
ड्यूटी खत्म होते ही स्टाफ ट्रेन छोड़कर चला गया, ट्रैक पर घंटों खड़ी रही ट्रेन! नार्वे की हैरान कर देने वाली घटना
ट्रेन ट्रैक पर खड़ी है, इंजन चालू है, लेकिन कोई ड्राइवर नहीं, कोई गार्ड नहीं और न ही कोई रेलवे स्टाफ! जी हां, ये किसी फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि नार्वे (Norway) की एक असली घटना है जिसने दुनियाभर में रेल सेवाओं की कार्यशैली को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नार्वे में एक पैसेंजर ट्रेन को उसके चालक दल ने सिर्फ इसलिए बीच रास्ते में छोड़ दिया क्योंकि उनकी ड्यूटी का समय पूरा हो गया था। इस अजीबोगरीब घटना ने यूरोपीय रेलवे सिस्टम की कार्यप्रणाली को लेकर बहस छेड़ दी है।
दरअसल, यह पूरा मामला नार्वे के एक लोकप्रिय रेलवे मार्ग पर सामने आया, जहां एक ट्रेन को उसके ड्राइवर और बाकी स्टाफ ने अचानक बीच ट्रैक पर ही छोड़ दिया। ये ट्रेन 137 यात्रियों को लेकर जा रही थी, लेकिन जब स्टाफ की ड्यूटी खत्म हुई, तो उन्होंने ट्रेन रोक दी और स्टेशन से बाहर निकल गए। न तो यात्रियों को इसकी सूचना दी गई, न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई।
यह घटना नार्वे के राष्ट्रीय रेल ऑपरेटर Vy के अंतर्गत संचालित हो रही ट्रेन में हुई, जो राजधानी ओस्लो से रवाना हुई थी। Vy के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि यह मामला स्टाफ की हड़ताल या विरोध प्रदर्शन का नहीं था, बल्कि “शेड्यूलिंग एरर” यानी टाइम टेबल से जुड़ी गलती के कारण हुआ। कंपनी ने माना कि यह उनकी ओर से बड़ी चूक थी।
क्या हुआ था उस दिन?
Vy के अनुसार, ट्रेन अपने निर्धारित समय पर रवाना हुई, लेकिन रास्ते में जैसे ही स्टाफ की ड्यूटी का समय पूरा हुआ, उन्होंने ट्रेन को एक स्टेशन पर रोक दिया और ट्रेन से उतर गए। यह स्टेशन कोई बड़ा टर्मिनल नहीं था, बल्कि एक छोटा सा पड़ाव था, जहां कोई अन्य स्टाफ मौजूद नहीं था।
ट्रेन में बैठे यात्रियों को पहले तो लगा कि कोई तकनीकी खराबी हुई है, लेकिन कुछ देर बाद जब यह खबर फैली कि चालक और अन्य स्टाफ ट्रेन छोड़कर चले गए हैं, तो अफरा-तफरी मच गई। ट्रेन के भीतर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं फंसी रहीं, और कई घंटे तक मदद नहीं पहुंच सकी।
कंपनी ने क्या कहा?
Vy कंपनी ने इस पूरे मामले पर आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि, “हम मानते हैं कि यह एक गंभीर लापरवाही थी। हमारे ऑपरेशन्स विभाग से टाईम टेबल में त्रुटि हुई, जिससे यह स्थिति बनी। हम इससे सबक लेकर भविष्य में ऐसी गलती को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं।”
कंपनी ने यह भी कहा कि सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है और उन्हें वैकल्पिक माध्यम से उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। किसी भी यात्री को शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचा।
सोशल मीडिया पर उड़ी खिल्ली
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर नार्वे की रेलवे व्यवस्था की खूब आलोचना हुई। ट्विटर (अब एक्स) और फेसबुक पर लोगों ने Vy कंपनी की जमकर खिंचाई की। एक यूजर ने लिखा, “अगर ड्यूटी खत्म हो गई, तो क्या यात्री जंगल में छोड़ दिए जाते हैं?” वहीं, कुछ लोगों ने मजाकिया लहजे में इसे “यूरोप की पहली स्वेच्छा से रोकी गई ट्रेन” करार दिया।
विशेषज्ञों की राय:
रेलवे मामलों के जानकारों का कहना है कि यह घटना दिखाती है कि जब तकनीकी व्यवस्था पर बहुत ज्यादा निर्भरता होती है, तो मानवीय गलती के कारण ऐसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि यह एक चेतावनी है कि सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में समय प्रबंधन और स्टाफिंग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
यात्रियों का दर्द:
ट्रेन में सवार कई यात्रियों ने मीडिया से बातचीत में अपना गुस्सा जाहिर किया। एक यात्री ने कहा, “हमने पहले सोचा कि कोई दुर्घटना हुई है, लेकिन जब मालूम चला कि स्टाफ ड्यूटी खत्म होने के बाद चला गया, तो विश्वास ही नहीं हुआ।”
एक महिला यात्री ने कहा, “ट्रेन में छोटे बच्चे थे, सीनियर सिटीजन थे, लेकिन कोई भी कर्मचारी वहां नहीं था। यह बेहद गैर-जिम्मेदाराना हरकत थी।”
सरकार की प्रतिक्रिया:
नार्वे के परिवहन मंत्रालय ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए Vy से रिपोर्ट तलब की है। मंत्रालय ने कहा है कि वह जांच करेगा कि आखिर किस स्तर पर गलती हुई और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि चाहे देश कितना भी विकसित क्यों न हो, यदि सार्वजनिक सेवाओं में लापरवाही हो जाए, तो आम जनता को भुगतना पड़ता है। नार्वे की यह ट्रेन घटना भारत जैसे देशों के लिए भी एक सबक है कि रेल संचालन में मानवीय पक्ष की उपेक्षा नहीं की जा सकती।