्षण और ड्राइवरों के लिए प्रशिक्षण जैसे उपाय अनिवार्य हैं। अगर समय रहते इन बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो ऐसे हादसे लगातार होते रहेंगे।
मुख्यमंत्री का ट्वीट और राज्यभर से संवेदनाएं
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्विटर पर शोक जताते हुए लिखा:
“पिथौरागढ़ में सड़क दुर्घटना का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति एवं परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना है।”
इसके अलावा, राज्यपाल गुरमीत सिंह, विपक्ष के नेता, और कई सामाजिक संगठनों ने भी इस हादसे पर शोक व्यक्त किया है।
निष्कर्ष: पहाड़ों की सड़कों पर जरूरी है सतर्कता और योजना
पिथौरागढ़ की यह घटना एक बार फिर यह याद दिलाती है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में सड़क सुरक्षा को हल्के में नहीं लिया जा सकता। यात्रियों की सुरक्षा के लिए स्थायी और दीर्घकालिक कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
जब तक सड़क सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं दी जाती, तब तक ऐसी घटनाएं ‘खबर’ बनती रहेंगी, और पहाड़ों की खूबसूरती इन दर्दनाक हादसों के आंसुओं में भीगती रहेगी।