
इतिहास रचकर लौटे शुभांशु शुक्ला, अंतरिक्ष में 18 दिन बिताकर भारत को दिलाई नई ऊंचाई
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स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन यान से एक्सिओम-4 मिशन के तहत सफल अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर सोमवार को प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग
नई दिल्ली। भारत के लिए एक और गौरवपूर्ण क्षण सामने आया है। भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अपने पहले अंतरिक्ष मिशन की सफलतापूर्वक समाप्ति के साथ इतिहास रच दिया है। वह एक्सिओम स्पेस के Axiom-4 (Ax-4) मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन बिताने के बाद सकुशल धरती पर लौट आए हैं। उनके साथ तीन अन्य अंतरिक्षयात्री भी थे। चारों यात्रियों ने सोमवार को स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान के ज़रिए प्रशांत महासागर में सफलतापूर्वक लैंडिंग की।
आईएसएस से विदाई और धरती की वापसी:
शुभांशु शुक्ला व अन्य अंतरिक्षयात्रियों का अंतरिक्ष यान सोमवार शाम 4 बजकर 45 मिनट पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से अलग हुआ। इसके बाद शुरू हुई उनकी लगभग 22 घंटे 30 मिनट लंबी वापसी यात्रा। भारतीय समयानुसार मंगलवार को तड़के अंतरिक्ष यान ने प्रशांत महासागर में लैंड किया, जहां स्पेसएक्स और नासा की संयुक्त टीम ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला।
वीडियो में दिखी राहत और गर्व:
अंतरिक्ष यान से निकलते ही शुभांशु शुक्ला के चेहरे पर राहत, संतोष और गर्व के मिले-जुले भाव साफ दिखाई दिए। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है और देशभर से उन्हें बधाइयाँ मिल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इसरो प्रमुख और देश की कई जानी-मानी हस्तियों ने उन्हें ऐतिहासिक उपलब्धि पर बधाई दी है।
कैसी रही अंतरिक्ष यात्रा:
Axiom-4 मिशन एक पूरी तरह व्यावसायिक और वैज्ञानिक मिशन था, जिसमें चारों अंतरिक्षयात्रियों ने 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताए। इस दौरान उन्होंने कई प्रयोग किए जिनमें माइक्रोग्रैविटी पर मानव शरीर की प्रतिक्रिया, जैव प्रौद्योगिकी से जुड़ी रिसर्च और पृथ्वी अवलोकन संबंधी परीक्षण शामिल थे।
शुभांशु शुक्ला ने वहां भारतीय मूल की परंपराओं और संस्कृति को भी प्रस्तुत किया। उन्होंने खास अवसर पर अंतरिक्ष में ‘गायत्री मंत्र’ का उच्चारण भी किया, जो इंटरनेट पर खूब वायरल हुआ।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला मूलतः उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और अंतरिक्ष विज्ञान में विशेष योग्यता रखने वाले शुभांशु का चयन एक्सिओम-4 मिशन के लिए काफी प्रतिस्पर्धा के बाद हुआ था।
वह पहले भारतीय नागरिक हैं जिन्होंने किसी व्यावसायिक अंतरिक्ष मिशन में सक्रिय रूप से भाग लिया और ISS पर वैज्ञानिक अनुसंधान किया।
स्पेसएक्स और एक्सिओम मिशन का महत्व:
Axiom-4 मिशन को अमेरिका की निजी अंतरिक्ष कंपनी एक्सिओम स्पेस ने संचालित किया। इसका लॉन्च स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के ज़रिए किया गया था। यह मिशन खासतौर पर निजी कंपनियों और वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष तक पहुंचने का अवसर देने के लिए डिजाइन किया गया था।
क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान न केवल सुरक्षित और आधुनिक तकनीकों से लैस है, बल्कि यह दोबारा उपयोग में लाया जा सकने वाला यान भी है, जो अंतरिक्ष पर्यटन और वैज्ञानिक अभियानों के लिए बड़ा बदलाव लाया है।
भारत के लिए बड़ी उपलब्धि:
शुभांशु की इस यात्रा को भारत के लिए एक मील का पत्थर माना जा रहा है। यह पहली बार है जब किसी भारतीय ने पूरी तरह निजी और वैज्ञानिक उद्देश्य से अंतरिक्ष में इतना लंबा समय बिताया है। यह उपलब्धि न केवल भारत की प्रतिभा को वैश्विक मंच पर उजागर करती है, बल्कि भविष्य के लिए युवाओं को प्रेरणा भी देती है।
परिवार और देश में खुशी की लहर:
शुभांशु शुक्ला की वापसी की खबर मिलते ही उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। उनके माता-पिता ने कहा, “हमारे बेटे ने देश का नाम रोशन किया है, इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है। हम चाहते हैं कि भारत के और भी बच्चे अंतरिक्ष में जाएं।”
वहीं, स्कूल और कॉलेज के शिक्षकों ने भी उन्हें एक मेहनती, शांत और अनुशासित छात्र के रूप में याद किया और कहा कि बचपन से ही उनमें कुछ अलग करने की जिद थी।
प्रधानमंत्री और इसरो की सराहना:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु शुक्ला को बधाई देते हुए ट्वीट किया, “भारत के लिए यह गर्व का क्षण है। शुभांशु शुक्ला ने देश के युवाओं को नई प्रेरणा दी है। यह एक नई शुरुआत है भारत के अंतरिक्ष मिशनों के लिए।”
इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने भी बधाई दी और कहा कि “शुभांशु की यह यात्रा भारत के लिए गर्व की बात है। हम आने वाले वर्षों में ऐसे और अंतरिक्ष यात्रियों को देखेंगे जो भारतीय पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेंगे।”
आगे क्या?
शुभांशु शुक्ला ने मिशन से लौटते ही कहा, “यह तो बस शुरुआत है। अब मेरा सपना है कि भारत में भी निजी अंतरिक्ष उड़ानों और रिसर्च को बढ़ावा दिया जाए। मैं चाहता हूं कि अगली पीढ़ी के बच्चों को अंतरिक्ष सिर्फ सपना न लगे, बल्कि सच्चाई बने।”
शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक वापसी न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का क्षण है। अंतरिक्ष में 18 दिन का उनका सफर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा को और मजबूती देगा। देश आज उन्हें एक नए भारत के अंतरिक्ष नायक के रूप में देख रहा है।