
Sawan Purnima 2025: राखी पूर्णिमा और श्रावण पूर्णिमा की पौराणिक कथा, जानें रक्षाबंधन इसी दिन क्यों मनाया जाता है।
श्रावण मास का अंतिम दिन, जिसे श्रावण पूर्णिमा कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। वर्ष 2025 में यह तिथि रक्षाबंधन के पावन पर्व के साथ पड़ रही है, जिसे कई स्थानों पर राखी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व अत्यधिक है। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार इसी दिन पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा को ही क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे कौन-सी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है? आइए विस्तार से जानते हैं।
श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन का संबंध
श्रावण मास को भगवान शिव का महीना माना जाता है और इसकी पूर्णिमा तिथि धार्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायी होती है। इस दिन स्नान, दान, व्रत और पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान और जप कई गुना फल देता है। इसी दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाने के पीछे कई पौराणिक और ऐतिहासिक प्रसंग मिलते हैं।
रक्षाबंधन से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथाएं
1. इंद्र-इंद्राणी की कथा
पुराणों के अनुसार, एक बार देवताओं और दानवों के बीच युद्ध हो रहा था। दानव लगातार प्रबल होते जा रहे थे और देवताओं की हार निश्चित लग रही थी। तब इंद्राणी ने एक पवित्र सूत्र में रक्षा मंत्र पढ़कर उसे इंद्र के हाथ में बांधा। इस रक्षा सूत्र के प्रभाव से इंद्र को विजय प्राप्त हुई। तभी से इस दिन बहन द्वारा भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।
2. श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा
महाभारत काल में, एक बार श्रीकृष्ण की उंगली कट गई थी, जिससे रक्त बहने लगा। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस प्रेम और स्नेह से अभिभूत होकर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की आजीवन रक्षा का वचन दिया। इस घटना को भी रक्षाबंधन पर्व की उत्पत्ति से जोड़ा जाता है।
3. यम और यमुनाजी की कथा
एक और कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यम को उनकी बहन यमुनाजी ने श्रावण पूर्णिमा के दिन राखी बांधी और लंबे जीवन का आशीर्वाद दिया। यम ने भी प्रतिज्ञा की कि जो बहन इस दिन अपने भाई को राखी बांधेगी, उसका भाई दीर्घायु और सुखी जीवन प्राप्त करेगा।
क्यों कहते हैं इसे राखी पूर्णिमा
श्रावण पूर्णिमा के दिन भाई-बहन के बीच राखी बांधने की परंपरा के कारण ही इसे राखी पूर्णिमा कहा जाने लगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है और उसे उपहार प्रदान करता है।
धार्मिक महत्व
श्रावण पूर्णिमा पर किए गए स्नान, दान और पूजा से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन कई लोग पूर्णिमा व्रत रखते हैं, सत्संग और कथा श्रवण करते हैं। पर्व का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ यह भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक भी है।