
*अहमदाबाद में एक ही परिवार के 5 लोगों का सुसाइड:* रात के खाने में खाया जहर, पति-पत्नी और 3 मासूम बच्चों की मौत
अहमदाबाद। गुजरात की आर्थिक राजधानी अहमदाबाद से रविवार रात एक बेहद दर्दनाक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। जिले के बावला तालुका के बगोदरा इलाके में एक ही परिवार के पांच लोगों ने कथित रूप से जहर खाकर सामूहिक आत्महत्या कर ली। मरने वालों में पति-पत्नी और उनके तीन मासूम बच्चे शामिल हैं। घटना के बाद पूरे इलाके में शोक और स्तब्धता का माहौल है। पुलिस ने प्रारंभिक जांच के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है और कई एंगल से छानबीन की जा रही है।
परिवार की पहचान और घटनाक्रम
मृतकों की पहचान विपुल वाघेला (32), उसकी पत्नी सोनल वाघेला (26), और तीन बच्चों – सिमरन (11), मयूर (8) और राजकुमारी (5) के रूप में हुई है। सभी एक किराए के मकान में रहते थे और विपुल ऑटो रिक्शा चलाकर परिवार का गुजारा करता था। रविवार रात उन्होंने अपने रात के खाने में कोई जहरीला पदार्थ मिला लिया, जिससे सभी की मौत हो गई।
बताया जा रहा है कि सबसे पहले पड़ोसियों को शक तब हुआ, जब सोमवार सुबह घर से कोई हलचल नहीं हुई और दरवाजा लगातार बंद था। कई बार खटखटाने पर भी जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो लोगों ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़ा और अंदर का नज़ारा देखकर दंग रह गई। सभी पांचों शव एक कमरे में पड़े हुए थे।
घटना स्थल का मंजर और पुलिस की कार्रवाई
पुलिस के मुताबिक, सभी शवों के पास खाने के बर्तन रखे थे और कमरे में किसी तरह की बाहरी जबरदस्ती के संकेत नहीं मिले। शुरुआती तौर पर यह आत्महत्या का मामला प्रतीत हो रहा है। हालांकि, परिवार की आर्थिक स्थिति और अन्य सामाजिक कारणों की भी जांच की जा रही है।
घटनास्थल पर स्थानीय पुलिस के साथ-साथ फोरेंसिक टीम, लोकल क्राइम ब्रांच (LCB), और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की टीमें भी पहुंचीं। मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है, और रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों की पुष्टि हो सकेगी।
कोई सुसाइड नोट नहीं मिला
अब तक की जांच में कोई भी सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि सुसाइड नोट न मिलना जांच को और जटिल बना रहा है। परिवार के रिश्तेदारों और पड़ोसियों से पूछताछ की जा रही है ताकि आत्महत्या के पीछे के कारणों का पता चल सके।
क्या आर्थिक तंगी बनी वजह?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, विपुल वाघेला पर कई कर्ज थे और वह बीते कुछ महीनों से आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। वह अक्सर ईएमआई और किराए को लेकर चिंतित रहता था। ऑटो रिक्शा से होने वाली आमदनी में परिवार का खर्च चलाना मुश्किल होता जा रहा था। आशंका जताई जा रही है कि इसी दबाव ने उसे यह खौफनाक कदम उठाने को मजबूर किया।
समाज में सवाल: मासूमों का क्या कसूर?
इस दर्दनाक घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि*अहमदाबाद में एक ही परिवार के 5 लोगों का सुसाइड:* रात के खाने में खाया जहर, hai पति-पत्नी और 3 मासूम बच्चों की मौत माता-पिता ने अपने तीन मासूम बच्चों को भी क्यों मौत की नींद सुला दिया? क्या उन्हें ऐसा लगा कि उनके जाने के बाद बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा? यह सवाल सिर्फ पुलिस के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी विचारणीय है।
एक पड़ोसी ने बताया, “विपुल बहुत शांत स्वभाव का था, लेकिन बीते कुछ समय से वह तनाव में दिख रहा था। बच्चों को बहुत प्यार करता था। समझ नहीं आता कि उसने ऐसा क्यों किया।”
सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या समय रहते कोई सामाजिक सुरक्षा योजना, काउंसलिंग या मदद मुहैया कराई जा सकती थी? राज्य सरकार द्वारा संचालित कई आर्थिक राहत योजनाएं हैं, लेकिन ज़रूरतमंदों तक उनका लाभ नहीं पहुंच पा रहा है। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि ज़मीनी स्तर पर जागरूकता और पहुंच में भारी कमी है।
क्या कहती है विशेषज्ञ राय?
मनोचिकित्सक डॉ. रश्मि पटेल कहती हैं, “सामूहिक आत्महत्या की घटनाएं प्रायः लंबे समय तक अवसाद, आर्थिक दबाव और सामाजिक अलगाव के कारण होती हैं। ऐसे मामलों में मनोवैज्ञानिक मदद की अत्यंत आवश्यकता होती है, लेकिन भारत में अभी भी मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बहुत कम है।”
पुलिस की अपील और जांच जारी
पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि वे मानसिक तनाव में दिखने वाले व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति रखें और उन्हें अकेला न छोड़ें। इस मामले की गहन जांच जारी है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अहमदाबाद की यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि एक सामाजिक विफलता की गंभीर चेतावनी है। जहां आर्थिक तंगी, अवसाद और सामाजिक उपेक्षा किसी को इतना तोड़ सकती है कि वह पूरे परिवार को साथ लेकर मौत की ओर बढ़ जाए। इस हादसे से सबक लेते हुए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई और विपुल, सोनल, सिमरन, मयूर या राजकुमारी इस तरह न बुझें।
जरूरत है संवेदनशील समाज और सतर्क प्रशासन की – जो न केवल समस्याओं को सुनें, बल्कि समय रहते उन्हें सुलझाएं
स्थान: अहमदाबाद, गुजरात
तारीख: 20 जुलाई 2025