
नागपुर–मध्य प्रदेश हाईवे पर रक्षाबंधन पर दर्दनाक दृश्य: मृत पत्नी का शव बाइक पर बाँध कर पति ने तय किया 80 किमी का सफर
मुख्य कथा – एम्बुलेंस नहीं मिली, मदद नहीं मिली… बाइक पर शव बाँधकर घर तक पहुँचा पति
रक्षाबंधन के दिन, 9 अगस्त 2025 की सुबह दुखद और भावनाओं को झकझोर देने वाली घटना सामने आई। नागपुर – जबलपुर हाईवे पर एक तेज़ रफ्तार ट्रक ने अमित यादव और उनकी पत्नी को टक्कर दी। इस भीषण टक्कर में पत्नी की मौत हो गई, लेकिन ट्रक चालक तुरंत फरार हो गया। फौरन मदद की गुहार लगाने पर भी रास्ते से गुजरने वाले राहगीरों से कोई सहायता नहीं मिली ।
मदद की उम्मीद टूटने पर बेकाबू दर्द का प्रदर्शन
एमबुलेंस की अनुपलब्धता, फोन कॉल्स का बेअसर होना और राहगीरों का उदासीन रवैया देख कर अमित काफ़ी टूट गए। जब सारे रास्ते बंद दिखाई दिए, तो उन्होंने एक आख़िरी उपाय अपनाया—उन्होंने पत्नी का शव अपनी बाइक से बाँध कर करीब 80 किलोमीटर तक अपने गांव ले जाने का फैसला किया । यह मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक पीड़ा की एक ऐसी तस्वीर है जिसने सोशल मीडिया पर भी ज़ोरदार प्रतिक्रिया जगाई।
दृश्य: दर्दनाक, विचलित कर देने वाला
घटना का वीडियो, जो बाद में पुलिस द्वारा जारी किया गया, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और जिसने देशभर में लोगों को स्तब्ध कर दिया। यह दृश्य न केवल दुर्घटना का प्रमाण था, बल्कि सड़क सुरक्षा और देश में आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है ।
स्थानीय पुलिस की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई
पुलिस की एक वैन ने जब इस दर्दनाक दृश्य को देखा और अमित को रोककर सहायता पहुँचाई, तब जाकर शव को नागपुर में पोस्टमॉर्टम हेतु भेजा गया। पुलिस ने हादसे की जांच शुरू कर दी है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई की योजना बना रही है ।
गहरी मानवीय त्रासदी, पहचानी गई प्रशासनिक चूक
यह घटना केवल एक सड़क हादसा नहीं है, बल्कि उस विश्वासघात की कहानी है जब एक पति को अपनी पत्नि का शव बाइक पर बाँध कर घर ले जाना पड़ा, क्योंकि आपातकालीन सेवाएँ अनुपलब्ध थीं और सड़क पर मौजूद लोग – परिजन, राहगीर, और प्रशासन – किसी भी रूप में मदद नहीं पहुंचा सके।
व्यापक सार्वजनिक और प्रशासनिक चिंताएँ
आपातकालीन जवाफ प्रणाली की विफलता: नागपुर–जबलपुर मार्ग जैसे व्यस्त/high-traffic हाईवे पर सरकारी या निजी मेडिकल सहायता का जाल कमजोर पाया गया।
सामाजिक उदासीनता का प्रश्न: जब एक व्यक्ति मदद के लिए थर-थर कांप रहा हो, फिर भी सिर्फ तमाशा देखने वाले लोग खड़े हों—यह समाज की संवेदनहीनता को उजागर करता है।
सड़क सुरक्षा और निगरानी में कमी: हादसे के तुरंत बाद ट्रक चालक का भाग जाना बताता है कि नियमों का पालन व वाहन ट्रैकिंग व बहुतायत चेतावनी संकेतों की आवश्यकता कितनी अधिक है।
यह घटना हमें दोहरा संदेश देती है: एक ओर मानवीय संवेदना की कमी—जब भयावह दुर्घटना में भी मदद नहीं मिली, और दूसरी ओर आपातकालीन सेवाओं की घोर कमी—जब मेडिकल सुविधा उपलब्ध न हो। यह दुर्घटना सिर्फ एक हादसा नहीं है, बल्कि हमारे समाज और सरकार के संवेदनशील तंत्र की परीक्षा है।
इसकी मार्मिकता हमें यह सोचने पर बाध्य कर देती है—क्या हमने आपातकालीन सेवाओं के ढांचे को मजबूती से तैयार किया है? क्या हमारे आसपास के लोग सचमुच “आप” की मदद के लिए तैयार हैं?