
कामिका एकादशी 2025: श्रावण मास की पावन तिथि पर विष्णु आराधना से मिलेगा मोक्ष और अश्वमेध यज्ञ जितना पुण्य।
21 जुलाई 2025, सोमवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी का व्रत पूरे भारत में श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को विशेष महत्व दिया गया है और कामिका एकादशी को विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है और पापों से मुक्ति मिलती है।
कामिका एकादशी व्रत की महत्ता
कामिका एकादशी का व्रत आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। यह व्रत व्यक्ति को नकारात्मक विचारों, दुष्कर्मों और सांसारिक बंधनों से दूर करता है। जो भक्त इस दिन व्रत रखकर श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव होता है।
तिथि और मुहूर्त
एकादशी तिथि समाप्ति: सोमवार, 21 जुलाई को प्रातः 9:40 बजे तक
व्रत पारण (व्रत खोलने का समय): मंगलवार, 22 जुलाई को प्रातः 6:06 से 7:05 बजे के बीच
इस एकादशी का व्रत रविवार रात से ही आरंभ हो चुका है और आज सूर्योदय के बाद मुख्य पूजा का समय रहेगा।
पूजन विधि
1. प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
2. भगवान विष्णु की प्रतिमा अथवा चित्र के सामने दीप जलाएं और गंगाजल छिड़कें।
3. पीले फूल, तुलसी पत्र, पंचामृत, धूप-दीप आदि से पूजन करें।
4. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
5. दिनभर फलाहार करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
6. रात्रि में जागरण एवं विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
तुलसी पूजन का विशेष महत्व
कामिका एकादशी पर तुलसी माता की पूजा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि तुलसी पत्र के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी रहती है। तुलसी के समक्ष दीपक जलाकर विष्णु मंत्रों का जाप करने से मन को शांति मिलती है और वातावरण भी सकारात्मक होता है।
धार्मिक लाभ और मान्यताएं
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति सच्चे मन से कामिका एकादशी का व्रत करता है, उसे वैकुंठधाम की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायक है जो पितृ दोष, मानसिक तनाव या पारिवारिक कलह से पीड़ित हैं। भगवान विष्णु इस दिन अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं और उनके सभी कष्टों का निवारण होता है।
कामिका एकादशी केवल एक व्रत नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है जो मनुष्य को मोक्ष की ओर अग्रसर करती है। श्रावण माह में आने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस अवसर पर भगवान विष्णु की उपासना कर जीवन को सकारात्मक दिशा दी जा सकती है।
डिस्क्लेमर:
यह लेख धार्मिक मान्यताओं, पुराणों एवं ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सांस्कृतिक व आध्यात्मिक जानकारी प्रदान करना है। पाठक अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार इसका पालन करें।