डीएसपी अमर पांडेय को रांची जमीन घोटाले की जांच से हटाया गया, SIT और मीडिया प्रभारी का प्रभार भी लिया वापस।

डीएसपी अमर पांडेय को रांची जमीन घोटाले की जांच से हटाया गया, SIT और मीडिया प्रभारी का प्रभार भी लिया वापस।

रांची का बहुचर्चित जमीन घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। इस घोटाले की जांच में अहम भूमिका निभा रहे डीएसपी अमर पांडेय को अचानक जांच टीम से हटा दिया गया है। साथ ही उन्हें दिए गए SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) और मीडिया प्रभारी का प्रभार भी वापस ले लिया गया है। यह फैसला पुलिस मुख्यालय और सरकार के उच्च अधिकारियों के स्तर से लिया गया है, जिसके बाद कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

जमीन घोटाले की पृष्ठभूमि

रांची और आसपास के इलाकों में लंबे समय से जमीन की खरीद-फरोख्त में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा और गड़बड़ी की शिकायतें आती रही हैं। सरकारी जमीन, ट्रस्ट की संपत्ति और आम नागरिकों की जमीनों को फर्जी कागजात के जरिए कब्जाने और बेचने का खेल सालों से चलता रहा है। इस घोटाले में कई बड़े नामों के शामिल होने की बात सामने आती रही है।
जांच एजेंसियों ने पाया कि जालसाजों का नेटवर्क न सिर्फ जमीन माफियाओं तक सीमित है बल्कि इसमें प्रभावशाली राजनेता, अफसर और कारोबारी भी शामिल हो सकते हैं। इसी वजह से इस मामले को लेकर SIT का गठन किया गया था।

डीएसपी अमर पांडेय की भूमिका

डीएसपी अमर पांडेय को इस SIT का हिस्सा बनाकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी। उनके नेतृत्व में कई अहम छापेमारी हुई और दर्जनों संदिग्धों से पूछताछ की गई। कई फर्जी दस्तावेजों और जमीन के कागजात का पर्दाफाश भी उनकी टीम ने किया।
सूत्रों के मुताबिक, अमर पांडेय की जांच शैली बेहद आक्रामक मानी जाती थी। वे न सिर्फ बड़े नामों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे बल्कि मीडिया में भी सक्रिय होकर इस घोटाले की गंभीरता को सामने ला रहे थे। इसी कारण उन्हें मीडिया प्रभारी का अतिरिक्त दायित्व भी दिया गया था।

अचानक हटाए जाने पर उठे सवाल

हालांकि, अब उन्हें अचानक जांच से हटा दिया गया है। यह फैसला क्यों लिया गया, इसकी आधिकारिक वजह अभी तक स्पष्ट नहीं की गई है। पुलिस मुख्यालय ने केवल इतना कहा है कि यह एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है। लेकिन जानकारों का कहना है कि इतने संवेदनशील मामले से एक अधिकारी को हटाना कहीं न कहीं दबाव की ओर इशारा करता है।
कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इस पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अगर एक अधिकारी ईमानदारी से जांच कर रहा था और घोटालेबाजों तक पहुंच बना रहा था तो उसे हटाना जांच को कमजोर करने जैसा कदम है।

SIT पर असर

डीएसपी अमर पांडेय के हटने के बाद SIT की दिशा और ताकत पर भी सवाल उठ रहे हैं। अब तक उन्होंने जो कड़ी मेहनत से कागजात इकट्ठा किए और जिन सुरागों तक पहुंचे, उनका आगे क्या होगा, यह बड़ा प्रश्न है। SIT में उनकी जगह किसे जिम्मेदारी दी जाएगी, इस पर अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

विपक्ष और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया

विपक्ष ने इस फैसले को सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करने वाला करार दिया है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि सरकार के दबाव में ईमानदार अफसरों को हटाया जा रहा है ताकि बड़े माफिया और रसूखदार लोग बच सकें। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि जांच किसी भी कीमत पर रुकेगी नहीं और SIT अपनी कार्रवाई जारी रखेगी।
जनप्रतिनिधियों ने भी आशंका जताई है कि जांच की दिशा बदल सकती है। रांची और आसपास के हजारों लोगों की जमीन से जुड़े इस मामले को लेकर जनता पहले ही आक्रोशित है।

मीडिया प्रभारी का प्रभार वापस

मीडिया प्रभारी के तौर पर भी अमर पांडेय सक्रिय थे। वे समय-समय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घोटाले की जानकारी साझा करते थे। अब उनके हटने के बाद यह जिम्मेदारी भी किसी अन्य अधिकारी को दी जाएगी। इसका असर यह हो सकता है कि जनता तक जांच की पारदर्शिता पहले जैसी नहीं पहुंच पाए।

भविष्य की दिशा

फिलहाल रांची जमीन घोटाले की जांच जारी है। नए अधिकारी के आने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि SIT उसी आक्रामक तरीके से काम करेगी या फिर जांच की रफ्तार धीमी हो जाएगी। इस घोटाले में जिन बड़े नामों का उल्लेख होता रहा है, क्या वे अब भी कानून के शिकंजे में आएंगे या नहीं, यह समय ही बताएगा।

डीएसपी अमर पांडेय को जांच से हटाना एक साधारण प्रशासनिक प्रक्रिया है या इसके पीछे कोई दबाव और रणनीति छिपी है, यह सवाल फिलहाल जनता के मन में बना हुआ है। लेकिन इतना तय है कि रांची का यह जमीन घोटाला आने वाले दिनों में और भी राजनीतिक और सामाजिक हलचल मचाने वाला है।

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