
शिव मंदिर से लौटकर तुरंत न करें ये काम, नहीं मिलेगा पूजा का फल, नाराज़ हो जाएंगे महादेव!
नई दिल्ली। सावन का महीना भगवान शिव की पूजा-अर्चना का सबसे पावन समय माना जाता है। इस दौरान देशभर के शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। शिवभक्त जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और विशेष व्रत-उपवास के माध्यम से भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। मगर, धार्मिक मान्यताओं और पुराणों में कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं, जिनका उल्लंघन करने पर शिव पूजा का संपूर्ण फल नहीं मिलता और भगवान शिव रुष्ट हो सकते हैं। खासकर मंदिर से लौटने के बाद कुछ काम हैं जो भूलकर भी नहीं करने चाहिए।
पूजा का फल तभी जब आचरण भी हो पवित्रधार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शिव पूजा का असर तभी होता है जब व्यक्ति का व्यवहार और आचरण भी शुद्ध हो। शिव जी केवल भाव के भूखे हैं, लेकिन साथ ही वे अनुशासन और मर्यादा को भी महत्त्व देते हैं। शिव मंदिर जाकर श्रद्धा से पूजा करने के बाद यदि भक्त कुछ ऐसी गतिविधियों में लिप्त हो जाएं, जो शास्त्रों के विरुद्ध हों, तो उनकी पूजा निष्फल हो सकती है।
आइए जानते हैं वे कौन-कौन से काम हैं जो शिव मंदिर से लौटने के बाद नहीं करने चाहिए—
1. मांस-मदिरा का सेवन
शिव मंदिर से लौटने के बाद किसी भी प्रकार का मांसाहारी भोजन या मदिरा का सेवन वर्जित माना गया है। भले ही कुछ धारणाएं शिव को भांग या धतूरे से जोड़ती हों, लेकिन शास्त्रों के अनुसार वे योगी और तपस्वी हैं, और उनकी पूजा के बाद किसी भी तरह का नशा अशुद्धि का प्रतीक होता है। ऐसा करना शिव को अप्रसन्न कर सकता है।
2. क्रोध और अपशब्दों से बचें
शिव को शांत स्वरूप में देखा जाता है, लेकिन जब वे रुष्ट होते हैं तो रौद्र रूप धारण कर लेते हैं। इसलिए मंदिर से लौटने के बाद क्रोध करना, किसी से झगड़ा करना या अपशब्द कहना बेहद अशुभ माना जाता है। इससे पूजा का फल नष्ट हो सकता है।
3. तुरंत बाल कटवाना या नाखून काटना
4.
धार्मिक मान्यताओं में बताया गया है कि पूजा या किसी धार्मिक स्थान से लौटने के तुरंत बाद शरीर पर किसी भी तरह की कटाई (बाल या नाखून) करना उचित नहीं है। यह अशुद्धि का प्रतीक है और इससे ईश्वर की कृपा में बाधा आ सकती है।
4. शिव मंदिर से लौटकर सीधे बिस्तर पर न जाएं
कई लोग सुबह मंदिर जाकर लौटते ही विश्राम करने लगते हैं, लेकिन यह आदत गलत मानी गई है। पूजा के बाद विश्राम नहीं, सेवा और सत्कर्म करने की सलाह दी गई है। इससे पूजा का फल और अधिक बढ़ता है। आलस्य को तमोगुण माना गया है, जो शिवभक्ति के मार्ग में बाधक है।
5. तुरंत नहाएं नहीं
शिव मंदिर में पूजा के लिए पहले से शुद्ध होकर जाने की परंपरा है। लेकिन कुछ लोग मंदिर से लौटकर फिर से स्नान करते हैं, यह आवश्यक नहीं है और कई बार उल्टा प्रभाव डाल सकता है। यह मान्यता है कि पूजा के बाद शरीर पर भगवान की कृपा होती है, और तुरंत स्नान करने से वह ऊर्जा धुल सकती है।
6. नीचे बैठकर भोजन न करें
मंदिर से लौटकर सीधे भोजन करने से पहले कुछ समय ध्यान, मंत्र जाप या भक्ति में बिताना चाहिए। भोजन को प्रसाद की तरह ग्रहण करें, न कि तृप्ति के साधन के रूप में। यह मान्यता है कि पूजा के बाद का पहला कार्य अगर भक्ति से जुड़ा हो तो ईश्वर अधिक प्रसन्न होते हैं।
7. मंदिर से लाया गया प्रसाद बांटने में न करें देर
8.
शिव मंदिर से लाया गया प्रसाद जितनी जल्दी और श्रद्धा से परिजनों व आस-पास के लोगों में बांटा जाए, उतना ही शुभ माना जाता है। देर करने से उसका पुण्य घट सकता है। प्रसाद को आपस में प्रेम से साझा करना ही शिव की सच्ची भक्ति है।
पुराणों में भी वर्णित हैं ये नियम
स्कंद पुराण और शिव पुराण में साफ कहा गया है कि भगवान शिव भक्तों के भाव से तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन वे अनुशासनहीनता को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते। इन ग्रंथों में यह भी उल्लेख है कि शिव की पूजा में लापरवाही करने वाला व्यक्ति पुण्य के बजाय पाप का भागी बन सकता है।
शिव की भक्ति केवल मंदिर जाकर जल चढ़ाने तक सीमित नहीं है। उनकी कृपा पाने के लिए शुद्ध मन, सात्विक जीवन और धर्म के नियमों का पालन करना जरूरी है। शिव मंदिर से लौटकर यदि भक्त इन बातों का ध्यान रखे तो उसकी पूजा न केवल सफल होती है बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी सुनिश्चित होती है।