फिजिकल टेस्ट के दौरान बेहोश हुई युवती से एम्बुलेंस में गैंगरेप: दो आरोपी गिरफ्तार,

बिहार के औरंगाबाद जिले से एक रौंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। होमगार्ड भर्ती की प्रक्रिया के तहत चल रहे शारीरिक परीक्षण (फिजिकल टेस्ट) के दौरान एक महिला अभ्यर्थी बेहोश हो गई। इलाज के लिए उसे जिस एम्बुलेंस में अस्पताल भेजा गया, उसी एम्बुलेंस में उसके साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया।
घटना की पूरी कहानी
घटना औरंगाबाद के कुर्की स्थित भर्ती शिविर की है। यहां होमगार्ड के पदों पर भर्ती के लिए शारीरिक परीक्षण आयोजित किया गया था। बड़ी संख्या में अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक महिला अभ्यर्थी फिजिकल टेस्ट के दौरान बेहोश हो गई। मौके पर मौजूद चिकित्सा टीम ने उसे तत्काल प्राथमिक इलाज दिया और फिर उसे अस्पताल भेजने के लिए एक एम्बुलेंस बुलाई गई।
लेकिन अस्पताल ले जाने की बजाय, एम्बुलेंस में मौजूद ड्राइवर और एक सहयोगी ने उस महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। पीड़िता जब होश में आई, तो उसने अपने साथ हुई दरिंदगी की जानकारी पुलिस को दी। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपी और पुलिस कार्रवाई
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान एम्बुलेंस चालक राजेश कुमार और उसके सहयोगी अरविंद यादव के रूप में हुई है। दोनों को प्राथमिक पूछताछ के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पीड़िता की मेडिकल जांच कराई गई है और रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि हुई है।
एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाने की तैयारी की जा रही है ताकि पीड़िता को जल्द न्याय मिल सके। साथ ही, पुलिस यह भी जांच कर रही है कि कहीं इस तरह की घटनाएं पहले भी तो नहीं हुई हैं और अगर हुई हैं तो उन्हें क्यों दबाया गया।
सवालों के घेरे में व्यवस्था
इस घटना ने बिहार की भर्ती प्रक्रिया और सुरक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। भर्ती स्थल पर पर्याप्त संख्या में महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती क्यों नहीं थी? एम्बुलेंस जैसे संवेदनशील माध्यम में महिला की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी थी? क्या ऐसे संवेदनशील मामलों में अकेले पुरुष स्टाफ को भेजा जाना उचित है?
घटना के बाद महिला आयोग, सामाजिक कार्यकर्ता और कई राजनीतिक दलों ने इस घटना की निंदा की है। बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष ने इस घटना को “सरकार के महिला सुरक्षा के दावों की पोल खोलने वाला” बताया और तत्काल न्याय की मांग की।
पीड़िता की हालत और सरकारी बयान
पीड़िता इस समय अस्पताल में भर्ती है और मानसिक रूप से बेहद आहत है। डॉक्टरों की टीम उसकी काउंसलिंग कर रही है। जिला प्रशासन ने उसे हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है। वहीं, बिहार के गृह विभाग ने घटना की जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित कर दी है।
बिहार पुलिस के डीजीपी ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और पूरी भर्ती प्रक्रिया की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की जा रही है।
राजनैतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना को लेकर राज्य की राजनीति भी गरमा गई है। विपक्ष ने सरकार को महिला सुरक्षा के मुद्दे पर घेरा है। आरजेडी नेता ने कहा कि नीतीश सरकार सिर्फ दावे करती है, लेकिन जमीन पर महिलाओं की सुरक्षा शून्य है। बीजेपी नेताओं ने भी इस घटना की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।
फिजिकल टेस्ट जैसी प्रक्रिया, जो युवाओं के भविष्य की कुंजी होती है, वह अगर अपराध का अड्डा बन जाए तो यह समाज और व्यवस्था दोनों के लिए खतरे की घंटी है। यह सिर्फ एक महिला के साथ दुष्कर्म नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर हमला है। सरकार को चाहिए कि वह इस घटना को एक चेतावनी की तरह ले और न सिर्फ आरोपियों को कड़ी सजा दिलाए, बल्कि भर्ती प्रक्रिया में महिला सुरक्षा के लिए सख्त दिशानिर्देश लागू करे।
