Bihar News: बिहार विधानसभा में सियासी घमासान: काले कपड़ों से शुरू हुआ विरोध ‘मुंह पर कालिख’ तक पहुंचा, सदन के बाहर भी गरमाया माहौल।

Bihar News: बिहार विधानसभा में सियासी घमासान: काले कपड़ों से शुरू हुआ विरोध ‘मुंह पर कालिख’ तक पहुंचा, सदन के बाहर भी गरमाया माहौल।

पटना। बिहार विधानसभा का मॉनसून सत्र इस बार सिर्फ कानून और विकास पर बहस के लिए नहीं, बल्कि तीखी राजनीतिक तकरार और शब्दों के बाणों के लिए भी सुर्खियों में रहा। सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच का टकराव खुलकर सामने आया, जब राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के विधायक काले कपड़े पहनकर सदन में पहुंचे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

राजद विधायकों का यह प्रदर्शन मतदाता पुनरीक्षण अभियान (Special Summary Revision – SSR) के विरोध में था, जिसे उन्होंने “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया। इस मुद्दे को लेकर सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की।

“काले कपड़े पहनने से कुछ नहीं होगा, मुंह पर भी कालिख पोत लो”: जदयू का तंज

विपक्ष के विरोध प्रदर्शन पर सत्तारूढ़ जदयू ने भी तीखा पलटवार किया। जदयू नेताओं ने राजद पर तंज कसते हुए कहा कि “काले कपड़े पहनकर नाटक करने से कुछ नहीं होगा, अगर शर्म है तो मुंह पर भी कालिख पोत लो।” इस बयान से सदन का माहौल और गरमा गया। दोनों दलों के विधायकों के बीच नोकझोंक यहां तक बढ़ी कि सुरक्षाकर्मियों को बीच-बचाव करना पड़ा।

मतदाता पुनरीक्षण पर क्यों भड़का विपक्ष?

राजद ने आरोप लगाया कि मतदाता पुनरीक्षण अभियान के जरिए सरकार वोटर लिस्ट में जानबूझकर हेरफेर करना चाहती है। पार्टी का कहना है कि दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं, जिससे लोकतंत्र की नींव कमजोर हो रही है। राजद नेताओं ने यह भी चेतावनी दी कि अगर यह प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो राज्यभर में जन आंदोलन छेड़ा जाएगा।

सत्ता पक्ष ने विपक्ष को बताया “डरपोक”

दूसरी ओर, सरकार और जदयू के नेताओं का कहना है कि यह पूरा अभियान भारत निर्वाचन आयोग की निगरानी में चल रहा है और इसमें किसी भी प्रकार की धांधली की संभावना नहीं है। सत्ता पक्ष ने राजद पर झूठ फैलाने और जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि जो दल खुद भ्रष्टाचार के मामलों में घिरा है, वही लोकतंत्र की दुहाई दे रहा है।

सदन के बाहर भी दिखा टकराव का असर

विधानसभा भवन के बाहर भी राजद और जदयू के कार्यकर्ताओं के बीच बहस और नारेबाजी देखने को मिली। विपक्ष के समर्थकों ने हाथ में काले झंडे और पोस्टर लेकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए। वहीं, जदयू कार्यकर्ताओं ने इसका जवाब “विकास विरोधी विपक्ष” जैसे नारे लगाकर दिया।

सत्र की गरिमा पर उठे सवाल

इस तरह की बयानबाज़ी और नाटकीय विरोध प्रदर्शन ने विधानसभा की गरिमा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आम जनता की नजरों में यह टकराव सत्ता और विपक्ष के बीच की बढ़ती खाई को दर्शाता है, जो आने वाले चुनावों से पहले और भी गहराता नजर आ रहा है।

बिहार की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। मुद्दा चाहे मतदाता सूची में संशोधन का हो या लोकतंत्र की रक्षा का दावा—दोनों पक्ष अपने-अपने तर्कों के साथ आम जनता के सामने हैं। लेकिन सच्चाई क्या है, यह जांच और समय ही बता पाएगा। फिलहाल, विधानसभा में काले कपड़ों से शुरू हुई सियासत ‘मुंह पर कालिख’ जैसे विवादित बयानों तक पहुंच गई है, जो राज्य की राजनीति में आने वाले तूफान की आहट कही जा सकती है।

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