
स्मोक नहीं करते, फिर भी हो सकता है लंग कैंसर! इन शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें
लंग कैंसर यानी फेफड़ों का कैंसर लंबे समय तक सिर्फ सिगरेट या बीड़ी पीने वालों की बीमारी माना जाता रहा है। लेकिन अब यह धारणा बदल रही है। हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें लंग कैंसर उन लोगों को हुआ है जो कभी तंबाकू या सिगरेट के संपर्क में नहीं आए। चिकित्सा जगत इसे गंभीर चेतावनी के रूप में देख रहा है क्योंकि नॉन-स्मोकर्स में भी यह बीमारी लगातार बढ़ रही है।
क्या है लंग कैंसर?
लंग कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो फेफड़ों की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि से शुरू होता है। ये कोशिकाएं धीरे-धीरे एक ट्यूमर का रूप ले लेती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकती हैं। लंग कैंसर दो प्रकार का होता है — नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) और स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC)। नॉन-स्मोकर्स में आमतौर पर पहला प्रकार अधिक देखने को मिलता है।
नॉन-स्मोकर्स को क्यों हो रहा है लंग कैंसर?
इस सवाल का जवाब आसान नहीं है, लेकिन शोधकर्ताओं ने कुछ अहम कारणों की पहचान की है:
1. इनडोर एयर पॉल्यूशन: घरों के अंदर वेंटिलेशन की कमी, कुकिंग गैस का धुआं और खासतौर पर कोयले या लकड़ी से खाना पकाने का धुआं लंग कैंसर की संभावना को बढ़ाता है।
2. पासिव स्मोकिंग: अगर आप खुद स्मोक नहीं करते, लेकिन आपके आसपास कोई लगातार स्मोक करता है, तो भी आप सेकेंड हैंड स्मोक से प्रभावित हो सकते हैं।
3. रेडॉन गैस: यह एक प्राकृतिक रेडियोधर्मी गैस है जो मिट्टी और चट्टानों से निकलती है और घरों में जमा हो सकती है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहना लंग कैंसर का कारण बन सकता है।
4. वातावरणीय प्रदूषण: महानगरों में वायु प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा हो चुका है कि यह तंबाकू से ज्यादा नुकसान कर सकता है। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण लंग कैंसर की संभावना काफी बढ़ जाती है।
5. जेनेटिक फैक्टर और हार्मोनल बदलाव: कुछ मामलों में लंग कैंसर पारिवारिक हो सकता है या फिर महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन भी इसका कारण बन सकता है।
शुरुआती लक्षण जिन्हें न करें नजरअंदाज
लंग कैंसर के शुरुआती लक्षण बहुत सामान्य से होते हैं, जिन्हें अक्सर लोग मामूली समझकर टाल देते हैं। लेकिन समय रहते पहचान ही इसके इलाज की कुंजी है।
लगातार खांसी: अगर तीन हफ्तों से ज्यादा समय तक खांसी बनी रहे, खासकर सूखी खांसी, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
सीने में दर्द: सांस लेते वक्त या खांसते हुए सीने में दर्द का होना एक चेतावनी संकेत हो सकता है।
सांस फूलना: थोड़ा चलने या सीढ़ी चढ़ने पर भी सांस फूलना लंग फंक्शन में गड़बड़ी का संकेत है।
बलगम में खून आना: यह एक गंभीर लक्षण है और तुरंत मेडिकल जांच की जरूरत होती है।
लगातार थकावट और वजन घटना: बिना वजह वजन कम होना और कमजोरी महसूस होना भी कैंसर का संकेत हो सकता है।
स्वर बैठना या आवाज में बदलाव: ट्यूमर वोकल कॉर्ड पर असर डाल सकता है जिससे आवाज में बदलाव आ सकता है।
डायग्नोसिस और इलाज
अगर ऊपर बताए गए लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो डॉक्टर आमतौर पर निम्नलिखित टेस्ट की सलाह देते हैं:
एक्स-रे या सीटी स्कैन
ब्रोंकोस्कोपी
बायोप्सी
स्पूटम टेस्ट
इलाज की प्रक्रिया कैंसर के स्टेज, टाइप और मरीज की सेहत पर निर्भर करती है। इलाज के प्रमुख विकल्पों में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी शामिल हैं।
बचाव ही सबसे बड़ा उपाय
हालांकि लंग कैंसर को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ जीवनशैली में बदलाव अपनाकर खतरे को कम किया जा सकता है:
प्रदूषण से बचाव करें, मास्क का प्रयोग करें
अपने घर की वेंटिलेशन व्यवस्था सुधारें
नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं, खासकर अगर पारिवारिक इतिहास है
पौष्टिक आहार और व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें
तंबाकू या स्मोकिंग से पूरी तरह दूर रहें
जागरूकता ही बचाव है
यह जरूरी नहीं कि सिर्फ स्मोक करने वाला ही लंग कैंसर का शिकार हो। बदलते माहौल, प्रदूषण और जीवनशैली के कारण अब यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि लोग इसके लक्षणों के प्रति सतर्क रहें और समय पर इलाज कराएं। समय रहते की गई जांच न सिर्फ बीमारी को काबू में कर सकती है, बल्कि जिंदगी भी बचा सकती है।