
महाराजा हरि सिंह पर टिप्पणी कर बुरे फंसे खान सर, राष्ट्रीय बजरंग दल का विरोध प्रदर्शन, लोगों में आक्रोश।
पटना/जम्मू – देश के चर्चित यूट्यूबर और शिक्षक खान सर एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार मामला जम्मू-कश्मीर के पूर्व महाराजा हरि सिंह को लेकर की गई कथित टिप्पणी से जुड़ा है, जिसने सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक विरोध की लहर खड़ी कर दी है। राष्ट्रीय बजरंग दल सहित कई संगठनों ने खान सर की कथित टिप्पणी को “अपमानजनक” करार देते हुए न केवल उनके खिलाफ प्रदर्शन किया, बल्कि प्रशासन से उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग भी की है।
क्या कहा खान सर ने?
हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो क्लिप में खान सर जम्मू-कश्मीर के इतिहास पर चर्चा करते नजर आते हैं। इस दौरान उन्होंने महाराजा हरि सिंह के शासनकाल, 1947 में कश्मीर के भारत में विलय और उस दौरान की परिस्थितियों का संदर्भ देते हुए कुछ टिप्पणियाँ कीं, जिन्हें कई लोगों ने “तथ्यों से परे” और “अपमानजनक” बताया।
हालाँकि, खान सर ने अपने पूरे वीडियो में स्पष्ट रूप से कोई व्यक्तिगत अपमान करने की मंशा नहीं जताई, लेकिन वीडियो के एक अंश को काटकर सोशल मीडिया पर वायरल किए जाने के बाद विवाद ने तूल पकड़ लिया।
विरोध में सड़कों पर उतरे संगठन
राष्ट्रीय बजरंग दल ने इस टिप्पणी को महाराजा हरि सिंह का “अपमान” बताते हुए पटना, वाराणसी, जम्मू और अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए खान सर के पुतले फूंके और प्रशासन से उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की माँग की।
राष्ट्रीय बजरंग दल के प्रदेश अध्यक्ष ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा,
“महाराजा हरि सिंह केवल जम्मू-कश्मीर के शासक नहीं थे, वे भारत की एकता और अखंडता के प्रतीक हैं। उनके सम्मान के खिलाफ कोई भी बयान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। खान सर ने उन्हें गलत ढंग से प्रस्तुत किया है।”
सोशल मीडिया पर भी दो धड़े
सोशल मीडिया पर इस विवाद ने तीव्र गति से फैलाव लिया। ट्विटर (अब एक्स), फेसबुक और यूट्यूब पर #MaharajaHariSingh और #KhanSir ट्रेंड करने लगे। कई यूजर्स ने खान सर को “इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने” का दोषी बताया, वहीं उनके समर्थकों ने यह तर्क दिया कि खान सर केवल शैक्षणिक उद्देश्य से ऐतिहासिक घटनाओं की व्याख्या कर रहे थे और उनका कोई व्यक्तिगत इरादा नहीं था।
एक यूजर ने लिखा,
“इतिहास पढ़ाना अपराध नहीं है, लेकिन जब कोई इतिहासकार नहीं है, तब तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना गलत है।”
वहीं दूसरे यूजर ने समर्थन में लिखा,
“खान सर ने केवल वही बताया जो ऐतिहासिक दस्तावेजों में है। हर बात को राजनीतिक रंग देना बंद होना चाहिए।”
खान सर की प्रतिक्रिया
विवाद बढ़ने के बाद खान सर ने सोशल मीडिया पर सफाई देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य किसी का अपमान करना नहीं था। उन्होंने कहा,
“मैं एक शिक्षक हूँ। मेरा काम छात्रों को इतिहास की जानकारी देना है। अगर मेरी बातों से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मैं क्षमा चाहता हूँ। लेकिन कृपया पूरे वीडियो को देखें, न कि किसी एक कटे हुए हिस्से को।”
उन्होंने आगे कहा कि इतिहास की व्याख्या कई बार अलग-अलग तरीके से होती है, और शिक्षण के दौरान यदि कोई बात गलत लगी हो, तो वह उस पर पुनर्विचार करने को तैयार हैं।
प्रशासन की भूमिका और संभावित कार्रवाई
अब तक इस मामले में किसी थाने में औपचारिक रूप से एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार जम्मू और पटना पुलिस को इस संबंध में कुछ संगठनों ने ज्ञापन सौंपा है। पुलिस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पूरे वीडियो की जांच कर रही है।
एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,
“हम वीडियो की पूरी सामग्री का विश्लेषण कर रहे हैं। अगर यह पाया गया कि किसी विशेष समुदाय या व्यक्ति का जानबूझकर अपमान किया गया है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।”
महाराजा हरि सिंह: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
महाराजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर रियासत के अंतिम शासक थे। वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय उन्होंने कुछ समय के लिए स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया था, लेकिन बाद में अक्टूबर 1947 में भारतीय संघ में विलय का प्रस्ताव स्वीकार किया। उनके इस निर्णय ने ही जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाया, जिसे लेकर आज भी बहस होती है।
उनके योगदान को लेकर हाल के वर्षों में देश में एक नई पीढ़ी जागरूक हुई है। जम्मू-कश्मीर में उनकी जयंती को राजकीय अवकाश घोषित किया गया है और उन्हें सम्मानजनक दृष्टि से देखा जाता है।
खान सर पर उठा यह विवाद इस बात को दर्शाता है कि इतिहास की व्याख्या और सार्वजनिक मंचों पर बयानबाजी कितनी संवेदनशील हो सकती है, विशेष रूप से जब वह किसी ऐसे व्यक्ति या कालखंड से जुड़ी हो, जिसका आज भी भावनात्मक और राजनीतिक महत्व हो।
विवाद के बीच खान सर के लाखों छात्र और अनुयायी उनके समर्थन में खड़े दिख रहे हैं, वहीं विरोधी पक्ष उनकी टिप्पणियों को “शर्मनाक” बता रहा है। प्रशासन अब इस विवाद की गंभीरता को देखते हुए हर पहलू की जांच कर रहा है।
भविष्य में शिक्षकों, इतिहासकारों और यूट्यूब पर ज्ञान देने वाले लोगों को यह ध्यान रखना होगा कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए तथ्यों को सावधानी से प्रस्तुत किया जाए, ताकि ज्ञान का उद्देश्य विवाद का कारण न बने।