
Deoghar: विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला का विधिवत समापन, बाबा बैद्यनाथ की विशेष पूजा-अर्चना और स्पर्श पूजा की हुई शुरुआत
देवघर। एक माह तक चले आस्था, भक्ति और उत्साह के प्रतीक राजकीय श्रावणी मेला का शनिवार को सावन पूर्णिमा के अवसर पर विधिवत समापन हो गया। इस अवसर पर बाबा बैद्यनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के साथ-साथ पारंपरिक रूप से अरघा हटाकर स्पर्श पूजा की शुरुआत की गई। मेला समापन के मौके पर जिला प्रशासन के अधिकारी, पंडा समाज और हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
श्रावणी मेला के अंतिम दिन, सावन पूर्णिमा पर बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ सामान्य दिनों की तुलना में थोड़ी कम रही। सभी कांवरियों को फुट ओवरब्रिज के माध्यम से मंदिर परिसर में प्रवेश कराया गया। सुबह से ही भक्तों में उत्साह का माहौल था, लेकिन दोपहर के समय प्रशासन द्वारा आयोजित विशेष पूजा ने वातावरण को और भी पवित्र बना दिया।
विशेष पूजा में जिला प्रशासन की सहभागिता
दोपहर में बाबा बैद्यनाथ की विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन प्रशासनिक भवन में किया गया, जिसमें उपायुक्त अमन प्रियेश लकड़ा, अनुमंडल पदाधिकारी सह बाबा मंदिर प्रभारी रवि कुमार, और जिले के अन्य सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। स्टेट पुरोहित पंडित श्रीनाथ मिश्र ने विधिवत षोडशोपचार विधि से सभी अधिकारियों को संकल्प दिलाया और विशेष पूजा सम्पन्न कराई।
इस विशेष पूजा के दौरान बाबा बैद्यनाथ को विभिन्न प्रकार के नैवेद्य अर्पित किए गए। लगभग एक घंटे तक चली इस पूजा में भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। पूजा के अंत में बाबा को धन्यवाद अर्पित करते हुए आगामी भादो मेला की तैयारियों पर भी चर्चा की गई।
अरघा हटाकर स्पर्श पूजा की शुरुआत
श्रावणी मेला के दौरान पूरे एक महीने से बाबा बैद्यनाथ पर अरघा प्रणाली के माध्यम से जलार्पण कराया जा रहा था। पौराणिक परंपरा के अनुसार, सावन पूर्णिमा के दिन अरघा को हटा दिया जाता है और श्रद्धालु सीधे बाबा के शिवलिंग को स्पर्श कर जलार्पण और पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
अरघा हटाने से पहले सरदार पांडा गुलाब नंद ओझा ने विशेष पूजा-अर्चना की। इसके पश्चात भक्तों को स्पर्श पूजा की अनुमति दी गई। दोपहर बाद जैसे ही अरघा हटाया गया, श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में पहुंचकर बाबा के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित की।
उपायुक्त ने मेले को सफल करार दिया
इस अवसर पर उपायुक्त अमन प्रियेश लकड़ा ने कहा, “विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला का सफलतापूर्वक संचालन जिला प्रशासन, पंडा समाज, पुलिस बल और श्रद्धालुओं के सहयोग से संभव हो सका। पूरे एक महीने तक आने वाले सभी देवतुल्य श्रद्धालुओं को सुगमता पूर्वक जलार्पण कराया गया। आज बाबा की विशेष पूजा-अर्चना कर उन्हें धन्यवाद दिया गया।”
उन्होंने आगे बताया कि अब भादो मेला की तैयारी शुरू हो चुकी है। विशेष रूप से रुद्राभिषेक बाबा मंदिर के गर्भगृह में पूर्णतः बंद रहेगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कतर व्यवस्था, शीघ्र दर्शनम् पास प्रणाली और पुलिस बल की तैनाती पूर्ववत रहेगी। बाहर से आने वाले बलों को वापसी भेजा जाएगा, लेकिन अतिरिक्त बलों की व्यवस्था की जाएगी ताकि किसी प्रकार की भीड़भाड़ या अव्यवस्था न हो।
भादो मेला की तैयारी पर जोर
भादो मेला को लेकर उपायुक्त ने कहा कि मजिस्ट्रेट एवं पुलिस बल की टीम हर संभव सुविधा सुनिश्चित करेगी। पूजा व्यवस्था को सुचारू रखने में पुलिस की भी अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
प्रसाद वितरण और भक्तों से संवाद
विशेष पूजा और अरघा हटाने की प्रक्रिया के बाद सभी अधिकारी और पंडा समाज के प्रतिनिधि तारा मंदिर के चबूतरे पर पहुंचे। यहां उन्होंने श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया और उनके साथ संवाद भी किया। इस अवसर पर बाबा मंदिर सहायक प्रभारी, मजिस्ट्रेट, बाबा मंदिर थाना प्रभारी, मुख्य प्रबंधक सहित मंदिर समिति के सभी सदस्य मौजूद थे।
आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम
श्रावणी मेला के दौरान देवघर में लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं। कांवड़ यात्रा के माध्यम से गंगाजल लाकर बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पूरे सावन महीने में भक्त अरघा प्रणाली के जरिए जल अर्पित करते हैं, जबकि सावन पूर्णिमा के दिन से सीधे स्पर्श पूजा का अवसर मिलता है। यह परंपरा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
इस बार भी मेला प्रशासन ने सुरक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, यातायात और ठहरने की सुविधा को लेकर विशेष व्यवस्था की थी। चिकित्सा शिविर, नियंत्रण कक्ष और मार्ग-निर्देशन से लेकर सफाई व्यवस्था तक, सभी व्यवस्थाओं की सराहना श्रद्धालुओं ने की।
समापन पर भक्ति का उत्सव
समापन दिवस पर बाबा बैद्यनाथ की विशेष पूजा के साथ भक्ति का उत्सव अपने चरम पर था। मंदिर परिसर और देवघर शहर में सुबह से ही हर-हर महादेव के जयकारे गूंजते रहे। जैसे ही अरघा हटाया गया, श्रद्धालु उत्साहपूर्वक गर्भगृह में प्रवेश कर बाबा का स्पर्श कर आशीर्वाद लेने लगे।
श्रावणी मेला का यह समापन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान का अंत था, बल्कि यह देवघर की सांस्कृतिक, धार्मिक और प्रशासनिक क्षमता का भी प्रतीक था। अब भक्तों की निगाहें भादो मेला पर टिकी हैं, जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं।