
राहुल गांधी के आरोपों से गरमाई संसद, राजनाथ सिंह बोले- हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार है सरकार
संसद का मानसून सत्र सोमवार, 21 जुलाई 2025 से शुरू हो गया है और पहले ही दिन विपक्ष और सरकार के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयानों को लेकर लोकसभा में जोरदार हंगामा हुआ। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कहा कि सरकार विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने और सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है।
21 जुलाई से शुरू हुआ संसद का मानसून सत्र अगले 32 दिनों तक चलेगा, यानी इसका समापन 21 अगस्त को होगा। सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बातचीत में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का ज़िक्र करते हुए कहा कि “22 मिनट में आतंक के आकाओं के घर जमींदोज कर दिए गए।” इस बयान के बाद से ही संसद में विपक्ष ने सरकार से इस ऑपरेशन पर विस्तृत जानकारी और बहस की मांग की।
इसी मुद्दे पर राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सिर्फ कार्रवाई की बातें करके जनता को भ्रमित नहीं किया जा सकता। उन्होंने सवाल उठाया कि आतंकवाद पर निर्णायक कार्रवाई की बात करने वाली सरकार ने अब तक उन तमाम घटनाओं पर चुप्पी क्यों साध रखी है, जो पिछले कुछ महीनों में हुई हैं।
राहुल गांधी के इन आरोपों के जवाब में सरकार ने दो टूक कहा कि वह किसी भी मुद्दे से पीछे नहीं हट रही। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में खड़े होकर कहा, “सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रही है और विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है। चाहे ऑपरेशन सिंदूर हो या किसी और मामले की बात हो, हम संसद के प्रति जवाबदेह हैं।”
हंगामे का दौर:
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस समेत INDIA गठबंधन के सांसदों ने अपने-अपने मुद्दों को लेकर वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी। “लोकतंत्र बचाओ”, “सच्चाई सामने लाओ” जैसे नारों के बीच स्पीकर को कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी।
विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा के मसलों को राजनीतिक रूप से भुना रही है, जबकि असल में जमीनी स्तर पर स्थिति बहुत गंभीर है। राहुल गांधी के अनुसार, सिर्फ पाकिस्तान या सीमा पार के आतंकवादियों को निशाना बनाने से देश सुरक्षित नहीं हो सकता, जब तक कि आंतरिक सुरक्षा पर ईमानदारी से काम न हो।
सरकार की रणनीति:
राजनाथ सिंह ने विपक्ष के इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारतीय खुफिया एजेंसियों और सेना के अभूतपूर्व तालमेल का नतीजा है। उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई आतंकवादियों के आकाओं पर की गई थी, जिनके निर्देश पर भारत में हिंसा फैलाने की साजिश रची जा रही थी।
राजनाथ सिंह ने विपक्ष से यह भी अपील की कि वे सेना और सुरक्षा बलों का मनोबल न गिराएं और राजनीतिक आरोपों के बजाय तथ्यों पर आधारित बहस करें। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार विपक्ष द्वारा उठाए गए हर मुद्दे पर बहस और चर्चा के लिए तैयार है।
पीएम मोदी का संदेश:
सत्र शुरू होने से पहले मीडिया से बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “यह सत्र बेहद महत्वपूर्ण है। देश बड़े फैसलों की राह पर है और हम चाहते हैं कि सभी सांसद इसमें सहयोग करें।”
उन्होंने उम्मीद जताई कि विपक्ष रचनात्मक भूमिका निभाएगा और सत्र में महत्वपूर्ण विधेयकों पर खुलकर चर्चा होगी। हालांकि संसद में पहले ही दिन की स्थिति ने यह संकेत दे दिया कि सत्र हंगामेदार हो सकता है।
विपक्ष का एजेंडा:
INDIA गठबंधन की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि वे इस सत्र में ‘ऑपरेशन सिंदूर’, मणिपुर हिंसा, बेरोज़गारी, महंगाई, किसानों की स्थिति, महिला सुरक्षा और कथित संस्थागत बदले की कार्रवाई जैसे कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं।
राहुल गांधी ने संसद से बाहर मीडिया को दिए बयान में कहा, “हम सरकार से डरते नहीं हैं। जो सवाल देश के लोग हमसे पूछते हैं, वही सवाल हम संसद में पूछेंगे। यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।
आगामी चुनौतियाँ:
सत्र के दौरान कुल 30 से अधिक विधेयकों को पेश किए जाने की संभावना है, जिनमें कई आर्थिक और सामाजिक महत्व के प्रस्ताव भी शामिल हैं। इसके अलावा विपक्ष की ओर से कई ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और स्थगन प्रस्ताव भी दिए जा सकते हैं।
संसद का मानसून सत्र अभी शुरू ही हुआ है और पहले दिन की कार्यवाही से साफ है कि आने वाले दिनों में तीखी बहस और टकराव की संभावना काफी अधिक है। सरकार जहां खुद को तैयार और जवाबदेह बता रही है, वहीं विपक्ष किसी भी मुद्दे पर समझौता करने के मूड में नहीं दिख रहा।
देश की जनता अब इस सत्र की कार्यवाही पर टकटकी लगाए बैठी है—क्या यह लोकतांत्रिक संवाद का मंच बनेगा या फिर सिर्फ राजनीतिक घमासान का अखाड़ा?