
समोसा-जलेबी के शौकीन ज़रूर पढ़ें यह खबर! डॉक्टर ने बताया—सेहत के लिए कितनी बार खाना है ‘सेफ’
समोसा और जलेबी जैसे स्ट्रीट फूड का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। चाहे त्योहार हो या कोई खास मौका, इनका स्वाद हर किसी को लुभाता है। मगर स्वाद के चक्कर में अगर आप सेहत की अनदेखी कर रहे हैं, तो अब सावधान हो जाइए। मेडिकल एक्सपर्ट्स ने चेताया है कि इन तले-भुने पकवानों का जरूरत से ज्यादा सेवन आपकी सेहत पर गंभीर असर डाल सकता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर कितनी बार और किस मात्रा में इनका सेवन करना शरीर के लिए सुरक्षित है। आइए जानते हैं क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स।
भारत में स्ट्रीट फूड का कल्चर जितना पुराना है, उतना ही लोकप्रिय भी है। समोसे और जलेबी जैसे स्वादिष्ट पकवान हर गली-चौराहे पर मिल जाते हैं और लोग इन्हें बड़े शौक से खाते भी हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये चटपटे और मीठे व्यंजन आपकी सेहत के साथ क्या कर सकते हैं?
तला-भुना खाना और शरीर पर असर
समोसा और जलेबी को डीप फ्राई करके बनाया जाता है, जिससे इनमें ट्रांस फैट्स और हाई कैलोरीज की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है। ट्रांस फैट्स शरीर में “बुरे कोलेस्ट्रॉल” (LDL) को बढ़ाते हैं और “अच्छे कोलेस्ट्रॉल” (HDL) को कम करते हैं। इससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, इन चीजों में रिफाइंड आटा (मैदा), चीनी और तेल की भरपूर मात्रा होती है, जो मोटापे, ब्लड शुगर, हाई ब्लड प्रेशर और डाइजेस्टिव समस्याओं की जड़ बन सकती है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट – डॉ. करुणा चतुर्वेदी की सलाह
मुंबई की जानी-मानी न्यूट्रिशनिस्ट और वेलनेस एक्सपर्ट डॉ. करुणा चतुर्वेदी ने बताया कि तली-भुनी चीजें शरीर में सूजन (Inflammation) बढ़ाती हैं। साथ ही, इनमें पोषण की मात्रा न के बराबर होती है। उनके मुताबिक, यदि आप पूरी तरह से इन्हें त्याग नहीं सकते तो संयमित मात्रा और तय अंतराल पर इनका सेवन करें।
डॉ. चतुर्वेदी की सलाह के अनुसार:
महीने में एक बार से ज्यादा नहीं: समोसा या जलेबी जैसे डीप फ्राइड फूड को महीने में 1 से 2 बार से ज्यादा नहीं खाना चाहिए।
कम मात्रा में खाएं: एक बार में एक समोसा या 30-40 ग्राम जलेबी (यानी 2-3 छोटे टुकड़े) से अधिक न लें।
भूख मिटाने के लिए नहीं, स्वाद के लिए खाएं: ऐसे फूड्स का सेवन केवल स्वाद के लिए करें, नियमित भोजन के विकल्प के तौर पर नहीं।
बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष चेतावनी
बच्चे, बुजुर्ग और डायबिटीज या हृदय रोग से पीड़ित लोग समोसा-जलेबी जैसे फूड्स से अधिक प्रभावित होते हैं। इन फूड्स में मौजूद उच्च कैलोरी और वसा उनकी सेहत को और भी नुकसान पहुंचा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस आयु वर्ग के लोगों को इससे पूरी तरह परहेज ही करना चाहिए।
क्यों होता है बार-बार समोसा-जलेबी खाने का मन?
डॉ. करुणा चतुर्वेदी बताती हैं कि तले-भुने खाने में नमक, चीनी और फैट्स का कॉम्बिनेशन होता है जो ब्रेन में डोपामिन रिलीज करता है। इससे एक तात्कालिक आनंद की अनुभूति होती है और दिमाग उसे बार-बार दोहराने के लिए प्रेरित करता है। इसे “फूड एडिक्शन” की शुरुआत माना जा सकता है।
क्या हैं सेहतमंद विकल्प?
यदि आप समोसा-जलेबी का स्वाद छोड़ नहीं सकते, तो बेहतर है कि कुछ हेल्दी विकल्प अपनाएं:
बेक्ड समोसा: डीप फ्राई की जगह बेक या एयर फ्राई समोसा चुनें।
गुड़ वाली जलेबी या सूजी की जलेबी: पारंपरिक चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करें और घी के बजाय कम तेल में सेंकने की कोशिश करें।
घरेलू विकल्प: बाजार की बजाय घर पर साफ-सुथरे तरीके से बना समोसा या जलेबी कहीं अधिक सुरक्षित है।
डॉक्टर की सलाह मानें, सेहत बनाएं
भले ही समोसा-जलेबी हमारे भारतीय खानपान का हिस्सा रहे हैं, लेकिन बदलती जीवनशैली और सेहत से जुड़ी समस्याओं को देखते हुए इनका अत्यधिक सेवन करना समझदारी नहीं है। डॉक्टरों की मानें तो “थोड़ा खाएं, लेकिन सोच-समझकर।” अगर आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल चाहते हैं तो तली-भुनी चीजों से जितना दूर रहें, उतना बेहतर।
स्वाद और सेहत के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। समोसा और जलेबी जैसे फूड्स को पूरी तरह नकारना जरूरी नहीं, लेकिन इनका सेवन कम मात्रा और सीमित अंतराल में ही करें। एक्सपर्ट की राय मानें और अपने खानपान की आदतों में सुधार लाकर बेहतर जीवनशैली अपनाएं। आखिरकार, स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है।