
श्रीनगर |जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में अमरनाथ यात्रा के दौरान एक बड़ी आतंकी साजिश को सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया है। सोमवार सुबह श्रीनगर के पंथाचौक क्षेत्र में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई। इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन महादेव’ नाम दिया गया था, जिसे सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने मिलकर अंजाम दिया। इस कार्रवाई में तीन आतंकी मारे गए हैं, जो अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने की साजिश रच रहे थे।
यात्रा पर मंडरा रहा था खतरा, सुरक्षाबलों की सतर्कता से बची बड़ी घटना
अमरनाथ यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र होती है। ऐसे में आतंकी संगठन इस यात्रा को बाधित करने की लगातार कोशिशें करते आए हैं। खुफिया एजेंसियों को पहले ही इनपुट मिला था कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन यात्रा मार्गों पर हमले की फिराक में हैं। इसी इनपुट के आधार पर पंथाचौक और आसपास के इलाकों में सघन तलाशी अभियान चलाया गया था।
कैसे हुआ ऑपरेशन ‘महादेव’
सोमवार सुबह सुरक्षाबलों को जानकारी मिली कि कुछ संदिग्ध आतंकी पंथाचौक इलाके के एक घर में छिपे हुए हैं। सेना की राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और सीआरपीएफ ने संयुक्त रूप से इलाके की घेराबंदी की। आतंकी गोलीबारी करने लगे, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई की गई। करीब 5 घंटे चली इस मुठभेड़ के बाद तीन आतंकियों को ढेर कर दिया गया।
मारे गए आतंकियों की पहचान और उद्देश्य
प्रारंभिक जांच में मारे गए तीनों आतंकियों की पहचान हो गई है। ये सभी विदेशी मूल के थे और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े बताए जा रहे हैं। इनके पास से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और अमरनाथ यात्रा से जुड़ी लोकेशन और नक्शे बरामद हुए हैं। इससे साफ है कि ये यात्रा को निशाना बनाने की बड़ी साजिश रच रहे थे।
सेना ने क्यों रखा नाम ‘ऑपरेशन महादेव’?
इस ऑपरेशन का नाम ‘महादेव’ इसलिए रखा गया क्योंकि यह अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा से जुड़ा हुआ था। अमरनाथ को भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है और महादेव शिव का ही दूसरा नाम है। सेना ने इस नाम के जरिए आतंकियों को यह संदेश भी दिया कि आस्था पर आंच नहीं आने दी जाएगी।
आम लोगों को नहीं होने दिया गया नुकसान
सुरक्षाबलों ने इस ऑपरेशन को बेहद सावधानी से अंजाम दिया। इस दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि आसपास के आम नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे। स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया और मुठभेड़ के दौरान क्षेत्र में कर्फ्यू जैसे हालात बनाए रखे गए। सेना के अनुसार, ऑपरेशन की सफलता इस बात का संकेत है कि सुरक्षाबल पूरी तरह सतर्क हैं और आतंकियों की किसी भी साजिश को सफल नहीं होने देंगे।
डीजीपी और सेना का बयान
जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी आर.आर. स्वैन ने मीडिया को बताया, “हमारी टीमों ने शानदार समन्वय के साथ इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। यह मुठभेड़ आतंकी नेटवर्क के लिए बड़ा झटका है। हम यात्रा मार्गों को पूरी तरह सुरक्षित रखने के लिए 24×7 सतर्क हैं।”
वहीं सेना की 15वीं कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव गोयल ने कहा, “ऑपरेशन महादेव केवल एक मुठभेड़ नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हमारी कार्रवाई आने वाले दिनों में ऐसी किसी भी साजिश को रोकने के लिए संदेश है।”
यात्रा मार्गों पर सुरक्षा और बढ़ाई गई
इस घटना के बाद अमरनाथ यात्रा मार्गों पर सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है। ड्रोन से निगरानी, अतिरिक्त जवानों की तैनाती, और नाइट विजन कैमरों के जरिए निगरानी तेज की गई है। साथ ही श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत सुरक्षाबलों को दें।
पाकिस्तान पर फिर उठे सवाल
हर बार की तरह इस बार भी आतंकियों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। बरामद दस्तावेजों और हथियारों पर पाकिस्तान के निशान मिलने से साफ है कि इन आतंकियों को सीमा पार से समर्थन मिल रहा था। भारत पहले भी कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठा चुका है।
ऑपरेशन महादेव की सफलता एक बार फिर इस बात की गवाही देती है कि भारतीय सुरक्षाबल किसी भी चुनौती से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं। अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने की साजिश नाकाम होने से श्रद्धालुओं के मन में विश्वास और सुरक्षा की भावना मजबूत हुई है।