
बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच एजेंसियों की मुहिम एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राज्य के बांका जिले में 131 करोड़ रुपये के बालू घोटाले का पर्दाफाश किया है। यह घोटाला न सिर्फ आर्थिक रूप से राज्य को नुकसान पहुंचाने वाला है, बल्कि सरकारी व्यवस्था की गंभीर खामियों की भी पोल खोलता है।
मुख्य बिंदु:
बालू खनन में अनियमितताओं से सरकार को हुआ करोड़ों का राजस्व नुकसान
ED की छापेमारी में फर्जी दस्तावेज, लेनदेन के रिकॉर्ड और डिजिटल साक्ष्य जब्त
कई ठेकेदार, अधिकारी और राजनेताओं के तार जुड़े होने की आशंका
जांच में सामने आई 131 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्तियों की जानकारी
बालू माफिया और प्रशासन की मिलीभगत का आरोप:
ED की रिपोर्ट में बताया गया है कि बालू के अवैध खनन और बिक्री में स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला अंजाम दिया गया। बिना वैध लाइसेंस और तय सीमा से ज्यादा बालू की निकासी कर सरकार को भारी नुकसान पहुंचाया गया।
इसके अलावा, जिन एजेंसियों और ठेकेदारों को खनन के सीमित अधिकार दिए गए थे, उन्होंने तय मानकों की अनदेखी कर व्यापक स्तर पर बालू का अवैध व्यापार किया।
क्या कहते हैं जब्त दस्तावेज
छापेमारी के दौरान ED को कई अहम दस्तावेज, फर्जी चालान, फर्जी बैंक ट्रांजैक्शन और डिजिटल रिकॉर्ड मिले हैं। इनसे पता चलता है कि बालू माफिया ने अधिकारियों की मदद से कई शेल कंपनियों के जरिए काले धन को सफेद किया और संपत्तियां बनाई।
131 करोड़ रुपये की संपत्तियों का ट्रैक:
प्रवर्तन निदेशालय ने अब तक की जांच में लगभग 131 करोड़ रुपये की बेहिसाब संपत्तियों की जानकारी जुटाई है, जिनमें जमीन, वाहन, और बैंकों में जमा राशि शामिल हैं। ED ने कई खातों को फ्रीज कर दिया है और आगे की जांच के लिए मनी ट्रेल खंगाला जा रहा है।
राजनीतिक संरक्षण की भी आशंका:
जांच एजेंसी को मिले प्रारंभिक संकेतों के अनुसार इस घोटाले में कुछ राजनीतिक चेहरों की संलिप्तता से भी इनकार नहीं किया जा सकता। जांच के दायरे में कई पूर्व और वर्तमान जनप्रतिनिधि भी शामिल हो सकते हैं।
बांका में बालू खनन पर बढ़ी सख्ती:
इस खुलासे के बाद बांका समेत पूरे बिहार में बालू खनन पर निगरानी और कड़ी कर दी गई है। प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि वे सभी खनन क्षेत्रों की जांच करें और जो भी अनियमितताएं सामने आए, उस पर कठोर कार्रवाई करें।
जनता की प्रतिक्रिया:
स्थानीय नागरिकों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है और मांग की है कि दोषियों को बख्शा न जाए। आम लोगों का कहना है कि बालू माफिया की वजह से नदियों का अस्तित्व खतरे में है और इससे पर्यावरणीय असंतुलन भी बढ़ रहा है।
सरकार की प्रतिक्रिया:
राज्य सरकार ने कहा है कि भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर इस घोटाले में किसी सरकारी कर्मचारी या जनप्रतिनिधि की संलिप्तता पाई गई, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
131 करोड़ का यह बालू घोटाला बिहार में भ्रष्टाचार के एक और बड़े अध्याय की ओर इशारा करता है। यह सिर्फ आर्थिक घोटाला नहीं बल्कि प्रशासनिक और राजनीतिक तंत्र की कमजोरी को उजागर करता है। अब देखना यह होगा कि ED की इस कार्रवाई के बाद कितने रसूखदार चेहरे बेनकाब होते हैं।