
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन खेतों में उतरे, किसानों के बीच पहुंच कर की धान रोपनी का अवलोकन
कहा- कृषि हमारी अस्मिता, संस्कृति और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, सरकार किसानों को सशक्त बनाने के लिए संकल्पबद्ध है
रामगढ़। राज्य के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन का खेती-किसानी से जुड़ाव किसी से छुपा नहीं है। इसकी एक और बानगी आज देखने को मिली जब मुख्यमंत्री अपने पैतृक गांव रामगढ़ के नेमरा में स्थित आवास से खेतों की ओर निकल पड़े। खेतों की मेड़ों से होते हुए मुख्यमंत्री सीधे उन किसानों के बीच पहुंचे जो धान की रोपनी में व्यस्त थे। खेत की मिट्टी की सौंधी खुशबू और किसानों के श्रम को नमन करते हुए उन्होंने खेती की वास्तविक तस्वीर को करीब से देखा और महसूस किया।
मुख्यमंत्री ने खेतों में कार्य कर रहीं ग्रामीण महिलाओं से बातचीत की और धान रोपनी की विधियों की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि कृषि केवल हमारी आर्थिक रीढ़ ही नहीं, बल्कि हमारी अस्मिता, संस्कृति और परंपरा की पहचान है। उन्होंने कहा कि खेतों की हरियाली किसानों की कड़ी मेहनत का परिणाम होती है और जब ये फसलें लहलहाती हैं, तो किसानों के चेहरों पर मुस्कान भी खिलती है।
“किसान खुशहाल होगा तभी राज्य और देश सशक्त बनेगा”
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि राज्य सरकार किसानों को खुशहाल और सशक्त बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक किसान मजबूत नहीं होंगे, तब तक न राज्य की अर्थव्यवस्था सशक्त बन सकती है और न ही देश की प्रगति सुनिश्चित हो सकती है। इसलिए हमारी सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक योजनाएं चला रही है।
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे सरकार की संचालित योजनाओं से जुड़ें और उनका लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता में किसान सबसे ऊपर हैं और उनका कल्याण सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य भी है और संकल्प भी।
गांव की महिलाओं से बातचीत, जाना खेती का हाल
मुख्यमंत्री खेतों में पहुंचकर सबसे पहले महिलाओं से मिले जो पारंपरिक तरीकों से धान की रोपनी कर रही थीं। मुख्यमंत्री ने उनके काम को नजदीक से देखा और उनसे संवाद किया। महिलाओं ने भी मुख्यमंत्री से बेझिझक अपनी बात रखी। उन्होंने सिंचाई की समस्या, बीज की गुणवत्ता, खाद की उपलब्धता जैसे मुद्दे उठाए। मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि इन समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि महिलाएं आज खेती के हर स्तर पर अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। “गांव की महिलाएं खेतों में मेहनत कर रही हैं, यही हमारी असली ताकत है। अगर महिलाएं मजबूत होंगी, तो कृषि भी मजबूत होगी और राज्य का भविष्य भी उज्जवल होगा,” मुख्यमंत्री ने कहा।
किसानों के बीच बैठकर सुनी उनकी समस्याएं
मुख्यमंत्री ने खेत में उपस्थित किसानों से संवाद किया। उनकी बातें सुनीं और सुझाव लिए। किसानों ने उन्हें खाद, कीटनाशक, बिजली, सिंचाई, कृषि यंत्र और बाजार मूल्य को लेकर समस्याएं बताईं। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार इन समस्याओं का स्थायी समाधान करेगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों की समस्याओं का त्वरित और प्रभावी निराकरण सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा, “आपका श्रम ही इस राज्य की सबसे बड़ी पूंजी है। आपकी मेहनत से ही हमारे खेत लहलहाते हैं और अन्न भंडार भरते हैं। हम आपके परिश्रम का सम्मान करते हैं और इसे सुरक्षित तथा समृद्ध बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
किसानों के लिए चल रही योजनाओं की जानकारी दी
मुख्यमंत्री ने किसानों को जानकारी दी कि राज्य सरकार कई ऐसी योजनाएं चला रही है, जिनसे वे सीधे लाभान्वित हो सकते हैं। उन्होंने ‘झारखंड राज्य फसल राहत योजना’, ‘कृषक बंधु योजना’, ‘कृषि यंत्र अनुदान योजना’, ‘मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना’ जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इनका उद्देश्य किसानों को आर्थिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है।
उन्होंने कृषि विभाग को भी निर्देश दिया कि प्रत्येक गांव में जागरूकता शिविर आयोजित कर किसानों को योजनाओं की जानकारी दी जाए और उन्हें योजना से जोड़ने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए।
“मैं हर किसान के साथ खड़ा हूं” – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने किसानों से भावनात्मक जुड़ाव दिखाते हुए कहा कि वे हमेशा किसानों के साथ खड़े हैं। “कोई भी परेशानी हो, बताएं। आप हमारी प्राथमिकता हैं। आपकी खुशहाली से ही राज्य की समृद्धि सुनिश्चित होगी। हम मिलकर झारखंड को खेती के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाएंगे,” उन्होंने कहा।
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने एक बार फिर दोहराया कि खेती और किसान ही राज्य की असली ताकत हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ग्रामीण स्तर पर कृषि से जुड़ी समस्याओं को सुनने और हल करने की प्रणाली को अधिक सक्रिय बनाया जाए।