
Janmashtami Special: प्रेमानंद महाराज ने किया खुलासा, श्रीकृष्ण का वह शक्तिशाली महामंत्र जो जीवन में भर देता है प्रेम, शांति और सुख।
जन्माष्टमी का पावन पर्व नजदीक है और इसके आगमन के साथ ही देशभर में भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। मंदिरों में सजावट शुरू हो चुकी है, भजन-कीर्तन की मधुर ध्वनि वातावरण को आध्यात्मिक बना रही है और श्रीकृष्ण के भक्त अपने प्रिय भगवान के जन्मोत्सव की तैयारी में पूरी श्रद्धा के साथ जुटे हुए हैं। इस शुभ समय में प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने एक ऐसा रहस्य साझा किया है, जो हर भक्त के लिए अमूल्य धरोहर साबित हो सकता है।
हाल ही में एक निजी वार्तालाप के दौरान, जब एक श्रद्धालु ने प्रेमानंद महाराज से प्रश्न किया कि भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली मंत्र कौन सा है, तो महाराज जी ने सौम्य मुस्कान के साथ उत्तर दिया – “हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे”। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह महामंत्र केवल एक साधारण शब्दों का समूह नहीं है, बल्कि यह दिव्य साधना का वह माध्यम है जो व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और मन, मस्तिष्क तथा आत्मा को अद्भुत शांति प्रदान करता है।
महाराज जी के अनुसार, इस महामंत्र का जप करते समय श्रद्धा, भक्ति और पूरी एकाग्रता अनिवार्य है। चाहे आप मंदिर में हों, अपने घर के पूजा स्थल पर हों या यात्रा के दौरान, यह मंत्र हर परिस्थिति में लाभकारी है। इसका नियमित जप मानसिक तनाव को समाप्त करता है, हृदय में सकारात्मकता का संचार करता है और जीवन को आनंद से भर देता है।
उन्होंने यह भी बताया कि श्रीकृष्ण का नाम लेने मात्र से ही व्यक्ति के भीतर प्रेम, करुणा और आनंद का प्रवाह शुरू हो जाता है। जो भक्त प्रतिदिन इस मंत्र का जप करते हैं, उनके जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा लंबे समय तक नहीं टिक पाती। यह मंत्र आत्मिक शक्ति को जागृत करता है और हर प्रकार के भय, चिंता व दुख को समाप्त करने में सहायक है।
प्रेमानंद महाराज ने जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंत्र के विशेष महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि इस पावन दिन पर यदि भक्त 108 बार इस महामंत्र का जप करें तो उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की असीम कृपा प्राप्त होती है। इससे न केवल उनके सभी कार्य सफल होते हैं, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी स्थायी रूप से स्थापित हो जाती है।
जन्माष्टमी का पर्व केवल श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भक्ति, निस्वार्थ प्रेम और त्याग का संदेश देता है। श्रीकृष्ण का जीवन स्वयं इस बात का उदाहरण है कि कैसे प्रेम और धर्म के मार्ग पर चलकर व्यक्ति संसार में सुख और शांति स्थापित कर सकता है। ऐसे में प्रेमानंद महाराज द्वारा बताए गए इस दिव्य महामंत्र को अपने जीवन में अपनाकर हर भक्त अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और भी सार्थक और आनंदमय बना सकता है।