
“रील पर राजनीति: स्वास्थ्य मंत्री के बेटे का RIMS दौरा बना विवाद का केंद्र, BJP ने उठाए सवाल – ‘रील इंस्पेक्शन’ या प्रचार स्टंट?”
रांची। राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल RIMS (राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान) में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफ़ान अंसारी के बेटे कृष अंसारी का अचानक हुआ दौरा अब राजनीतिक बहस का विषय बन गया है। कृष द्वारा अस्पताल परिसर में निरीक्षण करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे ‘रील इंस्पेक्शन’ करार देते हुए सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं।
वायरल वीडियो में कृष अंसारी RIMS के वार्ड, बाथरूम और दवाइयों की स्थिति का जायजा लेते नज़र आ रहे हैं। उन्होंने मरीजों से बातचीत की, डॉक्टरों से सुविधाओं पर सवाल किए और कुछ खामियों को कैमरे में रिकॉर्ड भी किया। इस पूरे दृश्य को एक रील की तरह सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया, जिसके बाद बीजेपी नेताओं ने इसे महज एक “प्रचार स्टंट” बताया।
भाजपा प्रवक्ताओं का आरोप:
BJP का कहना है कि किसी मंत्री का बेटा क्या अधिकार रखता है कि वह अस्पतालों का निरीक्षण करे? क्या ये जनसेवा है या सोशल मीडिया के लिए ‘स्टेज प्ले’? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या अब सरकारी संस्थानों का निरीक्षण भी ‘रील मेकिंग’ बन गया है?
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफ़ान अंसारी का बचाव:
इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री ने साफ शब्दों में कहा –
> “अगर कोई ज़रूरतमंदों की मदद करता है तो क्या वो अपराध हो गया? मेरा बेटा लोगों की समस्याएं समझना चाहता है। उसका उद्देश्य केवल सुधार लाना है, न कि कोई राजनीतिक ड्रामा।”
उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि जब भी कोई सकारात्मक प्रयास होता है, तो उसे बदनाम करने की कोशिश की जाती है।
जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया:
इस मुद्दे को लेकर जनता भी दो खेमों में बंट गई है। कुछ लोगों का मानना है कि किसी युवा द्वारा अस्पताल की दशा पर आवाज़ उठाना स्वागत योग्य है, तो वहीं कुछ इसे “गंभीर संस्थानों का मज़ाक उड़ाना” कह रहे हैं।
विचारणीय सवाल:
क्या अस्पताल जैसी गंभीर जगह पर बिना आधिकारिक अनुमति के वीडियो बनाना उचित है?
क्या नेताओं के परिजनों को निरीक्षण का अधिकार है?
क्या सोशल मीडिया अब सेवा का नया मंच बन चुका है?
इस घटना ने राज्य में “रील बनाम रियल सर्विस” की बहस को हवा दे दी है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है।