
हिमाचल में बारिश का कहर, 106 की मौत, 1000 करोड़ से ज़्यादा का नुकसान।
शिमला/बिलासपुर/सोलन:
हिमाचल प्रदेश एक बार फिर प्रकृति की मार झेल रहा है। बीते कुछ दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने प्रदेश भर में तबाही मचा दी है। पहाड़ दरक रहे हैं, सड़कें टूट रही हैं और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। अब तक बारिश संबंधी घटनाओं में 106 लोगों की जान जा चुकी है और अनुमानित 1000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हो चुका है।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में सड़कों के बहने, घरों के ढहने और भूस्खलन की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। विशेष रूप से शिमला, बिलासपुर और सोलन जिलों में नुकसान अधिक हुआ है। स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा है, लेकिन मौसम की लगातार बिगड़ती स्थिति काम में बाधा डाल रही है।
शहर दर शहर बारिश का कहर
शिमला। राजधानी शिमला में लगातार बारिश से कई स्थानों पर भूस्खलन हुआ है। माल रोड और रिज क्षेत्र में भी मिट्टी खिसकने की घटनाएं हुई हैं। शहर के कई प्रमुख मार्ग बंद हो गए हैं, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। लोक निर्माण विभाग (PWD) के अनुसार, शिमला जिले में 50 से अधिक सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं और कई गांवों का संपर्क टूट गया है।
बिलासपुर। बिलासपुर में सतलुज नदी का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे आसपास के इलाके जलमग्न हो गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग-205 का एक बड़ा हिस्सा धंस गया है, जिससे यातायात बाधित है। जिले के घुमारवीं और झंडूत्ता इलाकों में भारी वर्षा के कारण मकान गिरने की घटनाएं हुई हैं। कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है।
सोलन जिले के कसौली और परवाणू क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ है। चंडीगढ़-शिमला नेशनल हाइवे (NH-5) पर मलबा गिरने से ट्रैफिक कई घंटों तक रुका रहा। सोलन शहर के अंदरूनी क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति है। यहां प्रशासन ने स्कूलों को बंद रखने के निर्देश दिए हैं।
मौसम विभाग का अलर्ट
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 16 जुलाई को हिमाचल के चंबा, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। विभाग ने इन जिलों में बेहद भारी बारिश की आशंका जताई है। लोगों को नदियों, नालों और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी गई है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता अधिक है और बंगाल की खाड़ी से उठी नमी भारी वर्षा का कारण बन रही है।
प्रशासन की तैयारियां और राहत कार्य
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के अनुसार, अब तक 400 से अधिक सड़कें बंद हैं और 300 से ज्यादा बिजली ट्रांसफॉर्मर ठप हो गए हैं। PWD, NDRF, SDRF और सेना की टीमें मिलकर राहत कार्य में जुटी हैं। अब तक 1000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, “सरकार हालात पर कड़ी नजर रखे हुए है। जिला प्रशासन को पर्याप्त फंड और संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। प्रभावितों को तुरंत राहत दी जा रही है।” उन्होंने साथ ही केंद्र सरकार से भी सहायता की मांग की है।
संपत्ति का भारी नुकसान
प्राथमिक आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल में अब तक 1000 करोड़ रुपये से अधिक की सरकारी व निजी संपत्ति का नुकसान हो चुका है। इसमें सड़कों की मरम्मत, पुलों के पुनर्निर्माण, मकानों के पुनर्स्थापन और फसल क्षति शामिल हैं।
कृषि और बागवानी को भी भारी नुकसान हुआ है। सेब, आड़ू, और आलूबुखारे की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, जिससे किसानों की कमर टूट गई है।
सड़कें बंद, पर्यटक फंसे
राज्य के प्रमुख राष्ट्रीय और राज्यीय राजमार्गों पर भूस्खलन के कारण यातायात बाधित है। पर्यटक स्थलों जैसे मनाली, धर्मशाला, और कुफरी में कई पर्यटक फंसे हुए हैं। प्रशासन ने हेली-रेस्क्यू की व्यवस्था की है और स्थानीय होटल मालिकों से सहयोग की अपील की गई है।
पर्यटन विभाग ने फिलहाल पर्यटकों को हिमाचल की यात्रा स्थगित करने की सलाह दी है।
स्कूल-कॉलेज बंद, जनजीवन प्रभावित
राज्य सरकार ने कई जिलों में स्कूल और कॉलेजों को 2 दिन के लिए बंद रखने का आदेश दिया है। ग्रामीण इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित है। मोबाइल नेटवर्क भी कई जगहों पर ठप हो गया है।
प्रशासन ने आम जनता से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें, अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल सरकारी स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें। आपदा की स्थिति में टोल फ्री नंबर 1077 या 112 पर संपर्क करें।
हिमाचल में बारिश ने तबाही मचा दी है। जान-माल का भारी नुकसान हो चुका है और अभी भी खतरा टला नहीं है। प्रशासन राहत कार्य में जुटा है, लेकिन मौसम की मार से निपटना आसान नहीं है। आने वाले कुछ दिन राज्य के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। ऐसे में जनता की सतर्कता और प्रशासन का त्वरित एक्शन ही इस आपदा से राहत दिला सकता है।