
14 किमी पैदल चल धराली पहुंचा भास्कर रिपोर्टर: हर्षिल की नई झील बनी खतरा; 5 दिन बाद भी लापता लोगों की खोज शुरू नहीं ।
उत्तरकाशी जिले के हर्षिल घाटी में बनी नई झील अब खतरे का सबब बन गई है। तेज बारिश और बादल फटने से बनी यह झील न सिर्फ गांवों के लिए खतरा है, बल्कि यहां फंसे लोगों की चिंता भी बढ़ा रही है। हैरानी की बात है कि घटना को पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन लापता लोगों की तलाश शुरू तक नहीं हुई है।
14 किलोमीटर पैदल का सफर
भास्कर रिपोर्टर ने हालात का जायजा लेने के लिए धराली तक 14 किलोमीटर का कठिन पैदल सफर तय किया। रास्ता बारिश से कीचड़मय हो चुका है और जगह-जगह पहाड़ी मलबा गिरा है। कई जगह सड़कें टूट चुकी हैं और नदी का बहाव खतरनाक हो गया है। स्थानीय लोग और पर्यटक, दोनों ही सहमे हुए हैं।
नई झील से खतरे की आशंका
हर्षिल घाटी में बने इस झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। अगर झील का पानी अचानक बह निकला तो नीचे बसे गांव धराली, बगोरी, पुरोला और आसपास के क्षेत्रों में भारी तबाही मच सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि झील के तटबंध कमजोर हैं और किसी भी समय टूट सकते हैं।
प्रशासन की धीमी रफ्तार
स्थानीय लोगों का आरोप है कि आपदा के पांच दिन बाद भी लापता लोगों की खोज और राहत कार्य शुरू नहीं हुए हैं। SDRF और NDRF की टीमें मौके पर नहीं पहुंची हैं। केवल स्थानीय प्रशासन और कुछ ग्रामीण ही तलाश और राहत का जिम्मा संभाल रहे हैं।
गांव में भय का माहौल
धराली गांव के निवासी हर पल झील फटने के डर में जी रहे हैं। रात होते ही लोग ऊंची जगहों पर चले जाते हैं। बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की कोशिश हो रही है, लेकिन खराब मौसम और टूटी सड़कें राहत कार्य में सबसे बड़ी बाधा हैं।
मौसम बना रुकावट
हर्षिल में लगातार बारिश हो रही है, जिससे झील का पानी और बढ़ रहा है। हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाना भी मुश्किल हो गया है। प्रशासन ने मौसम सुधरने का इंतजार करने की बात कही है, लेकिन स्थानीय लोग इसे लापरवाही मान रहे हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी झीलें अचानक फट सकती हैं, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होती है। अगर समय रहते पानी निकासी की व्यवस्था नहीं हुई, तो जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है।
लोगों की मांग – तुरंत कार्रवाई
गांववालों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि तुरंत SDRF, NDRF और सेना की मदद से झील की जांच और लापता लोगों की तलाश शुरू की जाए। साथ ही गांवों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए।
भास्कर की अपील
हमारी टीम ने मौके से जो हालात देखे, वह बेहद गंभीर हैं। यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुस्ती का मामला भी है। अब एक-एक पल कीमती है और देर किसी बड़ी त्रासदी में बदल सकती है।