
दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म का आज आठवां दिन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निभाई परंपरागत रस्में।
रांची। झारखंड के राजनीतिक और सामाजिक जीवन में अमिट छाप छोड़ने वाले दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म का आज आठवां दिन है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पैतृक आवास में पारंपरिक और धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार विधिवत रस्में निभाईं। परिवार के अन्य सदस्य, करीबी रिश्तेदार और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी इस मौके पर मौजूद रहे।
सुबह से ही आवासीय परिसर में धार्मिक माहौल देखा गया। ब्राह्मणों और पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच श्राद्ध क्रिया सम्पन्न हुई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पुत्र धर्म का निर्वहन करते हुए पूजा सामग्री अर्पित की और दिवंगत पिता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। परंपरा के अनुसार विशेष भोग, पिंडदान और तर्पण की विधि संपन्न हुई।
श्राद्ध कर्म में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए लोग शामिल हुए। इस अवसर पर ग्रामीण इलाकों से भी बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के प्रतिनिधि पहुंचे, जिन्होंने अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम स्थल पर आने वालों के लिए भोजन प्रसाद की व्यवस्था की गई थी, जिसमें पारंपरिक व्यंजन परोसे गए।
गौरतलब है कि शिबू सोरेन का देहांत हाल ही में हुआ था, जिसके बाद पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। उन्हें न सिर्फ एक जननेता, बल्कि आदिवासी अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। आठवें दिन का यह श्राद्ध कर्म झारखंड की सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर का प्रतीक भी है, जिसमें धर्म, संस्कृति और समाज की एकजुटता साफ झलकती है।
श्राद्ध स्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी लगातार निगरानी में थे, ताकि कार्यक्रम शांति और गरिमा के साथ संपन्न हो सके। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने श्रद्धांजलि सभा के बाद भावुक होकर कहा कि “पिताजी का जीवन संघर्ष और सेवा के लिए समर्पित रहा। उनकी सीख और आदर्श मेरे जीवन की दिशा तय करते रहेंगे।”
दिवंगत दिशोम गुरु के सम्मान में कई जगहों पर श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जा रही हैं। झारखंड के विभिन्न जिलों में पार्टी कार्यकर्ता गरीबों में भोजन वितरण और रक्तदान शिविर जैसे सामाजिक कार्य भी कर रहे हैं। राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए शिबू सोरेन के योगदान को याद किया।
आज का दिन न केवल पारिवारिक रस्मों के निर्वहन का था, बल्कि यह झारखंड की राजनीतिक विरासत को याद करने का भी अवसर था। शिबू सोरेन का जीवन आदिवासी अधिकारों की रक्षा, जल-जंगल-जमीन के आंदोलन और हाशिये पर खड़े समुदायों की आवाज को बुलंद करने में बीता। उनके संघर्ष और उपलब्धियां आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी लोगों ने दिवंगत नेता की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा और संकल्प लिया कि उनके अधूरे सपनों को पूरा करने की दिशा में कार्य करते रहेंगे।