
नई दिल्ली।लोकसभा चुनाव 2024 के बाद अब देश की राजनीति का अगला बड़ा पड़ाव उपराष्ट्रपति चुनाव है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने अपने उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया है। एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के नेतृत्व में यह फैसला लिया गया। राधाकृष्णन दक्षिण भारत से आते हैं और लंबे समय से भाजपा संगठन से जुड़े हुए हैं।
दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (I.N.D.I.A.) ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। विपक्षी दलों की ओर से यह साफ किया गया है कि उम्मीदवार का नाम सर्वसम्मति से तय किया जाएगा और जल्द ही घोषणा होगी। इस वजह से राजनीतिक गलियारों में अभी भी सस्पेंस बना हुआ है।
कौन हैं सी.पी. राधाकृष्णन?
सी.पी. राधाकृष्णन का जन्म 4 मई 1957 को तमिलनाडु के कोयंबटूर में हुआ था। वे पेशे से एक सफल बिजनेसमैन और लंबे समय तक समाजसेवा से जुड़े रहे। भाजपा में उन्होंने संगठनात्मक स्तर पर काफी मजबूत पकड़ बनाई। वे दो बार कोयंबटूर से सांसद रह चुके हैं।
1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।
पार्टी संगठन में उन्हें तमिलनाडु भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया।
संगठनात्मक कामों और सादगीपूर्ण छवि के कारण वे दक्षिण भारत में भाजपा का मजबूत चेहरा बने।
2023 में उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
उनकी राजनीतिक यात्रा यह साबित करती है कि भाजपा दक्षिण भारत में अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए रणनीतिक तौर पर उन्हें सामने लेकर आई है।
उपराष्ट्रपति चुनाव क्यों है महत्वपूर्ण?
भारत का उपराष्ट्रपति पद केवल संवैधानिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा के सभापति के तौर पर इसकी भूमिका बेहद अहम होती है। उपराष्ट्रपति पूरे देश के लिए दूसरी सबसे ऊंची संवैधानिक कुर्सी है।
मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ हैं, जिनका कार्यकाल जल्द समाप्त होने वाला है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में सांसद वोट डालते हैं, यानी यह चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं बल्कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से होता है।
एनडीए के पास संख्याबल की मजबूती है, इसलिए राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है।
विपक्ष क्यों देरी कर रहा है?
विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष चाहता है कि उम्मीदवार का नाम ऐसा हो जिसे व्यापक समर्थन मिल सके और जो भाजपा के उम्मीदवार के सामने मजबूत चुनौती पेश कर सके।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और डीएमके जैसे दलों के बीच नामों पर मंथन जारी है।
विपक्षी खेमे में कुछ बड़े नेताओं के नाम चर्चा में हैं, लेकिन अंतिम फैसला सभी दलों की सहमति से होगा।
यह भी संभावना जताई जा रही है कि विपक्ष किसी पूर्व नौकरशाह, शिक्षाविद या गैर-राजनीतिक चेहरे को मैदान में उतार सकता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में गणित
एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर पर्याप्त बहुमत है। लोकसभा में भाजपा अकेले ही 240 से ज्यादा सीटें जीतकर आई है और एनडीए गठबंधन का आंकड़ा इससे भी बड़ा है। वहीं राज्यसभा में भी भाजपा और सहयोगी दलों की मजबूत उपस्थिति है।
इस लिहाज से सी.पी. राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है।
विपक्ष की ओर से उम्मीदवार उतारना केवल राजनीतिक संदेश देने के लिए ज्यादा अहम होगा।
चुनाव की प्रक्रिया में विपक्ष भले ही हार जाए, लेकिन मुकाबला दिलचस्प बनाने की कोशिश जरूर करेगा।
राधाकृष्णन की उम्मीदवारी के पीछे भाजपा की रणनीति
भाजपा लगातार दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है।
तमिलनाडु और केरल में पार्टी की स्थिति अभी भी कमजोर है।
ऐसे में राधाकृष्णन जैसे अनुभवी नेता को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह दक्षिण को भी बराबर प्रतिनिधित्व दे रही है।
इससे संगठनात्मक स्तर पर दक्षिण भारत में पार्टी की पकड़ मजबूत होगी और भविष्य के चुनावों में इसका असर देखने को मिल सकता है।
विपक्ष की चुनौती
हालांकि विपक्ष के पास जीत का गणित नहीं है, लेकिन वह इस चुनाव को विचारधारा की लड़ाई बनाने की कोशिश करेगा। विपक्ष लगातार भाजपा पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाता रहा है।
विपक्ष चाहेगा कि उसका उम्मीदवार लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के प्रतीक के रूप में सामने आए।
साथ ही यह चुनाव 2029 की राजनीति की दिशा तय करने में भी संकेतक साबित हो सकता है।
एनडीए द्वारा सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। हालांकि संख्याबल के लिहाज से उनकी जीत लगभग तय है, लेकिन असली दिलचस्पी अब इस बात में है कि विपक्ष किसे मैदान में उतारता है।
क्या विपक्ष कोई बड़ा और चौंकाने वाला नाम पेश करेगा या फिर एनडीए का रास्ता आसान रहेगा—यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।