खेती को मिला नया संबल: बारिश में धान रोपती दिखीं कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, किसानों से सीधा संवाद कर समस्याएं सुनीं

खेती को मिला नया संबल: बारिश में धान रोपती दिखीं कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, किसानों से सीधा संवाद कर समस्याएं सुनीं

झारखंड की धरती ने एक बार फिर खेती की असल तस्वीर और उसके गौरव को नए सिरे से महसूस किया, जब राज्य की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने चान्हो प्रखंड के रघुनाथपुर गांव के खेतों में उतरकर किसानों के साथ मिलकर धान की रोपाई की। झमाझम बारिश के बीच, कीचड़ से सने खेतों में महिलाओं संग कतारबद्ध होकर पारंपरिक रीति-रिवाजों से जुड़ना, केवल एक सांकेतिक प्रयास नहीं था, बल्कि यह राज्य सरकार के जमीनी जुड़ाव और कृषि को केंद्र में रखने की भावना का जीवंत उदाहरण था।
कृषि मंत्री का यह कदम न सिर्फ ग्रामीण किसानों के लिए प्रेरणा बना, बल्कि महिला कृषकों के लिए आत्मविश्वास का भी प्रतीक रहा। पारंपरिक लोकधुनों के बीच बारिश की रिमझिम में मंत्री को खेत में देखना, ग्रामीणों के लिए चौंकाने वाला और सुखद अनुभव रहा।
शिल्पी नेहा तिर्की बिना किसी सरकारी औपचारिकता या मंच व्यवस्था के सीधे खेत में पहुंचीं। साधारण कुर्ता-पायजामा और सिर पर दुपट्टा डाले, हाथों में धान की नर्सरी से निकले पौधे लिए, वे महिलाओं की कतार में खड़ी हो गईं। उनके चेहरे पर मुस्कान और आंखों में आत्मीयता थी। बारिश की बूंदों के बीच उन्होंने कहा, “यह सिर्फ कार्यक्रम नहीं है, यह हमारे अस्तित्व से जुड़ा कर्म है। जो खेत में होता है, वही हमारे जीवन का आधार बनाता है।”
गीतों में बसी संस्कृति, रोपनी में बसी श्रद्धा
धान की रोपनी के पहले ग्रामीण महिलाओं ने मंगलाचरण किया। लोकगीत गाए गए जिसमें अच्छी फसल, गांव की समृद्धि और प्रकृति से तालमेल की कामनाएं थीं। मंत्री ने भी ताल मिलाते हुए इन गीतों में स्वर मिलाया और साथ ही हाथों से रोपनी की प्रक्रिया में भाग लिया। यह दृश्य खेती को केवल जीविकोपार्जन नहीं, बल्कि उत्सव और सम्मान का रूप देते दिखा।
“किसान अकेला नहीं, सरकार उसके साथ है”
मंत्री ने खेत की मेड़ पर बैठकर स्थानीय किसानों से संवाद किया। उनकी समस्याएं सुनीं और आश्वासन दिया कि सरकार उनकी बातों को सुन ही नहीं रही, बल्कि समाधान की दिशा में तेजी से काम कर रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा,
उन्होंने महिला किसानों की विशेष सराहना करते हुए कहा कि वे खेती की रीढ़ हैं और सरकार उनकी भागीदारी को प्राथमिकता दे रही है।
समस्याएं खुलकर आईं सामने
ग्रामीणों ने मंत्री के सामने कई अहम समस्याएं रखीं। उनमें प्रमुख रही —
सिंचाई की स्थायी व्यवस्था की कमी
समय पर बीज और खाद की आपूर्ति कृषि यंत्रों का अभाव
मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर अस्पष्टता
मंत्री ने मौके पर ही संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रत्येक समस्या पर कार्य योजना बनाकर, समयबद्ध समाधान सुनिश्चित किया जाए।
नीतियों में दिखेगा जमीनी अनुभव का असर
इस दौरे का प्रभाव केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी देखने को मिलेगा। मंत्री ने कहा कि खेतों में उतरने से कई योजनाओं की जमीनी हकीकत सामने आती है, और इसी अनुभव के आधार पर आने वाले कृषि बजट और योजनाएं तय की जाएंगी।

महिला किसानों के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा के संकेत

मंत्री तिर्की ने यह भी संकेत दिया कि सरकार महिला कृषकों को समर्पित योजनाओं पर विशेष ध्यान दे रही है। आने वाले समय में उन्हें समूहों के माध्यम से वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और आधुनिक कृषि यंत्रों की सुविधा दी जाएगी, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और खेती में निर्णायक भूमिका निभा सकें।
खेती को फिर बनाना है गर्व का विषय
झारखंड जैसे राज्य में, जहां की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है, वहाँ यह आवश्यक है कि सरकार केवल फाइलों में नहीं, खेतों में भी दिखे। शिल्पी नेहा तिर्की ने यह साबित किया कि जब नीतिनिर्माता खेत की मिट्टी से जुड़ते हैं, तभी किसान को अपने परिश्रम का सही मूल्य मिलता है।
इस पहल से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार खेती को फिर से ‘गर्व का विषय’ बनाना चाहती है। खेती केवल जीविका का साधन नहीं, यह संस्कृति, परंपरा और आत्मसम्मान का आधार है — और जब नेता स्वयं खेत में उतरते हैं, तो किसानों को यह यकीन होता है कि वे अकेले नहीं हैं।

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