
क्या मक्का-मदीना में विदेशी नागरिक खरीद सकते हैं जमीन? जानिए सऊदी अरब का कानून क्या कहता है
मुस्लिमों के लिए सबसे पवित्र स्थलों में शामिल मक्का और मदीना हर साल लाखों हज और उमराह यात्रियों को आकर्षित करते हैं। लेकिन एक सवाल अक्सर उठता है — क्या इन पवित्र शहरों में विदेशी नागरिक जमीन खरीद सकते हैं? क्या सऊदी सरकार ने इस पर कोई स्पष्ट नीति बनाई है? जानिए मक्का-मदीना की भूमि संबंधी कानूनी व्यवस्था और इसमें विदेशी नागरिकों की भूमिका।
मक्का और मदीना: धार्मिक आस्था का केंद्र
मक्का और मदीना न सिर्फ इस्लाम के दो सबसे पवित्र शहर हैं, बल्कि यहां की धार्मिक मान्यताएं और कानून भी बेहद संवेदनशील और सख्त हैं। मक्का में स्थित काबा और मदीना में मस्जिद-ए-नबवी के कारण इन शहरों का धार्मिक महत्व सर्वोच्च है। यही वजह है कि यहां की हर नीति और नियम शरिया कानून के तहत निर्धारित किए जाते हैं।
क्या विदेशी नागरिक मक्का या मदीना में जमीन खरीद सकते हैं?
इस सवाल का जवाब है “नहीं, लेकिन कुछ शर्तों के साथ अपवाद हैं।”
सऊदी अरब की सरकार ने मक्का और मदीना में जमीन खरीदने को लेकर विशेष प्रावधान बनाए हैं। सामान्यत: विदेशी नागरिक यहां जमीन नहीं खरीद सकते, लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में अपवाद दिए गए हैं।
सऊदी अरब का भूमि कानून: विदेशी नागरिकों पर प्रतिबंध
सऊदी अरब का रियल एस्टेट कानून कहता है कि मक्का और मदीना में केवल सऊदी नागरिक ही अचल संपत्ति (जमीन, मकान आदि) खरीद सकते हैं। यह नियम धार्मिक पवित्रता बनाए रखने और जनसंख्या पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से लागू है। विदेशी मुस्लिम नागरिक भी, जो अन्य शहरों में संपत्ति खरीद सकते हैं, मक्का और मदीना में यह अधिकार नहीं रखते।
विदेशी निवेशकों के लिए नए कानून, लेकिन सीमाएं कायम
हाल ही में सऊदी सरकार ने Vision 2030 योजना के तहत विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई क्षेत्रों में भूमि खरीद की अनुमति दी है। रियाद, जेद्दा और दमाम जैसे शहरों में विदेशी निवेशक अब व्यावसायिक और आवासीय जमीन खरीद सकते हैं। लेकिन यह छूट अभी तक मक्का और मदीना जैसे पवित्र शहरों में लागू नहीं हुई है।
क्या मुस्लिम विदेशी नागरिकों को भी अनुमति नहीं है?
जी हां, धर्म के आधार पर भी कोई छूट नहीं दी गई है। चाहे विदेशी नागरिक मुस्लिम हों या गैर-मुस्लिम, वे मक्का और मदीना में जमीन नहीं खरीद सकते। यहां तक कि हज और उमराह के दौरान भी अगर कोई विदेशी व्यक्ति स्थायी निवास की योजना बनाता है, तो भी उसे कानूनी रूप से संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं होती।
क्या कोई अपवाद संभव है?
कुछ विशेष परिस्थितियों में सऊदी सरकार अनुमति दे सकती है, जैसे:
वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामले: यदि कोई विदेशी इस्लामी धर्मार्थ संस्था के अंतर्गत वक्फ संपत्ति से संबंधित हो, तो कुछ अस्थायी अनुबंधों की अनुमति दी जा सकती है।
लंबे समय से सऊदी निवासी विदेशी: अगर कोई व्यक्ति दशकों से सऊदी में रह रहा हो, उसके पास विशेष निवास परमिट (Golden Residency) हो, तब कुछ शर्तों पर अचल संपत्ति किराए पर लेने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन स्वामित्व फिर भी नहीं दिया जाता।
सऊदी सरकार का नजरिया: धार्मिक भावना सर्वोपरि
सऊदी सरकार का मानना है कि मक्का और मदीना की भूमि पूरे इस्लामिक जगत की धरोहर है। इसे व्यावसायिक लाभ या निजी स्वामित्व के नजरिए से देखना धार्मिक भावना के विरुद्ध माना जाता है। यही कारण है कि वहां की सरकार इस पर बेहद सख्ती बरतती है और विदेशी निवेशकों को इस क्षेत्र से दूर रखती है।
क्या भविष्य में कोई बदलाव संभव है?
हालांकि Vision 2030 के तहत सऊदी अरब सामाजिक और आर्थिक सुधारों की दिशा में आगे बढ़ रहा है, लेकिन फिलहाल मक्का और मदीना को लेकर कोई ढील दिए जाने की संभावना नहीं दिख रही। सरकार इस क्षेत्र को धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील मानती है, इसलिए यहां नियमों में बदलाव जल्द मुमकिन नहीं।
अगर आप एक विदेशी नागरिक हैं और मक्का या मदीना में भूमि खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपको यह स्पष्ट रूप से जान लेना चाहिए कि सऊदी कानून इसके पक्ष में नहीं है। भले ही आप मुस्लिम हों या इस्लाम के प्रति सम्मान रखते हों, फिर भी इन पवित्र शहरों की जमीन सिर्फ सऊदी नागरिकों के लिए आरक्षित है। सरकार का यह फैसला धार्मिक पवित्रता और विरासत की रक्षा के लिए उठाया गया है, जिसे दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा व्यापक समर्थन प्राप्त है।