
देश में दूध को सेहत का प्रतीक माना जाता है, लेकिन अगर वही दूध जहर बन जाए तो? कुछ ऐसा ही हुआ है इस चौंकाने वाली खबर में, जहां मिलावटी दूध टैंकरों के ज़रिए डेयरी तक सप्लाई किया जा रहा है। दो रिपोर्टरों ने इस खतरनाक सच्चाई का पर्दाफाश करने के लिए 350 किलोमीटर तक इन टैंकरों का पीछा किया और जो सच सामने आया, वह दिल दहला देने वाला है। यह दूध न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है बल्कि इससे कैंसर और गर्भपात तक का खतरा बताया जा रहा है।
राजस्थान के भरतपुर जिले से यह मिलावटी दूध सप्लाई का गोरखधंधा चल रहा है।
दो रिपोर्टर्स ने गुप्त रूप से मिलावटखोरों की गतिविधियों को ट्रैक किया और 350 KM का पीछा कर वीडियो सबूत इकट्ठा किए।
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सड़क किनारे सुनसान जगहों पर टैंकरों को रोका गया और उनमें पाउडर, रिफाइंड ऑयल और केमिकल्स मिलाए गए।
इसके बाद इन टैंकरों को नोएडा और दिल्ली की नामी डेयरियों तक सप्लाई किया गया।
कैसे होती है मिलावट?
सबसे पहले दूध के टैंकर भरतपुर से रवाना होते हैं।
रास्ते में उन्हें सुनसान इलाकों में खड़ा कर, कुछ लोग केन से सफेद पाउडर और थैले में लिक्विड डालते हैं।
यह पूरा प्रोसेस महज 5-10 मिनट में हो जाता है और फिर टैंकर आगे बढ़ जाता है।
इस मिलावट में यूरिया, सिंथेटिक मिल्क बेस, डिटरजेंट और रिफाइंड ऑयल जैसे खतरनाक पदार्थ मिलाए जाते हैं।
वीडियो सबूतों में क्या दिखा?
वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे 10 लीटर केन से लिक्विड दूध में डाला जा रहा है।
एक शख्स बड़े प्लास्टिक बैग से सफेद पाउडर दूध में मिलाता है और उसे एक छड़ी से हिलाता है।
इसके बाद टैंकर का ढक्कन बंद कर दिया जाता है और वह गाड़ी रवाना हो जाती है।
रिपोर्टर्स ने GPS और नंबर प्लेट ट्रैक कर डेयरियों तक इसकी पुष्टि की।
जिन डेयरियों में दूध पहुंचाया गया, वहां किसी भी प्रकार की जांच नहीं हुई।
टैंकर पहुंचते ही उन्हें सीधे unloading zone में भेजा गया।
डेयरी कर्मियों को शायद पहले से जानकारी थी या वे भी इस गोरखधंधे का हिस्सा थे।
स्वास्थ्य पर असर:
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस मिलावटी दूध में इस्तेमाल हो रहे केमिकल्स बेहद खतरनाक हैं।
लंबे समय तक ऐसे दूध का सेवन करने से कैंसर, किडनी फेलियर, लिवर डैमेज और महिलाओं में मिसकैरेज की आशंका है।
छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह दूध जानलेवा साबित हो सकता है।
कानून क्या कहता है?
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 के तहत दूध में मिलावट गैर-जमानती अपराध है।
दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की सजा और लाखों रुपये का जुर्माना हो सकता है।
लेकिन कार्रवाई तभी होगी जब अधिकारी जांच करें और कोर्ट में मुकदमा चले।
प्रशासन की चुप्पी:
रिपोर्ट सामने आने के बाद भी स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
खाद्य सुरक्षा विभाग ने फिलहाल जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया है।
आम जनता की सेहत से खिलवाड़ करने वाले इन गिरोहों पर कड़ी कार्रवाई की मांग हो रही है।
एक तरफ सरकार दूध उत्पादन और डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर दूध में मिलावट करने वाले खुलेआम ज़हर घोल रहे हैं। रिपोर्टर्स की मेहनत से यह सच्चाई उजागर हो सकी, लेकिन अब बारी प्रशासन और कानून की है कि वह दोषियों को सजा दिलाए और जनता को सुरक्षित दूध उपलब्ध कराए।