
बिना नोटिस और सुनवाई के किसी भी मतदाता का नाम नहीं हटाया जाएगा — निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामा
1.बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया के बीच, निर्वाचन आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट में एक ताज़ा हलफनामा दाखिल करते हुए आश्वस्त किया है कि बिना पूर्व सूचना, सुनवाई के अवसर और सक्षम अधिकारी का तर्कपूर्ण आदेश किसी भी पात्र मतदाता का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा । यह हलफनामा 10 अगस्त 2025 को दायर किया गया है और मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी ।
2. सुप्रीम कोर्ट को क्या बताया गया?
निर्वाचन आयोग ने बताया कि SIR का पहला चरण पूरी तरह से पूरा हो चुका है। 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की गई, जिसमें व्यापक तैयारी के तहत सोशल कैंपेन, बूथ-स्तरीय कार्रवाई, श्रमशक्ति तैनाती और मीडिया विज्ञापन शामिल हैं ।
7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ ने अपना नाम पुष्टि या फॉर्म सबमिट किया ।
इस प्रक्रिया में 38 जिला निर्वाचन अधिकारी, 243 पंजीकरण अधिकारी, 77,895 BLOs, 2.45 लाख स्वयंसेवक, और 1.60 लाख बूथ एजेंट सक्रिय थे ।
246 समाचार-पत्रों में हिंदी विज्ञापन, विशेष कैंप, ऑनलाइन–ऑफलाइन आवेदन सुविधा, प्रवासी, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग व्यवस्था लागू की गई ।
3. प्राकृतिक न्याय की गारंटी
हितधारकों को प्राकृतिक न्याय का पूरा अधिकार देने के लिए आयोग ने तीन स्तरीय गारंटी दिए हैं:
पूर्व सूचना (Notice) के माध्यम से प्रस्तावित हटाने की जानकारी।
सुनवाई (Hearing) का अवसर और दस्तावेज जमा करने की सुविधा।
कारणयुक्त आदेश (Reasoned Order) सक्षम प्राधिकारी द्वारा।
इसके अतिरिक्त, दो-स्तरीय अपील प्रणाली (ERO और मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास) उपलब्ध कराई गई है ।
4. ADR और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
ADR (Association for Democratic Reforms) ने आरोप लगाया कि लगभग 65 लाख मतदाताओं को सूची से हटाया गया है और आयोग को उनके नामों की सूची और कारण प्रकाशित करने का निर्देश दिया जाए ।
निर्वाचन आयोग का जवाब:
नियम 10 और 11 (Registration of Electors Rules, 1960) के तहत, यदि किसी का नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं है, तो किसी कारण की सूची प्रकाशित करना अनिवार्य नहीं है
हालांकि, आयोग ने राजनीतिक दलों को बांटकर बूथ-स्तर पर ऐसे लोगों की सूची उपलब्ध कराई है, ताकि उन्हें सीधे संपर्क कर शामिल किया जा सके ।
5. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने SIR प्रक्रिया के दौरान “बहुसंख्यक समावेशन (en-masse inclusion)” को बहुसंख्यक बहिष्करण (en-masse exclusion) से प्राथमिकता देने का निर्देश भी दिया है, साथ ही Aadhaar और EPIC जैसे पहचानपत्रों को वैध दस्तावेज़ मानने पर पुनर्विचार करने को कहा है ।
6. राजनीतिक दृष्टिकोण और विपक्षी प्रतिक्रिया
कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं ने SIR प्रक्रिया की समयबद्धता और उद्देश्य पर सवाल उठाए हैं, कहते हैं कि यह चुनावों से पहले वोटर को निशाना बनाने का प्रयास हो सकता है ।
टीएमसी ने इसे दलित एवं कमजोर वर्गों को रोकने की केंद्र सरकार की साजिश करार दिया है, और किसी भी ऐसी प्रक्रिया के खिलाफ एकजुट विरोध का ऐलान किया है ।
पूर्व सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव की लोकप्रियता की वजह से केंद्र सरकार इस आप्रक्रिया को चला रही है ।
अमेरिका जैसे अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इसे लाखों मतदाताओं को वंचित करने की आशंका वाला मामला करार दिया है, जिसमें दस्तावेजों की कमी और समय कम होने की वजह से गरीब और वंचित वर्ग प्रभावित हो सकते हैं ।
7. आगे की राह
आयोग ने कहा है कि सभी योग्य मतदाताओं का नाम अंतिम सूची में शामिल करने के लिए हर संभव कदम उठाया जा रहा है ।
कम्प्रिहेंसिव व्यवस्था, प्रेस विज्ञप्तियों और दैनिक अपडेट के जरिए जनता को सूचित रखा जा रहा है ।
मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट में निर्धारित है।