
सिर्फ़ ज़मीन के लिए की मां की हत्या, कोर्ट ने सुनाई फांसी की सज़ा
सांस्कृतिक मूल्यों पर कलंक है
यह घटना, न्यायपालिका का ऐतिहासिक फैसला
एक बेटे ने महज संपत्ति के लालच में अपनी ही मां को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। न वह ममता का लिहाज़ रख सका, न रिश्ते की गरिमा का। इस दिल दहला देने वाले मामले में कोर्ट ने आरोपी बेटे को फांसी की सज़ा सुनाई है। अदालत ने कहा कि यह अपराध ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ श्रेणी में आता है और समाज में एक सख्त संदेश देने की ज़रूरत है।
घटना मध्यप्रदेश के इंदौर की है। आरोपी बेटा संजय ने 2022 में अपनी मां विमला देवी (उम्र 65) की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी क्योंकि वह अपने नाम पर पूरी प्रॉपर्टी करवाना चाहता था। जब मां ने इसके लिए मना कर दिया, तो उसने पहले उन्हें सीढ़ियों से धक्का दिया, फिर सिर पर वार किया और अंत में गला घोंटकर जान ले ली।
हत्या की रोंगटे खड़ी कर देने वाली कहानी
पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, संजय लगातार अपनी मां से संपत्ति अपने नाम कराने का दबाव बना रहा था। मां ने जब इसका विरोध किया, तो उसने योजनाबद्ध तरीके से हत्या को अंजाम दिया।
घटना वाले दिन, आरोपी ने मां से कहा कि वह उनके लिए दवाइयां लाने जा रहा है। घर लौटते ही उसने झगड़ा शुरू किया और अचानक उन्हें सीढ़ियों से नीचे धकेल दिया। गिरने से विमला देवी गंभीर रूप से घायल हो गईं, लेकिन वह जीवित थीं। तभी संजय ने एक भारी वस्तु से उनके सिर पर वार किया और फिर गला दबाकर उनकी सांसें रोक दीं।
यह पूरा अपराध घर के अंदर हुआ, लेकिन संजय ने इसे दुर्घटना दिखाने की कोशिश की। वह मां के शव को अस्पताल ले गया और कहा कि वह गिर गई थीं। लेकिन मेडिकल रिपोर्ट और शव परीक्षण से स्पष्ट हो गया कि यह एक योजनाबद्ध हत्या थी।
बेटी के बयान ने खोली साजिश की परतें
इस पूरे मामले में आरोपी की बहन ने कोर्ट के समक्ष गवाही दी। उसने बताया कि उसका भाई कई दिनों से मां पर ज़मीन और मकान के कागज अपने नाम कराने का दबाव डाल रहा था। एक दिन पहले भी उसने मां को धमकी दी थी कि अगर वह प्रॉपर्टी उसके नाम नहीं करेंगी तो वह कुछ भी कर सकता है।
बेटी की गवाही और कॉल रिकॉर्डिंग्स ने कोर्ट में आरोपी के इरादों को बेनकाब कर दिया। कॉल डिटेल्स में यह भी सामने आया कि हत्या से एक दिन पहले उसने अपने दोस्त से कहा था कि अब बहुत हो गया, “अब उसे हटाना ही पड़ेगा”।
कोर्ट का सख्त फैसला: “मां की हत्या सबसे अमानवीय अपराध”
सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार यादव की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि एक बेटा, जो मां के गर्भ में 9 महीने रहा, जो उसकी ममता की छांव में पला-बढ़ा, वही अगर उस मां की जान ले ले, तो यह समाज के लिए सबसे बड़ी चेतावनी है।
कोर्ट ने कहा कि इस अपराध में सुधार की कोई संभावना नहीं है। ऐसे दोषियों को कठोरतम सज़ा मिलनी चाहिए, ताकि समाज में एक संदेश जाए कि किसी भी स्थिति में मां की हत्या जैसे अमानवीय कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अंततः अदालत ने आरोपी संजय को IPC की धारा 302 के तहत फांसी की सज़ा सुनाई और कहा कि उसे मौत तक फांसी पर लटकाया जाए।
समाज में आक्रोश, लोगों ने कहा- इंसाफ मिला
इस फैसले के बाद आम जनमानस में भी प्रतिक्रिया देखने को मिली। इंदौर शहर के रहवासियों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। स्थानीय समाजसेवी संस्था ‘मातृसेवा संघ’ ने कहा, “यह सिर्फ एक मां की हत्या नहीं थी, यह समाज के मातृत्व और रिश्तों की हत्या थी। अदालत ने सही समय पर कड़ा संदेश दिया है।”
प्रॉपर्टी विवाद बना अपराध की जड़
विशेषज्ञों का मानना है कि संपत्ति को लेकर परिवारों में विवाद अब गंभीर अपराधों का कारण बनते जा रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू संपत्ति विवादों के चलते हत्या जैसे गंभीर अपराधों में बीते तीन वर्षों में 14% की वृद्धि हुई है।
मनोवैज्ञानिकों की राय: “लालच रिश्तों को निगल रहा है”
मनोचिकित्सक डॉ. संगीता खरे कहती हैं, “अब परिवारों में धैर्य और संवेदनशीलता की कमी आ रही है। बच्चों में सहनशीलता घटती जा रही है और संपत्ति का लोभ रिश्तों से ऊपर होता जा रहा है। यह घटना इसका भयावह उदाहरण है।”
न्याय के इंतज़ार में कई और मांएं…
हालांकि इस मामले में कानून ने न्याय दिया, लेकिन देश में कई मांएं आज भी संपत्ति, घरेलू हिंसा और उपेक्षा का शिकार हो रही हैं। यह घटना चेतावनी है कि अगर समय रहते समाज ने चेतना नहीं दिखाई, तो ऐसे अपराध बढ़ते ही रहेंग।
इंदौर की इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या आधुनिक समाज में रिश्तों का कोई मोल बचा है? क्या ममता और परवरिश के बदले में अब हिंसा और लालच ही मिलेगा? कोर्ट का यह फैसला निश्चित तौर पर अपराधियों के लिए एक सख्त चेतावनी है कि भारत में कानून की नजर से कोई नहीं बच सकता – चाहे वह बेटा ही क्यों न हो।